संकट में पूर्व मुख्य सचिव
म प्र के एक रिटायर मुख्य सचिव की परेशानियां बढऩे के संकेत मिल रहे हैं। मप्र केडर के यह आईएएस अधिकारी रिटायरमेंट के बाद सामान समेटकर अपने गृह राज्य जाने की तैयारी कर ही रहे थे इसी बीच खबर आई है कि शिवराज सरकार उन पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। सरकार को पता चला है कि इन अधिकारी के खिलाफ ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूतों के साथ एफआईआर हुई थी। अधिकारी ने अपने प्रभाव का उपयोग करके एफआईआर में से अपना नाम हटवा लिया था। ऐसी ही शिकायत लोकायुक्त में भी लंबित थीं। दोनों स्थानों से क्लीन चिट मिलने के बाद ही वे मुख्य सचिव बने थे। खबर आ रही है कि भाजपा सरकार इस अधिकारी को आसानी से छोडऩे को तैयार नहीं है। ईओडब्ल्यू की एफआईआर के मुद्दे पर फिर से फाईल खोलने की तैयारी है।
भाजपा के नए संकट मोचक
प्र देश भाजपा में अभी तक संकट मोचक के रूप में तेज-तर्रार नेता नरोत्तम मिश्रा का नाम लिया जा रहा था, लेकिन पिछले कुछ दिन से पार्टी में नए संकट मोचक के रूप में सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया का नाम लिया जाने लगा है। कांग्रेस की सरकार गिराने, विधायकों को बैंगलोर में रखने, कांग्रेस के विधायकों को तोडऩे के सारे मिशन का नेतृत्व अरविंद भदौरिया करते दिखाई दिए। अब उप चुनाव से पहले भाजपा ने सरकार बचाने के लिए प्लान बी पर काम शुरू किया तो इसका जिम्मा भी अरविंद भदौरिया को सौंपा गया। उपचुनाव से पहले ही भदौरिया दो निर्दलीय विधायकों को भाजपा में खींच लाए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान फिलहाल अरविंद भदौरिया से सीधे संपर्क में बताए जाते हैं।
पलटा सट्टा बाजार
उपचुनाव में मतदान से पहले ही सट्टा बाजार पलटता दिखाई दे रहा है। उपचुनाव के शुरुआती दौर में सट्टा बाजार भाजपा को 28 में से 20 सीटें दे रहा था। उपचुनाव में भाजपा नेताओं की सुस्ती और कांग्रेस की आक्रामक शैली का ही परिणाम है कि सट्टा बाजार भी पलटता दिखाई दे रहा है। ताजी जानकारी के अनुसार अब सट्टा बाजार 28 में से 13 सीटें भाजपा को और 15 कांग्रेस को दे रहा है। अभी मतदान में समय है इसमें भी उलटफेर हो सकता है।
वासनिक ने ली ग्यारंटी
ग्वालियर चंबल संभाग में अभी भी कांग्रेस के नेता इस बात से डरे हुए हैं कि उपचुनाव के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया फिर से कांग्रेस में आ सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो सिंधिया कांग्रेस के उन नेताओं से चुन-चुन कर बदला लेंगे जो फिलहाल पूरी निष्ठा के साथ कांग्रेस के साथ जुड़े हैं। ऐसे कुछ नेताओं ने उपचुनाव में सिंधिया का विरोध करने से परहेज किया है। इसकी भनक लगते ही मप्र कांग्रेस के प्रभारी मुकुल वासनिक खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने ग्वालियर में कांग्रेस के नेताओं को भरोसा दिलाया कि वासनिक के जीते जी ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस में वापिसी नहीं होगी। देखते हैं कि वासनिक की इस ग्यारंटी का कांग्रेस नेताओं पर कितना असर होता है।
ग्वालियर के नए अटल
श निवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर की प्रमुख हस्तियों के साथ सौजन्य मुलाकात की। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री लोगो की समस्याएं सुनकर भरोसा दिला रहे थे कि उपचुनाव के बाद उनकी सभी समस्याओं का निराकरण कर दिया जाएगा। इसी दौरान अचानक मुख्यमंत्री ने ग्वालियर के प्रमुख लोगों को अहसास कराया कि मप्र में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद दिल्ली में भाजपा के सबसे दमदार नेता बनकर नरेन्द्र सिंह तोमर उभर गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि तोमर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे विश्वनीय मंत्री हैं। शिवराज ने एक तरह से नरेन्द्र सिंह तोमर को ग्वालियर का नए अटल बिहारी वाजपेयी बताया तो वहां उपस्थित सभी लोगों ने देर तक तालियां बजाकर इस बात पर गर्व की अनुभूति करा दी।
हिसाब पाई-पाई का
भा जपा के एक नेताजी हिसाब के मामले में पक्के हैं। शिवराज के पिछले कार्यकाल में नेताजी ने कुछ अधिकारियों और ठेकेदारों की मदद की थी। लेकिन सरकार चले जाने पर एक आईएएस अधिकारी और एक बड़ा ठेकेदार नेताजी के कमीशन के पैसे खा गया। इस बात की शिकायत नेताजी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी करते हुए अपना कमीशन मांगा था। लेकिन तब भी आईएएस और ठेकेदार ने उनका हिस्सा नहीं दिया। समय बदला और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद नेताजी ने आईएएस और ठेकेदार के खिलाफ एक जांच एजेंसी को लिखित शिकायत भेज दी। इस शिकायत के बाद आईएएस और ठेकेदार दौड़ते हांपते नेताजी के पास पहुंचे और ब्याज सहित उनका हिस्सा देकर जान छुड़ाई।
रिश्वत का अकाउंट नंबर
म प्र में बेहद ईमानदार अधिकारी की छवि बनाने वाले एक आईएएस अधिकारी के कुछ रिश्तेदारों के ऐसे अकाउंट नंबरों का खुलासा होने वाला है जिनमें रिश्वत की राशि का लेनदेन हुआ है। अधिकारी के कार्यकाल में हजारों करोड़ के निर्माण के ठेके दिए गए थे। खास बात यह है कि यह अधिकारी कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के नेताओं का लाड़ला रहा है। लेकिन प्रदेश के ही कुछ अधिकारी खार खाकर इनके पीछे पड़े हैं। खबर है कि जिस निर्माण एजेंसी का प्रभार इस अधिकारी के पास था उसी विभाग के अधिकारियों ने रिश्वत के अकाउंट नंबर जुटाकर मंत्रालय की नई बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर भेज दिए हैं।
और अंत में…
म प्र के उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सक्रिय न होने से कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के नेता दुखी दिखाई दे रहे हैं। दरअसल पिछले 16 साल में प्रदेश के हर चुनाव में भाजपा दिग्विजय सिंह को मिस्टर बंटाढार कहकर माहौल बिगाडती थीं। इसके अलावा दिग्विजय सिंह के बयानों को भी हिन्दू विरोधी बताकर लाभ लेने की कोशिश करती थीं। इस बार दिग्विजय सिंह न तो मैदान में दिखाई दे रहे हैं और न ही लीक से हटकर बयानबाजी कर रहे हैं। भाजपा को फिलहाल कोई बड़ा मुद्दा हाथ नहीं लग पा रहा है। दूसरी ओर दिग्विजय सिंह परदे के पीछे रहकर कांग्रेस के लिए डेमेज कंट्रोल का काम संभाले हुए हैं।
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