कहां हैं नेताजी की गाय-भैंस?
मप्र भाजपा के एक दिग्गज नेता ने घोषणा की थी कि 62 साल की उम्र होते ही वे सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लेंगे। सन्यास के बाद वे नानाजी देशमुख की तरह समाज सेवा का मार्ग चुनेंगे। नेताजी ने कहा था कि वे एक एकड़ जमीन खरीदेंगे जहां बच्चों के लिए 5वीं तक का स्कूल खोलेंगे। इसके अलावा 5 गाय और 2 भैंस भी पालेंगे। नेताजी अब लगभग 64वें वर्ष में प्रवेश कर गए हैं। आज भी वे राजनीति में पहले की तरह सक्रिय हैं। यह बात दूसरी है कि भाजपा ने फिलहाल उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी है, लेकिन नेताजी अपनी सक्रियता और बयानों से स्वयं को मुख्य धारा में बनाए हुए हैं।
99 लाख, रिश्वत या सौदा?
मप्र के एक ठेकेदार ने प्रदेश के एक ईमानदार और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खाते में 99 लाख 50 हजार रुपए घुमा फिरा कर डाले हैं। जांच एजेंसियों ने इस मनी ट्रेल को पकड़ लिया है। इतनी बड़ी राशि ठेकेदार ने पहले अपनी फर्म से निकालकर स्वयं के खाते में डाली फिर अपने माता-पिता के खाते में डाली, फिर पिता के खाते में डाली इसके बाद अधिकारी के खाते में पहुंचा दी। मजेदार बात यह है कि पूरी रकम मात्र 6 घंटे में घुमाई गई। इस संबंध में अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन ठेकेदार सफाई दे रहे हैं कि उसकी बहन ने अधिकारी के एक प्लाट का सौदा किया है, जिसके एवज में यह रकम भेजी गई है। मजेदार बात यह है कि इस अधिकारी के एक जुनियर ने पहले ही अपनी सीनियर पर एक करोड़ के लेनदेन की शिकायत थाने तक में कर दी है।
मामला हाईपावर कमेटी को
प्रदेश के एक रिटायर्ड आईपीएस की कथित अवैध संपत्ति का मामला केंद्र की एक हाईपावर कमेटी को सौंपा गया है। इस कमेटी में सीबीआई, ईडी एवं आयकर के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहते हैं। यह पूरा मामला पिछले दिनों भोपाल में पड़े आयकर छापों से ही जुड़ा हुआ है। यह बात दूसरी है कि आयकर विभाग अभी तक इन छापों से रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी का संबंध प्रमाणित तौर पर नहीं जोड़ पाया है, लेकिन यह भी सही है कि ईडी के निर्देश पर आयकर के छापे की फाइल आईपीएस अधिकारी के नाम पर ही बनी है। अब इस मामले को हाईपावर कमेटी देखेगी।
बीस-पचास में नपेंगे आईपीएस
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि कर्मचारी और अधिकारियों के प्रति काफी सॉफ्ट रही है, लेकिन चौथे कार्यकाल में मुख्यमंत्री के तेवरों से अधिकारी घबड़ाए हुए हैं। मुख्यमंत्री ने भ्रष्ट और नकारा अधिकारी और कर्मचारियों को घर बैठाने बीस-पचास की स्कीम को सख्ती से लागू करने का फैसला कर लिया है। यानि जिन भ्रष्ट अधिकारियों की बीस साल की नौकरी हो गई हो या 50 साल की उम्र हो गई हो उन्हें जबरन रिटायर किया जा सकता है। अब खबर आ रही है कि प्रदेश के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को घर बैठाने यह फार्मूला लाया गया है। इसके पहले भी तीन आईपीएस अधिकारियों को इस फार्मूले के तहत घर बैठाना था, लेकिन तत्कालीन डीजीपी ने दो अधिकारियों को बचा लिया और मयंक जैन को घर बैठा दिया। अब डीजी स्तर के एक अधिकारी का इस फार्मूले में फंसकर घर बैठना तय माना जा रहा है।
दिल्ली में भूमिका तलाशते कमलनाथ
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अब मध्यप्रदेश में रहेंगे या दिल्ली कूच करेंगे इसके लेकर अटकलों के दौर शुरू हो गए हैं। खबर आ रही है कि दिल्ली में कांग्रेस में मचे घमासान के बीच कमलनाथ अपनी भूमिका तलाशने लगे हैं। यदि कांग्रेस हाईकमान सम्मान जनक रूप से कमलनाथ को दिल्ली बुलाता है तो वे कतई देर नहीं करेंगे। दूसरी ओर कमलनाथ के सलाहकार उन्हें समझा रहे हैं कि अब चुनाव में तीन साल ही बचे हैं। इस दौरान मप्र में पंचायत और नगरीय चुनाव भी होना हैं, यह समय देखते-देखते निकल जाएगा। कमलनाथ को मप्र नहीं छोडऩा चाहिए। कांगे्रस के सामने सबसे बड़ा आर्थिक संकट है। कमलनाथ के रहते पार्टी को फंड की दिक्कत नहीं होगी, लेकिन यदि कोई नया नेता आता है तो उसके सामने फंड सबसे बड़ी परेशानी होगा।
रेड्डी होंगे सलाहकार
यह बात सर्वविदित है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निशाने पर पूर्व मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी रहे हैं। सरकार चाहती थी कि आर्थिक अनियमितताओं की शिकायतों पर रेड्डी को जांच एजेंसियों के जरिए फंसाया जाए, लेकिन रेड्डी इस सप्ताह सामान समेट कर हैदराबाद रवाना हो रहे हैं। खबर आ रही है कि उन्हें तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने अपना सलाहकार बनाने की सहमति दे दी है।
एदल निपटे… इमरती बचीं
मप्र मेें तीन मंत्री उपचुनाव हार गए, लेकिन सिंधिया समर्थक दो मंत्री अपनी कुर्सी बचाए हुए हैं, जबकि सिंधिया खेमे के बाहर के मंत्री एदल सिंह कंसाना का त्याग पत्र मंजूर कर लिया गया है। दरअसल, चुनाव हारने के बाद तीनों मंत्रियों ने अपने इस्तीफे मुख्यमंत्री को भेजे थे। मुख्यमंत्री सचिवालय से केवल एदल सिंह कंसाना का इस्तीफा स्वीकार करने राजभवन भेजा गया है। इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया के इस्तीफे फिलहाल मुख्यमंत्री के पास रखे हैं। इससे संकेत मिलते हैं कि कांग्रेस से भाजपा में आए विधायकों में सिंधिया समर्थक ही खास हैं बाकि का हाल एदल सिंह जैसा होना है।
…और अंत में
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के संबंधों की केमिस्ट्री गजब की है। दोनों एक दूसरे के खिलाफ बयान तो देते हैं, लेकिन दोनों के व्यक्तिगत संबंध दोस्ती से बढ़कर हैं। उपचुनाव हारने के बाद दोनों के बीच तीनों मुलाकात काफी चर्चा में रही हैं। खास बात यह है कि कमलनाथ भाजपा नेता कैलाश सारंग के घर शोक व्यक्त करने गए तो शिवराज पहले से मौजूद थे। इसी तरह कमलनाथ गोंदिया में शिवराज के ससुर के निधन पर शोक व्यक्त करने पहुंचे तो वहां भी शिवराज पहले से मौजूद थे। मप्र की राजनीति में इन दोनों नेताओं की केमिस्ट्री चर्चा में जरूर है।
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