नई दिल्ली (New Dehli) । आगामी शनिवार (next saturday)यानि 14 अक्टूबर को पृथ्वी (Earth)से अंतरिक्ष में एक खास नजारा (special view)देखने को मिलेगा. इसमें सूर्य के अंदर एक काली आकृति (Shape)बन जाएगी जिससे उसके आसपास एक आग का छल्ला दिखाई देगा जिसे रिंग ऑफ फायर कहते हैं और यह काला धब्बा वास्तव में चंद्रमा होता है जो सूर्य ग्रहण के कारण ऐसी दृश्य बनाने में मदद करता है. इस दिन साल का अंतिम सूर्य ग्रहण कुछ ऐसा ही कुछ दृश्य पैदा करेगा जो कभी कभी दिखाई देता है. यानि हर सूर्य ग्रहण में ऐसा दिखाई नहीं देता है. यह चंद्रमा की पृथ्वी की तुलना में विशेष स्थिति के कारण बनता है.
खास तरह का सूर्य ग्रहण
चंद्रमा जब भी पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तो पृथ्वी पर उसकी छाया पड़ती है. इससे पृथ्वी पर अनोखा नजारा दिखाई देता है. 14 को दुनिया के कुछ हिस्सों में दिखने वाला सूर्य ग्रहण सामान्य नहीं है. यह खास सूर्य ग्रहण एन्युलर सोलर एक्लिप्स यानि कंकणाकृति सूर्यग्रहण होगा. जिससे रिंग ऑफ फायर का नजारा बनेगा.
सूर्य ग्रहण में विविधता
मूमन सूर्य ग्रहण में कभी तो पूरा सूरज चंद्रमा के पीछे छिप जाता है तो कभी लोगों को केवल एक चमकती सी अंगूठी दिखाई देती है. है जब चंद्रमा सूर्य की तीव्र चमक को पूरी तरह से ढक लेता है, तब पूर्ण सूर्यग्रहण की स्थिति बनती हैं और सूर्य की बाहरी वायुमडंल कोरोना बहुत ही धुंधला दिखाई देता है.
रिंग का ऑफ फायर का सूर्यग्रहण
लेकिन यह नजारा भी तभी बन सकता है जब चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाते समय खास तरह के पतले रास्ते से हो कर गुजरे जिसे पाथ ऑफ टोटलिटी कहते हैं. जब सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी की तुलना में एक ही रेखा में आते हैं लेकिन चंद्रमा का दिखाई देने वाला आकार सूर्य से छोटा होता है, तब एन्युलर यानि कंकणाकृति सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है.
कैसे बनता है छल्ला
कंकणाकृति सूर्य ग्रहण में सूर्य एक छल्ले के जैसा दिखाई देता है ,जो चंद्रमा की काली डिस्क के चारों ओर होती है. इसी को एन्युलस कहते हैं. सामान्य पूर्ण सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से रोक देता है जबकि कंकणाकृति सूर्य ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा में उससे सबसे दूर हो जाता है और इसी कारण से चंद्रमा आसमान में सूर्य की तुलना में कुछ छोटा दिखाई देता है और सूर्य को पूरी तरह से ढका नहीं दिखता है. यही स्थिति उसके आसपास एक आग का छल्ला दिखाने लगती है.
और भी होती हैं अवस्थाएं
वहीं एक बीच की अवस्था भी होती है जो पूर्ण सूर्य ग्रहण और कंकणाकृति सूर्य ग्रहण के बीच होकर एक अलग ही स्थिति बनाती है. पृथ्वी पर कहीं यह पूर्ण सूर्य ग्रहण की तरह दिखता तो कहीं कंकणाकृति सूर्य ग्रहण की तरह, लेकिन ऐसा कम होता है, जबकि आंशिक सूर्यग्रहण की स्थिति सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी की रेखा में सटीक तौर पर नहीं आने पर बनती है.
भारत में नहीं दिखेगा यह सूर्य ग्रहण
यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा क्योंकि यह सूर्य ग्रहण की स्थिति तब बनेगी जब भारत में रात होगी भारत ग्रहण के समय में चंद्रमा की उल्टी दिशा में होगा. जब चंद्रमा भारत में दिखने लगेगा तब तक सूर्य ग्रहण खत्म हो चुका होगा. यह ग्रहण उत्तर, मध्य और दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा.
भारत के लोग इस सूर्य ग्रहण को अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए देख सकते हैं. नासा के मुताबिक सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार रात 8.35 बजे देखा जा सकेगा. अमेरिका में इसे ओरेगॉन, अमेरिका के कैलिफोर्निया, नेवादा, टेक्सास, उटाह, एरिजोना, न्यूमैक्सिको, राज्यों में देखा जा सकेगा. वहीं मैक्सिको, ग्वेटामाला, बेलिजे, हॉन्डोरस, निकारागुआ, पनामा, कोलंबिया, और ब्राजील में यह सूर्यास्त से पहले दिखाई देगा.
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