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    सुनी सुनाई : मंगलवार 24 नवंबर 2020

  • November 24, 2020

    नो पार्किंग में इमरती देवी
    म प्र की महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी न केवल सरकार में बल्कि सड़क पर भी नो पार्किंग में नजर आ रही हैं। चुनाव हारने के लगभग 15 दिन बाद भी वे मंत्री पद छोडऩे को तैयार नहीं है। इधर भोपाल के न्यू मार्केट में ट्रेफिक पुलिस ने उनकी कार को उस समय नो पार्किंग में पकड़ा जब वे स्वयं कार में बैठी थीं। इमरती देवी पुलिस वाले को हड़काती रहीं कि मुझे नहीं जानता मैं मप्र की मंत्री हूं। पुलिस वाले ने डर के मारे चालान नहीं बनाया, लेकिन इस घटना के बाद मंत्रालय में इमरती देवी की मंत्री पद की नेम प्लेट को देखकर अधिकारी भी कमेंट करने लगे हैं कि यहां भी इमरती देवी नो पार्किंग में खड़ी हैं।

    गडकरी की खरी-खरी
    कें द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बड़े तरीके से मप्र सरकार को आईना दिखा दिया है। दिल्ली से मुंबई के बीच 8 लाईन का दुनिया का सबसे बड़ा हाईवे बनने जा रहा है। यह हाईवे 244 किलोमीटर मप्र से गुजरेगा। गडकरी चाहते हैं कि 2023 तक इसका काम पूरा हो जाए। लेकिन मप्र सरकार की सुस्ती से गडकरी दुखी हैं। उन्होंने मीडिया के जरिए शिवराज सिंह चौहान से आग्रह किया है कि इस हाईवे के निर्माण के लिए गिट्टी मुरम की जरूरत होगी इसके लिए राज्य सरकार माइनिंग की अनुमति ऑनलाइन या डिजीटल कर दे तो आसानी होगी। गडकरी जानते हैं कि माइनिंग की अनुमति कैसे और कितने में मिलती है। गडकरी ने बड़े सलीके से यह भी शिकायत कर दी है कि इस हाइवे के लिए भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की राशि राज्य सरकार को दी जा चुकी है लेकिन सरकार की सुस्ती के कारण यह पैसा हितग्राहियों को वितरित नहीं किया जा रहा है। गडकरी की इस खरी-खरी के बाद देखते हैं सरकार पर क्या असर होता है।

    नेता प्रतिपक्ष का होगा चुनाव
    म प्र में कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोडऩे का मन बना चुके हैं। लेकिन नया नेता प्रतिपक्ष किसे बनाया जाए यह सवाल सबसे कठिन है। लगभग 15 दिन बाद दिल्ली से लौटे कमलनाथ ने अपने सलाहकारों से मशवरा करने के बाद यह निर्णय ले लिया है कि वे नेता प्रतिपक्ष के चयन में गुटबाजी नहीं होने देंगे और न ही यह आरोप लगने देंगे कि कमलनाथ ने अपने गुट के विधायक को इस पद पर बिठाया है। तय किया गया है कि कांग्रेस विधायक दल स्वयं नेता प्रतिपक्ष का चयन करे। बेशक कमलनाथ ने यह फैसला कर लिया हो लेकिन कांग्रेस में परम्परा रही है कि विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित होता कि विधायक दल के नेता का चयन पार्टी हाईकमान पर छोड़ा जाता है। देखते हैं कि प्रदेश का अगला नेता प्रतिपक्ष चुनाव से होगा या हाईकमान की इच्छा से।

    राजनीति में जीजा-साली
    म प्र में अब यह तय हो गया है कि अगले तीन साल भाजपा की सरकार को कोई खतरा नहीं है। इसके साथ ही बसपा विधायक रामबाई ने एक नई राजनीतिक रिश्तेदारी की घोषणा कर दी है। उन्होंने सागर के दो भाजपा नेताओं भूपेन्द्र सिंह और गोविन्द राजपूत को अपना जीजा बताते हुए कहा है कि वह अगला चुनाव भाजपा के टिकट पर लडऩा चाहती हैं। कुछ माह पहले तक कांग्रेस के कमलनाथ के गुण गाने वाली रामबाई को अब भाजपा की विचारधारा सबसे अच्छी लगने लगी है। बसपा अपनी इस गुणवान विधायक को उनकी ऊल-जुलूल बयानों के कारण पहले ही पार्टी से निलंबित कर चुकी है। दरअसल रामबाई की चिंता उनके पति की जमानत का मामला है। हत्या के मामले में कमलनाथ ने उनकी मदद करके पति का नाम हटवा दिया। लेकिन अब पीडि़त परिवार फिर से कोर्ट पहुंच गया है। ऐसे में सरकार के साथ रहना रामबाई की मजबूरी है।

    सिंधिया के खिलाफ प्रवीण का मोर्चा
    ग्वा लियर चंबल संभाग में आजकल कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक सबसे चर्चित चेहरे के रूप में सामने आ गए हैं। उन्हें प्रभात झा के विकल्प के रूप में देखा जाने लगा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया जब तक कांग्रेस में रहे तब तक भाजपा के प्रभात झा उनके खिलाफ मोर्चा खोले रहे। झा ने उन्हें भू-माफिया सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सिंधिया के भाजपा में आने के बाद बेशक प्रभात झा ने चुप्पी साध ली है। लेकिन झा की जगह ग्वालियर दक्षिण के विधायक प्रवीण पाठक ने ले ली है। पाठक लगभग रोज सिंधिया पर जमकर हमला कर रहे हैं। सिंधिया परिवार की जमीनों को लेकर और सिंधिया के इशारे पर ग्वालियर जिला प्रशासन द्वारा कांग्रेस नेताओं के खिलाफ की जा रही कार्रवाई पर सबसे तीखे हमले प्रवीण पाठक ही कर रहे हैं। दरअसल दो साल पहले जब सुरेश पचौरी ने प्रवीण पाठक के टिकट की अनुशंसा की थी तो सिंधिया ने खुला विरोध किया था। पहली बार विधायक बने पाठक की तीखी शैली को लेकर उनकी ग्वालियर से लेकर भोपाल तक जमकर तारीफ हो रही है।

    मुकेश श्रीवास्तव बने सिरदर्द
    ल गभग दो साल पहले छत्तीसगढ़ से मप्र आए मुकेश श्रीवास्तव नामक कारोबारी अब कांग्रेस नेताओं सहित कई कारोबारियों के लिए सिरर्द बन गए हैं। छत्तीसगढ़ में इवेंट और प्रचार कंपनी चलाने वाले मुकेश श्रीवास्तव के खिलाफ वहां ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज हुई तो उन्होंने कमलनाथ के एक सलाहकार के जरिए मप्र में आमद दी। देखते-देखते वे कमलनाथ की आंखों के तारे बन गए। मप्र सरकार में लगभग सभी विभागों के प्रचार-प्रसार का ताना-बाना मुकेश श्रीवास्तव तय करने लगे। पहले से यहां काम कर रहे कारोबारी भी मुकेश के यहां हाजरी लगाने लगे। अब आयकर छापे के बाद मुकेश श्रीवास्तव तो अभी तक फरार है लेकिन उनसे जुड़े कई कारोबारी तो परेशान है ही वे अधिकारी भी खासे परेशान हैं जिनसे जबरन गलत काम करा लिए गए हैं। मुकेश श्रीवास्तव फिलहाल कई लोगों के लिए सिरर्द बने हुए हैं।

    और अंत में….
    म प्र कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। प्रदेश कांग्रेस के एक बड़े नेता भाजपा का दामन थाम सकते हैं। कभी प्रदेश में काफी ताकतवर माने जाने वाले यरह नेता पिछले कुछ समय से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया उन पर डोरे डाल रहे हैं। भाजपा ने बेहद सलीके से इस नेता के पास संदेश भेज दिया है कि आयकर विभाग में उनकी संपत्ति की फाईल तैयार हो चुकी है। अब नेताजी के सामने भाजपा में जाने के अलावा शायद कोई विकल्प नहीं है।

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