शपथ के लिए लंबा इंतजार
मप्र में सिंधिया समर्थक विधायकों को मंत्री बनने के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा। फिलहाल शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल विस्तार शुभ मुहुर्त न होने के कारण संक्रांति (14 जनवरी) तक के लिए टाल दिया है। सिंधिया समर्थक विधायक तुलसी सिलावट और गोविन्द राजपूत का बनना तो तय है, लेकिन विभाग को लेकर अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। परिवहन विभाग अभी तक गोविन्द राजपूत के पास था, लेकिन इसे भाजपा के किसी पुराने मंत्री को दिए जाने को लेकर अंतिम निर्णय होना है। गोविन्द राजपूत को कोई अन्य महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
प्रद्युम्न का नाम क्यों?
आयकर की सूची में सिंधिया समर्थक मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के नाम 3 लाख रुपए की इंट्री पाई गई है। प्रद्युम्न सिंह तोमर कमलनाथ सरकार में मंत्री थे। यह बात तय है कि कमलनाथ ने किसी मंत्री को कोई राशि नहीं दी तो फिर तोमर का नाम सूची में कैसे आया। दरअसल हकीकत यह है कि तोमर के प्रभार के जिले शिवपुरी में एक सड़क दुर्घटना में चार-पांच लोग घायल हुए थे। इनके उपचार के लिए तोमर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री सहायता कोष से मदद मांगी थी। तत्काल इलाज के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय ने 2 लाख रुपए नगद शिवपुरी भेजे। इसकी इंट्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के नाम से चढ़ा दी गई। बताते हैं तोमर ने आयकर छापे के बाद कमलनाथ से शिकायत की थी कि इलाज के लिए 2 लाख रुपए भेजे गए तो 3 लाख की इंट्री कैसे हुई?
राडार पर ठेकेदार
भोपाल में एक युवा ठेकेदार जांच एजेंसियों के राडार पर आ गया है। इस ठेकेदार ने लगभग 99.50 लाख रुपए प्रदेश के एक वरिष्ठ आईएएस के खाते में ट्रांसफर किए थे। बाद में सफाई दी कि उसने अपनी बहन के नाम आईएएस से प्लाट खरीदा है। अब आयकर विभाग की सूची बाहर आने के बाद यह ठेकेदार फिर से न केवल चर्चा में है, बल्कि जांच एजेंसियों के राडार पर भी आ गया है। आयकर की सूची के अनुसार इस ठेकेदार ने कमलनाथ सरकार के समय 9 करोड़ 45 लाख की नगदी चढ़ाई है। बताया जाता है कि यह ठेकेदार स्वयं की फर्म के साथ-साथ दक्षिण भारत की एक कंपनी के लिए भी काम करता है।
रसिक आईपीएस
आजकल पुलिस मुख्यालय से लेकर भोपाल के थानों तक में एक रसिक आईपीएस के किस्से चटकारे लेकर सुनाए जा रहे हैं। दरअसल इस आईपीएस अधिकारी की दोस्ती एक सुंदर महिला से हुई। इस महिला ने आईपीएस की ऐसी नसें दबाई कि आईपीएस उनके इशारे पर नाचने लगे। इस महिला ने आईपीएस की मदद से भोपाल के थानों में कई लोगों के खिलाफ रिपोर्ट कराकर उन्हें ब्लैकमेल करने का प्रयास किया। पिछले दिनों महिला की शिकायत भोपाल के वरिष्ठ पुलिस अफसरों तक पहुंची तो खुलासा हुआ कि सारी शिकायतें रसिक आईपीएस के प्रभाव के कारण दर्ज हुई हैं। खबर है कि पुलिस मुख्यालय से इस रसिक आईपीएस को लताड़ पड़ चुकी है।
एफआईआर पर चिंतन
आयकर विभाग की रिपोर्ट के बाद मप्र के तीन आईपीएस और एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के खिलाफ ईओडब्ल्यू में एफआईआर कराने को लेकर सरकार सहमी हुई है। पिछले एक सप्ताह से चिंतन-मंथन के दौर चल रहे हैं। आयकर विभाग की पिछली कार्रवाईयों का मूल्यांकन किया जा रहा है। आयकर विभाग की रिपोर्ट में अधिकारियों के खिलाफ जो प्रमाण दिए गए हैं वह इन अफसरों को सजा दिलाने के लिए नाकाफी माने जा रहे हैं। एफआईआर कराने से कहीं सरकार के लिए ही आफत खड़ी न हो जाए, क्योंकि कांग्रेस से भाजपा में आए तमाम मंत्री और विधायकों के नाम भी रिपोर्ट में हैं। ऐसे में सरकार इस अनचाही परेशानी से बचने के तरीके खोज रही है।
कमलनाथ का क्या होगा?
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भविष्य को लेकर भोपाल से दिल्ली तक अटकलों के दौर चल रहे हैं। कमलनाथ के इस बयान ने कि अब वे आराम करने के मूड में है, इन अटकलों को हवा दे दी है। कमलनाथ पिछले कई दिन से दिल्ली में डेरा डाले थे। खबर आ रही है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा के निधन के बाद पार्टी को एक योग्य खजांची की जरूरत है। कमलनाथ ही ऐसे नेता है जो पार्टी के लिए फंड इकट्ठा कर सकते हैं। क्या वाकई कांग्रेस उन्हें राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष का जिम्मा सौंपेगी। इसमें सबसे बड़ी समस्या कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव है। कमलनाथ, सोनिया गांधी के साथ तो सहज हैं, लेकिन राहुल गांधी से उनकी पटरी बैठना थोड़ा मुश्किल है।
और अंत में….
सरकारें समारोह पूर्वक लोगों को सहायता तो बांटती हैं लेकिन समारोह पूर्वक कर्ज बांटते पहली बार दिखाई दी। मप्र में छोटे कारोबारियों को दस हजार तक का कर्ज बैंक से दिलाने के लिए राज्य सरकार ने आयोजन कर डाला। आयोजन में शामिल अधिकारी और कर्ज लेने वाले भी यह कहते नजर आए कि अभी तक सरकारें लोगों की न लौटाने वाली मदद के लिए आयोजन करती थीं, लेकिन पहली बार लोगों को कर्जदार बनाने के लिए आयोजन हुआ है।
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