पूर्व मुख्यसचिव की अग्रिम जमानत
मप्र के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है कि कोई पूर्व मुख्यसचिव गिरफ्तारी के डर से हाईकोर्ट पहुंचा हो, जहां उन्होंने महंगे वकील करके अग्रिम जमानत ले ली है। दरअसल मामला प्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडर घोटाले से जुड़ा है। ईडी ने इस मामले में पूर्व मुख्यसचिव गोपाल रेड्डी से पूछताछ की थी। इसके बाद दो ठेकेदारों राजू मेंटाना और आदित्य त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था। गोपाल रेड्डी को आशंका थी कि ईडी उन्हें भी गिरफ्तार कर सकती है। इसी आशंका के आधार पर उन्होंने आंध्रा हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली है।
क्या कमलनाथ होंगे गिरफ्तार?
मप्र में कई राजनैतिक मामलों में मुख्यमंत्री के बजाए संगठन स्तर पर निर्णय हो रहे हैं। ताजा उदाहरण के कांग्रेस के पूर्व मंत्री उमंग सिंघार और कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर करने का है। राजनैतिक हल्कों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री इन एफआईआर के पक्ष में नहीं थे, लेकिन प्रदेश भाजपा संगठन ने एफआईआर का फैसला कर लिया था। अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पन्ना प्रवास के दौरान दो टूक शब्दों में कह दिया है कि या तो कमलनाथ हनीट्रैप की सीडी पुलिस को सौंपे, वर्ना जेल जाने को लिए तैयार रहें। प्रदेश संगठन के रूख को देखते हुए वीडी शर्मा के बयान को गंभीरता से लिया जा रहा है। यह तय है कि दो जून को कमलनाथ हनीट्रैप की कोई सीडी एसआईटी को नहीं सौंपेंगे। क्या वाकई प्रदेश भाजपा सरकार व संगठन इस मामले में कमलनाथ के खिलाफ धमकी देने और ब्लैकमैलिंग करने का प्रकरण दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करवाएंगे?
चर्चा में भाजपा सांसद का इस्तीफा!
मप्र में एक भाजपा विधायक से मामूली विवाद के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और टीकमगढ भाजपा के वरिष्ठ सांसद वीरेंद्र कुमार ने संगठन के सामने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। दरअसल टीकमगढ़ जिला क्राइसिस कमेटी की बैठक में टीकमगढ़ विधायक राकेश गिरी और सांसद के बीच विवाद इतना बढ़ा की अधिकारी बीच-बचाव नहीं करते तो कुछ भी हो सकता था। विवाद के बाद सांसद, खरगापुर विधायक राहुल लोधी, जिला भाजपा अध्यक्ष और महामंत्री ने बैठक का बहिष्कार किया। चर्चा है कि जिला महामंत्री ने इस पूरे मामले की मोबाइल से रिकॉडिंग कर ली थी। सांसद वीरेंद्र कुमार ने संगठन को इस रिकॉडिंग के साथ इस्तीफे की पेशकश की है। दूसरी ओर विधायक राकेश गिरी को कोई चिंता नहीं है। उनके समर्थकों का कहना है कि पूरे कोरोना काल में राकेश गिरी ही जनता के काम आ रहे थे। सांसद कहां छुपे थे पता नहीं? दरअसल इस विवाद की जड़ राकेश गिरी द्वारा अपनी पत्नि के लिये पृथ्वीपुर विधानसभा से टिकट मांगना बताया जा रहा है।
रिटायर आईएएस कांग्रेस नेता का ओएसडी
मप्र के कई रिटायर आईएएस प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से राजनैतिक पार्टियों के सलाहकार बन जाते हैं। पिछले दिनों एक रिटायर आईएएस अधिकारी कांग्रेस उपाघ्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर के ओएसडी के रूप में प्रकट हुए। जब यह आईएएस कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठकों में शामिल होने लगे तो पार्टी में हलचल शुरू हो गई। कांग्रेस में लंबे समय से जुड़े एक दूसरे रिटायर आईएएस ने कमलनाथ को संदेश भेजा है कि नए बने ओएसडी के कारण कांग्रेस की गोपनीय सूचनाएं सीएम हाउस आसानी से पहुंच रही हैं। दरअसल जो रिटायर आईएएस चंद्रप्रभाष शेखर के ओएसडी बने हैं उन्हें रिटायरमेंट के बाद शिवराज सिंह चौहान ने एक साल एक संस्थान में संविदा नियुक्ति देकर उपकृत किया था। इसलिए वे शिवराज भी खास बताये जाते हैं। हालांकि उनका कहना है कि चन्द्रप्रभाष जी जब मंत्री थे, तब वे उनके विशेष सहायक थे। तभी से वे उनके खास हैं।
सिंधिया के लिए सिरदर्द प्रवीण पाठक
ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस छोड़े लगभग एक साल हो गया, लेकिन ग्वालियर में किसी बड़े या पुराने कांग्रेसी नेता की आजतक हिम्मत नहीं हुई कि वे सिंधिया के खिलाफ खुलकर बोल सकें। लेकिन पहली बार के नवोदित विधायक प्रवीण पाठक ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए सिरदर्द बन गए हैं। पूरे कोरोना काल में सबसे ज्यादा सक्रिय रहने वाले प्रवीण पाठक ने सोशल मीडिया पर खुलासा कर दिया है कि जिस समय ग्वालियर की जनता सबसे बड़ी महामारी से जूझ रही थी और अनेक लोग बेमौत मारे जा रहे थे, ऐसे समय में ज्योतिरादित्य सिंधिया विशेष विमान से दुबई रवाना हो गए हैं। प्रवीण पाठक के इस दावे को तीन दिन हो गए हैं, लेकिन सिंधिया कैंप की ओर से अभी तक इस बात का खंडन नहीं किया गया है। इतना तय है कि पिछले तीन महीने में वे महज कुछ घंटे के लिए मुख्यमंत्री के साथ बैठक करने ग्वालियर आए थे।
दमोह बना गले की हड्डी
प्रदेश भाजपा संगठन के लिए दमोह विधानसभा उपचुनाव के बाद पूर्व मंत्री जयंत मलैया, उनके पुत्र और पांच मंडल अध्यक्षों के खिलाफ की गई निलंबन की कार्रवाई गले की हड्डी बन गया है। दमोह में 70 प्रतिशत से ज्यादा भाजपा नेता और कार्यकर्ता मलैया के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। मलैया, उनके पुत्र और पांचों मंडल अध्यक्ष संगठन के समक्ष अपना पक्ष रख चुके हैं। संगठन के सामने परेशानी यह है कि केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल इस बात पर अड़े हैं कि जयंत मलैया को पार्टी से बाहर किया जाए। सारे मामले को देखकर संगठन भी फिलहाल मलैया के खिलाफ कार्रवाई के पक्ष में नहीं है। यही कारण है कि संगठन के तीन बड़े पदाधिकारी वीडी शर्मा, सुहास भगत और हितानंद शर्मा ने दिल्ली पहुंचकर इस मुद्दे पर केंद्रीय नेतृत्व से बात की है। इसी बीच यह तीनों नेता दिल्ली में प्रहलाद पटेल के घर भी पहुंचे। चर्चा है कि संगठन प्रहलाद पटेल और जयंत मलैया के बीच सुलह का कोई रास्ता तलाश रहा है।
और अंत में…
पूरे कोरोना काल में जब प्रदेश के सभी बाजार, दुकानें और कारोबार ठप थे ऐसे में भोपाल संभाग के एक भाजपा विधायक का होटल और बार पूरे समय न केवल खुला रहा बल्कि जमकर पार्टियां भी हुईं। इस दौरान विधायक के होटल में भोपाल से लेकर इंदौर तक धनकुबेरों की महफिलें भी जमीं रहीं। दोपहर से देर रात तक 200 से 250 कारों का काफिला इस होटल की पार्किंग में देखा जा सकता था। कई बड़े मंत्री और नेता वहां से गुजरे लेकिन किसी की हिम्मत इस संबंध में मुंह खोलने की नई हुई। मजेदार बात यह है कि जब पूरे प्रदेश में शादियों पर पाबंदी थी तब इस होटल में धड़ल्ले से बारात आ रही थी और फेरे हो रहे थे।
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