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    सुनी सुनाई : मंगलवार 27 अप्रैल 2021

  • April 27, 2021

    हनुमान और सुलेमान
    मप्र में हनुमान और सुलेमान एक साथ काम नहीं कर सकते। यह थोड़ी चौंकाने वाली बात लगी होगी। लेकिन बड़ा रोचक किस्सा है। भारतीय जनता पार्टी के एक प्रदेश स्तरीय नेता जो कि डॉक्टर भी हैं वे कोरोना के इस संकट के दौर में स्वास्थ्य विभाग के एसीएस मोहम्मद सुलेमान के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। पिछले दिनों मीडिया मित्रों ने भाजपा के डॉक्टर साहब को सलाह दी कि वे कोरोना पीडि़तों की मदद के लिए मैदान में आ जाएं तो उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये साफ लिख दिया कि हनुमान और सुलेमान एक साथ काम नहीं कर सकते। हालांकि बाद में भाजपा के डॉक्टर साहब ने बताया कि भोपाल में लगभग 200 लोग उनकी सलाह पर घर में रहकर उपचार करा रहे हैं। इनमें अधिकांश ठीक भी हो गए हैं।

    छवि के लिए आंकड़े बदलती आईएएस
    प्रदेश की एक ईमानदार महिला आईएएस अधिकारी को थोड़ा बुरा लगेगा लेकिन यह कटु सत्य है कि सरकार की छवि बचाने के लिए यह अधिकारी कोरोना काल में आंकड़ों की बाजीगरी कर रही हैं। इस महिला द्वारा कोरोना के मनमाफिक आंकड़ों को लेकर स्वास्थ्य विभाग में काफी चर्चा है। दरअसल मुख्यमंत्री की समीक्षाओं के दौरान एक आला आईएएस के इशारे पर यह आईएएस केवल वे ही आंकड़े और जानकारियां सामने ला रही हैं जिससे सरकार की छवि बनी रहे और मुखिया भी खुश रहें। मप्र में कोरोना के आंकड़ों के इन खेल को लेकर देश दुनिया के अखबारों में खबरें छपने लगी हैं। इस आईएएस को वास्तविकता की नहीं सरकार की छवि की चिंता है।

    एक अस्पताल, दो राज्य, तीन जिले
    पहली बार मप्र के एक अस्पताल की सुविधाओं का दो राज्यों के तीन जिलों के कोरोना मरीजों के लिए बंटवारा किया गया है। निवाड़ी जिले के ओरछा में बना शानदार रामराजा अस्पताल पार्टनरों के झगड़े के कारण दो साल से बंद पड़ा था। निवाड़ी विधायक अनिल जैन के प्रयासों से राज्य सरकार ने कोरोना मरीज के लिए इस अस्पताल का अधिग्रहण कर लिया है। उप्र के झांसी सीमा पर स्थित इस अस्पताल के 300 पलंगों को तीन जिलों में बांट दिया गया है। 100 पलंग झांसी जिले को, 100 पलंग निवाड़ी जिले को और 100 पलंग टीकमगढ़ जिले को दिये गये हैं। इसी अनुपात में इन तीन जिलों के डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ को अस्पताल में तैनात किया गया है। फिलहाल अस्पताल को शुरू करने को लेकर भाजपा नेताओं ने श्रेय लेने की होड़ मची हुई है।

    रमाशंकर के पुराने तेवर
    नई पीढ़ी के लोग शायद रमाशंकर सिंह को नहीं जानते होंगे। 80 के दशक में मप्र की राजनीति में युवा तुर्क के रूप में पहचाने जाने वाले रमाशंकर सिंह को तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने विपक्षी राजनीति से लाकर कांग्रेस ज्वाइन कराई थी और मंत्री भी बनाया था। इन्हीं रमाशंकर सिंह ने ग्वालियर में आईटीएम विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। आजकल रमाशंकर सिंह के नाम की चर्चा नरेन्द्र मोदी पर सबसे तीखे हमले करने के लिए हो रही है। सोशल मीडिया पर रमाशंकर सिंह की प्रतिदिन आने वाली पोस्ट नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की नीतियों पर जमकर हमला करने वाली हैं। लंबे समय बाद मप्र के लोग रमाशंकर सिंह के पुराने तेवर सोशल मीडिया पर देख रहे हैं।

    भाजपा के पूर्व विधायक जाएंगे जेल
    टीकमगढ़ के एसडीएम सौरभ मिश्रा ने तय कर लिया है कि चाहे कुछ हो जाए भाजपा के पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव को जेल भेजकर रहेंगे। श्रीवास्तव पर आरोप है कि उन्होंने एसडीएम मिश्रा को उनके घर में घुसकर न केवल पीटा बल्कि उन्हें जाने से मारने की धमकी भी दी। सौरभ मिश्रा राज्य प्रशासक सेवा के ईमानदार अधिकारी हैं। उन्होंने श्रीवास्तव के खिलाफ थाने में एफआईआर कराने के साथ टीकमगढ़ कलेक्टर को साफ कर दिया है कि वे किसी दबाव में एफआईआर वापस नहीं लेंगे। श्रीवास्तव ने जिस तरह अपमान किया है वे उन्हें जेल भेजकर चैन लेंगे।

    शोक में भोपाल
    यूं तो पूरे मध्यप्रदेश में कोरोना का कहर जारी है। लेकिन इस सप्ताह भोपाल ने अपनी ऐसी चार हस्तियों को खो दिया जिनके कारण इस शहर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थीं। इन चार लोगों की मौत से भोपाल शोक मग्न है। देश के जाने माने इतिहासकार सुरेश मिश्र के अचानक निधन से शहर उभर भी नहीं पाया था कि जाने-माने फिल्म समीक्षक व आलोचक सुनील मिश्र का कोरोना से निधन हो गया। शहर के बड़े शिक्षाविद केएल ठकराल को भी कोरोना ने लील लिया। इन तीनों की मौत के मातम के बीच अचानक रविवार देर रात खबर आई कि देश के बड़े साहित्यकार और भोपाल के बेटे मंजूर एहतेशाम का निधन हो गया। इनके निधन से भोपाल के साहित्य जगत में मायूसी छा गई है। शहर के हालात ऐसे हैं कि वे अपने इन चारों लाड़लों को ढंग से श्रद्धांजलि भी नहीं दे पाए।

    और अंत में….
    इस सप्ताह केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल न चाहकर भी बेवजह के विवाद में उलझ गए। राष्ट्रीय स्तर पर उनकी फजीहत हुई। जबकि सच्चाई यह है कि उनसे कोई गलती नहीं हुई थी। दरअसल दमोह जिला अस्पताल में एक युवक अपनी मां को इलाज न मिलने की शिकायत को लेकर मंत्रीजी के सामने आया था। वह लगातार गालियां दे रहा था। मंत्रीजी ने सहजता से अपनापन दिखाकर कह दिया कि गालियां देगा तो दो खाएगा। मंत्रीजी ने यह बात लाड़ जताते हुए और युवक को सांत्वना देने के लिए कही थीं, लेकिन इसका वीडियो ऐसा वायरल हुआ कि मंत्रीजी वास्तव में उस युवक की पिटाई करना चाहते थे। कुछ मौका परस्त लोगों ने इस वीडियो को राष्ट्रीय स्तर पर वायरल करके और खबरें बनाकर मंत्रीजी की फजीहत करा दी। मंत्री अभी भी नहीं समझ पा रहे कि उन्होंने ऐसा क्या किया जिस कारण उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है।

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