भोपाल। मध्य प्रदेश में बढ़ते आत्महत्या के मामलों को देखते हुए शिवराज सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश सरकार इसकी रोकथाम के लिए सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी/आत्महत्या रोकथाम नीति लाने वाली है। एमपी देश में यह पॉलिसी लाने वाला पहला राज्य होगा।
दरअसल, इसे लेकर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जानकारी देते हुए कहा कि नीति तैयार करने के लिए एक कमेटी गठित की गई है। फिलहाल प्रदेश सुसाइड के मामले में तीसरे नंबर पर है। उन्होंने कहा कि 2022 खत्म होते-होते सुसाइड प्रीवेंशन पॉलिसी प्रदेश में लागू हो जाएगी।
मंत्री ने बताया कि आत्महत्या रोकथाम नीति की तैयार करने के लिए एक कमेटी बनाई की गई है। इस कमेटी में डॉक्टर, साइकोलॉजिस्ट और साइकेट्रिस्ट को शामिल किया गया हैं। जानकारी देते हुए मंत्री ने कहा कि ये कमेटी आत्महत्या के मुख्य वज़हों पर स्टडी कर इस नीति को बनाने में मदद करेगी। फिलहाल नीति तैयार होने का काम अंतिम चरण में है।
जानकारों का कहना है कि हर व्यक्ति की आत्महत्या करने का अलग कारण होता है। डिप्रेशन, तनाव की वजह से आत्महत्या करने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा कई बार मेडिकल कारण भी होता है। जब इंसान के पास अपनी परेशानी से निकलने का कोई रास्ता नहीं होता, तो भी वो आत्महत्या करता है।
एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के अनुसार आत्महत्या करने वाले फैमिली प्रॉब्लम और बीमारी से तंग आकर लोग सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं। पिछले साल देश मे 33% सुसाइड फैमिली प्रॉब्लम और 19% बीमारी की वजह से हुई हैं।
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। जबकि, इससे कहीं ज्यादा लोग ऐसे होते हैं जो आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार 15 से 29 साल के युवाओं के बीच मौत की चौथी सबसे बड़ी वजह आत्महत्या है।
वहीं 2020 की तुलना में 2021 में आत्महत्या करने वालों की संख्या में 7% बढ़ गई है। पिछले साल देशभर में 1.64 लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली। रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में 14,578 लोगों ने आत्महत्या की है।
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