इस्लामाबाद (Islamabad)। पाकिस्तान (Pakistan) की राजनीतिक पार्टी जमीयत उलेमा इस्लाम एफ (Political party Jamiat Ulema Islam F.) के प्रमुख मौलाना फजल-उर रहमान (Maulana Fazal-ur Rehman.) पिछले हफ्ते अफगानिस्तान की यात्रा (Afghanistan Tour) पर गए थे. उन्होंने दावा किया कि वह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रहे तनाव को दूर करने के लिए अफगानिस्तान में तालिबान प्रमुख से मुलाकात करने गए हैं. उन्होंने वहां तालिबान प्रमुख से मुलाकात भी की. इसी दौरान उन्होंने आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान (TTP) के प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद से मुलाकात की और वादा किया कि अगर उनकी पार्टी खैबर पख्तूनवा में सत्ता में आती है, तो वह टीटीपी आतंकवादियों को जेल से रिहा कर देंगे।
दरअसल खैबर पख्तूनवा प्रांत में टीटीपी का खासा बोलबाला है. इसके अलावा पंजाब प्रांत में भी टीटीपी का अच्छा खासा दबदबा है. माना जा रहा है कि इसी कारण मौलाना फजल उर रहमान ने टीटीपी प्रमुख से आगामी 8 फरवरी को होने वाले चुनाव में मदद मांगी है।
सियासत के सुल्तान कहे जाते हैं मौलाना रहमान
मौलाना फजल उर रहमान को पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में सियासत का सुल्तान के नाम से जाना जाता है. वह तालिबान के कट्टर समर्थक नेताओं में शुमार किए जाते हैं. रहमान उन नेताओं में है जिन्होंने पाकिस्तान में इस्लामी शरिया के मुताबिक कानून लागू करने की मांग की थी।
मौलाना फजल उर रहमान की अफगानिस्तान यात्रा को पाकिस्तान प्रशासन ने कहा था कि यह पूरी तरह से व्यक्तिगत यात्रा है और इसका पाकिस्तान प्रशासन से कोई लेना-देना नहीं है. पाकिस्तान प्रशासन को जैसे ही यह पता चला कि मौलाना फजल उर रहमान की मुलाकात टीटीपी प्रमुख से हुई है तो उनकी विदेश प्रवक्ता मुमताज जाहूरा बलोच ने बाकायदा बयान जारी करते हुए कहा कि पाकिस्तान सरकार आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं करेगी. यानी साफ है कि पाकिस्तान की होने वाले चुनाव में खूनी दौर अभी लगातार जारी जाने की संभावना है।
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