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    सुनी सुनाई…. रवीन्द्र जैन

  • August 04, 2020

    आदेश नहीं, बधाईयां जारी
    म ध्यप्रदेश के आईएएस अधिकारी संजय दुबे मुख्यमंत्री सचिवालय में प्रमुख सचिव बनाए जाने की अटकलों के आधार पर ही पिछले 5 दिन से बधाईयां स्वीकार कर रहे हैं। लेकिन इतने दिन बीतने के बाद भी उनके आदेश नहीं निकले हैं। 31 जुलाई को सोशल मीडिया पर खबर चली कि संजय दुबे को मुख्यमंत्री का मुख्य सचिव बनाया जा रहा है। अगले दिन से ही बधाईयां का सिलसिला शुरू हो गया। मजेदार बात यह है कि संजय दुबे बधाईयां स्वीकार भी कर रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि आज के समय यह जिम्मेदारी कांटो भरी है, दुआएं दीजिए कि मैं सफल रहूं। अब सभी को आदेश की प्रतीक्षा है।

    उमा-अरूण की उम्मीदें
    म ध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव को रोशनी की किरण दिखाई देने लगी हैं। दोनों नेताओं की हसरत है कि एक बार मध्यप्रदेश विधानसभा में चुनकर पहुंचे। उमा भारती की नजर बड़ा मलहरा सीट पर है। जहां से कांग्रेस विधायक ने उमा के कहने पर विधायकी छोड़कर भाजपा ज्वाइन की है। अब इस सीट से उमा चुनाव लडऩा चाहती है। इसी तरह अरूण यादव लंबे समय से विधानसभा की सीढिय़ां चढऩे का सपना देख रहे हैं। मंधाता सीट से भी कांग्रेस के विधायक इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं। इस सीट से अब अरूण यादव स्वयं की दावेदारी पेश कर सकते हैं।

    जयभान का जुलूस
    ऐ से समय में जबकि मध्यप्रदेश में कोरोना का कहर बरप रहा है। पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने भूमि पूजन के लिए अयोध्या जाने से पहले ग्वालियर में न केवल जुलूस निकाला बल्कि बिना डिस्टेसिंग और बिना मास्क के अपना जोरदार स्वागत भी कराया। मध्यप्रदेश से भूमि पूजन में सिर्फ दो नेता बुलाए गए हैं। उमा भारती इस मामले में काफी ऐहतियात बरत रही हैं। उन्होंने कोरोना के कारण आयोजन के समय वहां उपस्थित रहने से इंकार कर दिया है, ताकि उनके कारण कोई संक्रमित न हो। दूसरी ओर जयभान सिंह पवैया ने पहले ग्वालियर में जुलूस निकाला और अयोध्या पहुंचते ही बिना मास्क लगाए वे चंपतराय के साथ बैठे दिखाई दे रहे हैं। ऐसी लापरवाही भारी न पड़ जाए।

    सुमावली की सियासत
    म ध्यप्रदेश में मुरैना जिले की सुमावली सीट की सियासत भी अजब है। इस सीट से इस्तीफा देने वाले विधायक ऐंदल सिंह कंसाना पहले बसपा में रहे। दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में मंत्री बनने के लिए वे बसपा छोड़ कांग्रेस में आए और मंत्री बने। कमलनाथ के कार्यकाल में उन्हें मंत्री नहीं बनाया तो कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गए और मंत्री बन गए। ऐसा ही हाल इस सीट से उनके प्रतिद्वंदी अजब सिंह कुशवाह का है। कुशवाह पहले बसपा में थे। भाजपा ने टिकट का लालच दिया तो वे पिछले चुनाव में भाजपा से लड़े, लेकिन ऐेंदल सिंह कंसाना से हारने के बाद अजब सिंह टिकट के लालच में कांग्रेस में आ गए। यानि पिछले विधानसभा में जो भाजपा से लड़े थे वो अगला चुनाव कांग्रेस से लड़ेंगे और जो कांग्रेस से लड़े थे वे भाजपा से।

    सतीश थामेंगे हाथ
    ल गभग सुमावली जैसा ही हाल ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट का है। लंबे समय तक समाजवादी रहे मुन्नालाल गोयल टिकट के लालच में कांग्रेस आए थे। दूसरी ओर समाजवादी परिवार के सतीश सिंह सिकरवार के पिता गजराज सिंह सिकरवार ने भाजपा का दामन थामा था। पिछले विधानसभा चुनाव में ग्वालियर पूर्व से सतीश सिकरवार भाजपा से और मुन्नालाल गोयल कांग्रेस से लड़े थे। अब बाजी पलटती दिखाई दे रही है। मुन्नलाल के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस की नजर सतीश सिकरवार पर है। खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सतीश के पिता गजराज सिंह सिकरवार से सीधी बात की है। उम्मीद है सतीश जल्द ही कांग्रेस का हाथ थामेंगे।

    उपेन्द्र ने सिखाई पुलिसिंग
    भो पाल जोन के आईजी उपेन्द्र जैन ने पूर्व जोन में अधिकारियों को नए सिरे से पुलिसिंग सिखा दी है। अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए उपेन्द्र की शैली पूरे पुलिस विभाग को भा रही है। पिछले दिनों जिस तरह भोपाल में पुलिस ने सख्ती से कार्रवाई की है उससे उसकी अलग छवि बन रही है। प्यारेमिया का मामला हो या हुक्का बार में बिगड़े रईसजादों का। भू-माफिया रमाकांत विजयवर्गीय की फरारी हो या बिहार का जालसाज डॉ. राजन की चालबाजियां, पुलिस ने सीधी और सख्त कार्रवाई की है। उपेन्द्र जैन के आने के बाद भोपाल पुलिस में राजनीतिक हस्तक्षेप भी लगभग खत्म हो गया है।

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