विवादों में आंध्रा के अफसर
म प्र में आंध्रप्रदेश के रहने वाले आईएएस और आईपीएस अफसरों के बारे में अब यह धारणा बनती जा रही है कि यह कूटकर पैसा कमा रहे हैं। एक आईपीएस अफसर के वीडियो जारी होने के बाद सरकार ने उन्हें लूप लाईन डाल रखा है। अब आंध्रा के ही रहने वाले एक अन्य आईपीएस का ऑडियो जारी हुआ है, जिसमें एक कबाड़ी उन्हें जमकर धमका रहा है और लेन-देन की पोल खोलने की चेतावनी दे रहा है। आंध्रा के रहने वाले कई आईएएस अधिकारियों पर भी ऐसे ही आरोप लगते रहे हैं। इनमें से एक सेवानिवृत मुख्यसचिव तो फिलहाल शिवराज सरकार के सीधे निशाने पर हैं।
पूर्व जज का सनसनी आरोप
इं दौर के पूर्व जज एनके जैन ने फेसबुक पर प्रदेश के एक आईपीएस का नाम लिखकर सनसनीखेज आरोप लगाया है। पूर्व जज का दावा है कि इंदौर के लोकअभियोजन कार्यालय के एक अधिकारी प्रदेश के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की जेब और उनका बिस्तर गरम करने का काम करते थे। पूर्व जज ने मप्र सरकार से इसकी जांच की मांग की है। फिलहाल सरकार ने आरोप लगने से पहले ही इस आईपीएस को निलंबित कर दिया है। इस आईपीएस के कार्यकाल में मलाई चाटने वाले तमाम लोग अभियोजकों के अटैचमेंट भी खत्म कर दिए गए हैं। पूर्व जज के आरोप की जांच पर अभी सवालिया निशान है।
छापे की तैयारी
ख बर आ रही है कि मप्र के एक आईएएस अफसर आयकर विभाग के सीधे निशाने पर हैं। आयकर विभाग ने इस आईएएस का यहां छापा मारने के लिए मुख्यालय से अनुमति मांगी है। आईएएस के परिवार का बड़ा निवेश मप्र, उत्तर प्रदेश, गोवा आदि में होने के संकेत मिले हैं। केवल भोपाल में आईएएस के परिवार की 80 एकड़ नामी-बेनामी जमीनों के दस्तावेज आयकर विभाग के पास पहुंच चुके हैं। आईएएस के परिवार को भी इस बात की भनक है।
कांग्रेस की बूढ़े विधायकों पर नजर
म प्र कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के निर्देश पर कांग्रेस की एक टीम भाजपा के बूढ़े विधायकों पर नजर और उनसे संवाद बनाए हुए हैं। इनमें लगभग 4 से अधिक विधायक विंध्य क्षेत्र के बताए जाते हैं। दरअसल भाजपा ने नियम बनाया है कि 65 पार के किसी नेता को विधायक या सांसद का टिकट नहीं दिया जाएगा। जबकि कांग्रेस में आजकल बूढ़ों का बोलबाला है। कमलनाथ ने भाजपा के बूढ़ों विधायकों को संदेश भेजा है कि यदि वे कांग्रेस में आते हैं तो उनकी टिकट पक्की मानी जाए। विधानसभा उपचुनाव के बाद कांग्रेस इस दिशा में तेजी से आगे बढऩा चाहती है।
अरूण की हुंकार
प्र देश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव कभी आक्रमक नेता नहीं रहे हैं। उनकी छवि सरल, सहज और सौम्य नेता की रही है। लेकिन आजकल अरूण यादव के भाषण बेहद तीखे और आक्रमक हो गए हैं। दतिया और अशोकनगर में उन्होंने जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके परिवार पर सीधा निशाना बोला वह सुनकर भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेता हैरान हैं। मुखबिरों की खबर है कि अरूण यादव ने अपनी भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखकर कमलनाथ कोटरी में जगह बनाने सिंधिया परिवार के प्रति आक्रमक रूख अख्तियार किया है। फिलहाल तो कांग्रेस और सिंधिया से नाराज भाजपाइयों को अरूण यादव के तीखे बाण खूब लुभा रहे हैं।
नारियल बनाम शैंपेन
मप्र में उपचुनाव धीरे-धीरे तीखा और जहरीला होता जा रहा है। चुनाव में टाइगर के बाद काला कौआ भी प्रवेश कर चुका है। कमलनाथ और शिवराज के बीच वॉक युद्ध अब नारियल बनाम शैंपेन तक पहुंच गया है। कमलनाथ ने शिवराज को झूठा बताने नारियल साथ लेकर चलने की बात क्या कही, शिवराज ने अपने स्वभाव से विपरीत अभी तक का सबसे बड़ा हमला कमलनाथ पर बोलते हुए कह दिया कि मैं नारियल लेकर चलता हूं शैंपेन की बोतल लेकर नहीं। फिलहाल शिवराज के इस हमले का कमलनाथ ने कोई जवाब नहीं दिया है। लेकिन तय माना जा रहा है कि जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आएगी नेताओं के बोल वचन तीखे और विवादास्पद होते जाएंगे।
बेदखल होते एक्स सीएस
म प्र में शिवराज सरकार ने ही यह परम्परा शुरू की थी कि मुख्य सचिव को रिटायर होते ही उनका पुनर्वास कर दिया जाता था। इसका फायदा यह होता था कि कुर्सी पर बैठे मुख्य सचिव वैध-अवैध सारे काम बड़े आसानी से करते थे। क्योंकि उन्हें रिटायरमेंट के बाद मलाई चाटने की इच्छा बनी रहती थी। 15 महीने विपक्ष में रहने के बाद शिवराज सिंह चौहान को यह ज्ञान प्राप्त हो गया है कि रिटायर मुख्य सचिव को कुर्सी देना फायदे का सौदा नहीं है। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने कुर्सियों पर जमे प्रदेश के तीनों पूर्व मुख्य सचिवों को एक-एक कर बेदखल करना शुरू कर दिया है। सुशासन संस्थान से परशुराम की असम्मानजनक विदाई हो गई है। रेरा की कुर्सी पर चिपके एंटोनी डीसा को एक झटके में घर रवाना कर दिया गया है और अब बसंत के पतझड़ की तैयारी है। राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त की कुर्सी पर बैठे पूर्व मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह को पद छोडऩे के संकेत दे दिए गए हैं। यदि उन्होंने इसे संवैधानिक पद बताकर छोडऩे से इंकार किया तो खासगी मामले में उनके खिलाफ एफआईआर की भी तैयारी है।
और अंत में…..
को ई नेता अपने परिवार के वफादार कुत्ते की समाधि का सौदा कर सकता है यह सोचकर भी हैरानी होती है। लेकिन ग्वालियर चंबल संभाग में कांग्रेस ने कुत्ते की समाधि को चुनाव का बड़ा मुद्दा बना दिया है। दरअसल सिंधिया परिवार की चार पीढ़ी पूर्व उनके वफादार कुत्ते की मौत के बाद ग्वालियर में उसकी भव्य समाधि बनाई गई थी। इस समाधि को देखने अनेक लोग पहुंचते थे और सिंधिया परिवार के वफादार कुत्ता चर्चा का विषय रहता था। कांग्रेस का आरोप है कि कांग्रेस से गद्दारी करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने परिवार के वफादार कुत्ते की समाधि की भूमि को 13 करोड़ में बेच डाला है। देखते ही कुत्ते की वफादारी और सिंधिया की गद्दारी इस चुनाव में क्या गुल खिलाती है।
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