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    सुनी सुनाई: मंगलवार 02 मार्च 2021

  • March 02, 2021

    भ्रष्टाचार की सालगिरह
    मप्र की राजनीति में पहली बार भाजपा कार्यकर्ताओं ने छिंदवाड़ा में भ्रष्टाचार की सालगिरह मनाई। दरअसल कमलनाथ सरकार ने छिंदवाड़ा में एक सिंचाई प्रोजेक्ट को लेकर अपने चहेते ठेकेदार को बिना काम के 512 करोड़ रुपए एडवांस थमा दिए। छिंदवाड़ा में भाजपा ने इसे बड़ा भ्रष्टाचार बताते हुए कई शिकायतें कीं। पिछले दिनों इस भ्रष्टाचार का एक साल पूरा हुआ तो जिला भाजपा ने छिंदवाड़ा में बकायदा आयोजन कर भ्रष्टाचार की सालगिरह मनाई और कमलनाथ को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। वैसे भोपाल से भी एक खबर है कि शिवराज सरकार ने छिंदवाड़ा में चल रही कई योजनाओं का फंड रोक दिया है। दरअसल कमलनाथ ने प्रदेश का अधिकांश बजट छिंदवाड़ा भेजा था। अब हालात बदल गए।

    विभाग मिला, राजनीति खत्म
    मप्र मंत्रिमंडल में एक विभाग ऐसा है जो जिसे मिला उसकी राजनीति लगभग खत्म हो गई। प्रदेश का महिला बाल विकास विभाग का जिम्मा अधिकांश महिलाओं को दिया जाता रहा है। इस विभाग में कुपोषण और आंगनबाड़ी के नाम पर अनेक भ्रष्टाचार की शिकायतें भी आती रहती हैं। फिलहाल इस विभाग को महिला नेत्रियों के लिए पनौती माना जाने लगा है। प्रदेश में पांच महिला मंत्री ऐसी हैं जिन्हें यह विभाग मिला तो उनकी राजनीति लगभग खत्म हो गई। इनमें कुसुम महदेले, रंजना बघेल, अर्चना चिटनीस, माया सिंह और इमरती देवी के नाम लिए जा रहे हैं। महिला बाल विकास मंत्री रहते इमरती देवी न केवल चुनाव हार गई बल्कि वे राजनीतिक परिदृश्य से फिलहाल लापता हैं।

    जुलानिया पांचवे शिकार
    मप्र में पिछले एक साल में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की जमकर फजीहत हुई है। इनमें कुछ मौजूदा और कुछ रिटायर आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें लगभग अपमानित करके घर भेजा गया है, पुरानी फाईलें खोली गई हैं या लूप लाईन किया गया है। मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी राधेश्याम जुलानिया इस मामले में पांचवे शिकार बताए जा रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान के चौथी बार शपथ लेने के बाद सबसे पहले गोपाल रेड्डी को मुख्य सचिव पद से हटाया गया। इसके बाद पूर्व मुख्य सचिव परशुराम को सुशासन संस्थान के महानिदेशक की कुर्सी से हटाकर घर भेजा गया। तीसरे नंबर पर पूर्व मुख्य सचिव एंटोनी डीसा की रेरा के अध्यक्ष की कुर्सी छीनी गई। अगला नंबर पूर्व मुख्य सचिव एसआर मोहंती का आया। मोहंती के खिलाफ पुरानी जांचों को खोला गया और विभागीय जांच की तैयारी भी शुरू हो गई है। कभी शिवराज के बेहद खास रहे जुलानिया भी बच नहीं सके। उन्हें पहले मनमानी करने की छूट दी गई और फिर अचानक माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष की कुर्सी से हटाकर फिलहाल बे-काम (ओएसडी)कर दिया गया है।

    कमलनाथ की दुर्दशा
    मप्र कांग्रेस में ऐसी दुर्दशा पहले किसी नेता की नहीं हुई जैसी इस समय पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की हो रही है। भोपाल से दिल्ली तक कमलनाथ के खिलाफ मोर्चाबंदी कर दी गई है। अरूण यादव, लक्ष्मण सिंह, मीनाक्षी नटराजन, मानक अग्रवाल, सुभाष सोजतिया खुलकर विरोध में उतर गए हैं। खास बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस में सबसे ताकतवर ठाकुर लॉबी मौन रहकर घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। लेकिन यह लॉबी भी अब मप्र से कमलनाथ की विदाई चाहती है। दरअसल पूरी लड़ाई कमलनाथ और शिवराज के मधुर संबंधों को लेकर भी है। नाराज नेताओं का मानना है कि 15 साल की मेहनत के बाद प्रदेश में सरकार बनी तो कमलनाथ के चारों ओर दलालों की फौज सक्रिय रही। सरकार जाने के बाद कमलनाथ ने शिवराज से हाथ मिला रखा है। कमलनाथ के खिलाफ कांग्रेस नेताओं की बैठकों के दौर पहले ही शुरू हो गए थे। गोड़से की विचारधारा के व्यक्ति को कांग्रेस में लेने का मुद्दा मिलते ही कमलनाथ पर हमले शुरू हो गए हैं। यह लड़ाई कमलनाथ की मप्र से विदाइ तक चलने की संभावना है।

    भाजपा से नाराज रामबाई
    बसपा विधायक रामबाई कब किससे खुश हो जाएं और कब किससे नाराज हो जाएं कह नहीं सकते। कभी कमलनाथ को बड़ा भाई बताने वाली रामबाई ने प्रदेश के दो मंत्रियों को जीजा बताते हुए भाजपा को समर्थन दे दिया था। लेकिन आजकल रामबाई के बयान भाजपा नेताओं के खिलाफ आ रहे हैं। रामबाई ने अपने विधानसभा क्षेत्र में भाजपा नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए इस बात पर आपत्ति करना शुरू कर दिया है कि दलितों के घर भोजन करके फोटो छपवाकर यह नेता दलितों की गरीबी का मजाक उड़ा रहे हैं। दरअसल रामबाई अपने पति को हत्या के आरोप से बचाने में असफल होने से दुखी हैं। कमलनाथ सरकार के समय उनके पति का नाम एक हत्या के आरोप से हटा दिया गया था। लेकिन अब भाजपा सरकार से उन्हें मदद नहीं मिल रही। इसकी गुस्सा उनके बयानों में झलकने लगी है।

    सिंधिया के खिलाफ पाठक
    ग्वालियर से कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने कांग्रेस नेतृत्व से आग्रह किया है कि वे अगला चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ लडऩा चाहते हैं। पाठक ने पार्टी से आग्रह किया कि सिंधिया अगला लोकसभा या विधानसभा चुनाव जहां से भी लड़ें वे उनके विरुद्ध उतरना चाहते हैं। पार्टी ने उन्हें तैयार रहने को कहा है। कांग्रेस के इस तेज तर्रार युवा विधायक को कांग्रेस में उभरते ब्राह्मण नेता के रूप में भी देखा जा रहा है। उपचुनाव के बाद प्रवीण पाठक इकलौते कांग्रेस नेता हैं जिन्होंने ग्वालियर चंबल संभाग में सिंधिया के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सिंधिया खेमे ने भी जवाबी हमले किए हैं। पाठक के कई व्यवसायों पर प्रशासनिक चोट की गई है। सिंधिया और पाठक की यह अदावत प्रदेश की राजनीति में नया गुल खिला सकती है।

    और अंत में…..
    कानून व्यवस्था की दृष्टि से मप्र में हमेशा सीमावर्ती राज्यों के जिलों के अधिकारियों से बेहतर तालमेल किया जाता रहा है, लेकिन इस समय मप्र के मुरैना और राजस्थान के धौलपुर पुलिस प्रशासन के बीच ठीक-ठाक संबंध नहीं हैं। रेत के अवैध व्यापार को लेकर दोनों जिलों की पुलिस के बीच मतभेद साफ दिखाई दे रहे हैं। धौलपुर के पुलिस अधीक्षक बकायदा पत्र लिखकर मप्र के रेत माफिया पर नियंत्रण की गुहार लगा रहे हैं। वे सार्वजनिक रूप से बयान दे रहे हैं कि मुरैना पुलिस माफिया पर अंकुश नहीं लगा पा रही है जिसका असर उनके जिले पर भी पड़ रहा है। कानून व्यवस्था की दृष्टि से दोनों जिलों का यह टकराव घातक हो सकता है।

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