आईएएस को चाहिए 30 प्रतिशत
यह बड़ी चौंकाने वाली खबर है। अगले एक साल में रिटायर होने वाले एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी को उनके कारनामों के कारण लूप लाईन भेजा गया था, लेकिन लूप लाईन में भी वे जमकर बेटिंग कर रहे हैं। इनके पास शिक्षण संस्थाओं को आर्थिक सहायता देने का काम है। अधिकारी ने अपने विभागीय मंत्री को साफ कर दिया है कि मंत्रीजी को जो लेना है लें, वह 30 प्रतिशत से कम नहीं लेंगे। जिन संस्थाओं को पिछले साल 50 लाख मिले थे उन्हें 30 प्रतिशत के लिए डेढ़ करोड़ तक मिल रहे हैं। बताते हैं कि इसमें मंत्री का भी हिस्सा है। इसकी शिकायत ऊपर तक पहुंच गई है। देखना है क्या कार्रवाई होती है।
भाजपा की लाजवाब जोड़ी
लंबे समय बाद प्रदेश भाजपा में दो नेताओं की जोड़ी चर्चा का विषय बनी है। दोनों नेता ग्वालियर चंबल संभाग से आते हैं। दोनों की पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की है। दोनों की शैली आक्रामक है और दोनों एक दूसरे पर अटूट भरोसा करते हैं। हम बात कर रहे हैं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर की। पाराशर को भाजपा में वीडी शर्मा की परछाई कहा जाने लगा है। दोनों साथ-साथ प्रवास कर रहे हैं। दमोह उपचुनाव में भी यह जोड़ी छाई हुई है। रणनीति के तहत इन दोनों नेताओं ने दमोह में बड़ी सभाएं करने के बजाए कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए धर्म और समाज से जुड़े लोगों से व्यापक संपर्क किया और उन्हें भाजपा की ओर लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
जुगाड़ काम आ गई
प्रदेश के एक आईएएस अधिकारी एक साल से मुख्यमंत्री के नजदीक पहुंचने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन बताते हैं कि मुख्यमंत्री इस अधिकारी से बेहद नाराज थे। शिवराज सिंह पिछले कार्यकाल मेें इस अधिकारी पर काफी भरोसा करते थे, लेकिन कमलनाथ सरकार में अधिकारी ने न केवल गिरगिट की तरह रंग बदल लिया था, बल्कि जमकर पैसा भी कूटा था। शिवराज सिंह ने चौथी बार शपथ लेने के बाद इस अधिकारी के पर काटते हुए इससे दूरी बना ली थी। अधिकारी पिछले 6 महीने से मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन नहीं मिल पा रहे थे। अचानक अधिकारी को ऐसी जुगाड़ हाथ लगी जिसके जरिये उन्हें फिलहाल ऐसा काम सौंप मिल गया है जिससे वे मुख्यमंत्री की बैठकों में शामिल हो सकें। देखते हैं कि बैठकों के जरिए यह अधिकारी मुख्यमंत्री का विश्वास फिर से हासिल कर पाते हैं या नहीं?
सूचना आयुक्त का सवाल
मप्र में राहुल सिंह तेज तर्रार पत्रकार माने जाते थे। वे पत्रकार से सूचना आयुक्त बना दिए गए, लेकिन उनके तेवर अभी भी पत्रकारों जैसे ही हैं। राहुल सिंह सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। उनके ट्वीटर अकाउंट पर उनका एक सवाल आजकल चर्चा का विषय है। राहुल सिंह ने आम लोगों से पूछा है कि वह भ्रष्टाचार के लिए किसे दोषी मानते हैं। भ्रष्ट नेताओं, भ्रष्ट अधिकारी/कर्मचारी, भ्रष्ट न्यायाधीश, भ्रष्ट व्यापारी ठेकेदार, भ्रष्ट मीडिया या वह भ्रष्ट जनता जो रिश्वत देती है? राहुल के इस सवाल पर लोग तरह-तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं। एक सवाल यह भी है कि मप्र के संवैधानिक पद पर बैठे हुए सूचना आयुक्त को आखिर सोशल मीडिया पर इस तरह के सवाल पूछने की जरूरत क्यों पड़ी?
शमशान पर शर्मनाक अवैध वसूली
इस सप्ताह ग्वालियर शमशान घाट पर नगर निगम की अवैध वसूली का मुद्दा चर्चा में है। सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर सप्रा से उनके पिता के अंतिम संस्कार के समय 1500 रुपए की वसूली हुई। सप्रा ने निगमायुक्त शिवम वर्मा को सोशल मीडिया पर धमकी दी कि उनके 1500 रुपए वापिस नहीं भिजवाए तो वह अपने पिता की अस्थियां निगमायुक्त दफ्तर में रखकर आ जाएंगे। इसके बाद हलचल शुरु हुई और कुछ घंटे में ही रिश्वत की यह राशि सप्रा के घर पहुंचा दी गई। शमशान घाट का सुपरवाईजर माफी मांगकर यह राशि लौटा आया। लेकिन बेशर्म वसूली को लेकर आयुक्त ने अभी तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है।
कमलनाथ करा पाएंगे समझौता!
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ आजकल पार्टी के दो नेताओं के बीच समझौता कराने का प्रयास कर रहे हैं। बताते हैं कि इस मामले में उन्हें काफी सफलता भी मिलती दिख रही है। प्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह नहीं चाहते थे कि भाजपा में गए पूर्व उपनेता प्रतिपक्ष राकेश सिंह कांग्रेस में वापिस आएं। लेकिन राकेश सिंह की कांग्रेस में सम्मानजनक वापसी हो गई। कांग्रेस में आने के बाद भी अजय सिंह का विरोध जारी रहा। यही कारण है कि उन्हें मेहगांव से कांग्रेस का टिकट नहीं मिल पाया। कमलनाथ ने अब इन दोनों नेताओं के बीच समझौता कराने के प्रयास तेज कर दिए हैं। दरअसल कमलनाथ चाहते हैं कि राकेश सिंह को ग्वालियर-चंबल संभाग में कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरे के रूप में उभारा जाए। उन्होंने इसके लिए डॉ. गोविंद सिंह को लगभग सहमत कर लिया है। बताते हैं कि अजय सिंह के भी विरोधी तेवर पहले से ढीले पड़ गए हैं। अभी अजय सिंह और राकेश सिंह को आमने सामने बिठाना बाकी है।
और अंत में…..
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया के बाद मनोज श्रीवास्तव को झटका देकर पूरी नौकरशाही को बड़ा संदेश दे दिया है। जुलानिया और श्रीवास्तव पिछले कार्यकाल में शिवराज सिंह के चहेते अफसर माने जाते थे। जुलानिया को डेढ महीने से बिना काम के बिठा रखा है और श्रीवास्तव से रिटायरमेंट के 21 दिन पहले महत्वपूर्ण विभाग छीन लिये गये हैं। इस घटना से उन अफसरों में हडकंप है जो स्वयं को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का खास होने का ढोल पीटते थे। मजेदार बात यह है कि शिवराज के नजदीक रहे जो अधिकारी प्रतिनियुक्ति से लौटने का मन बना रहे थे, वे दिल्ली में ही बने रहने में भला समझ रहे हैं।
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