नई दिल्ली। चीनी निर्यात (Sugar export) के क्षेत्र में इस साल भारतीय कंपनियां अधिकतम स्वीकार्य निर्यात कोटा (एमएईक्यू) लक्ष्य तक पहुंचती हुई नजर नहीं आ रही हैं। माना जा रहा है कि ईरान को चीनी निर्यात किए जाने की बात को लेकर बनी अनिश्चितता के कारण चीनी उत्पादक कंपनियां निर्यात लक्ष्य से पीछे रह गई हैं। इस साल अभी तक सिर्फ 43 लाख टन चीनी के निर्यात का अनुबंध हो सका है, जबकि सरकार ने 2020-21 के लिए एमएईक्यू के तहत 60 लाख टन चीनी के निर्यात की इजजात दी थी।
चीनी उद्योग के प्रमुख संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के मुताबिक 31 दिसंबर को अधिकतम स्वीकार्य निर्यात कोटा (एमएईक्यू) जारी होने के बाद लगभग 43 लाख टन निर्यात के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किया गया है। मार्च के शेष दिनों में करीब और 5 लाख टन चीनी के निर्यात अनुबंधों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। इस्मा की और से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि चीनी के मौजूदा कारोबारी सत्र में जनवरी से मार्च के बीच अनुबंध के तहत लगभग 22 लाख टन चीनी का निर्यात किये जाने की उम्मीद है जबकि अभी तक जिन चीनी निर्यात के जिन अनुबंधों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं, उसकी शेष मात्रा की लदाई अप्रैल से जून के बीच हो जाने की उम्मीद है। दावा किया जा रहा है कि अगर ईरान को चीनी निर्यात करने पर सरकार की ओर से समय स्पष्टीकरण मिल जाता तो चीनी निर्यात की मात्रा और भी बढ़ सकती थी। इस्मा का दावा है कि ईरान को चीनी निर्यात करने या नहीं करने का फैसला समय से पता चल जाने पर चीनी के निर्यातक दूसरे देशों में और अधिक निर्यात अनुबंध करने की कोशिश कर सकते थे।
ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में 2020-21 के कारोबारी साल में 15 मार्च तक चीनी का उत्पादन 258.6 लाख टन तक पहुंच गया है, जबकि एक साल पहले की अवधि में ये उत्पादन 216.1 लाख टन था। महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 94 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 84.2 लाख टन और कर्नाटक में चीनी का उत्पादन 41.3 लाख टन तक पहुंच गया है। ये तीनों राज्य देश में सबसे ज्यादा चीनी का उत्पादन करने वाले राज्य हैं। (एजेंसी, हि.स.)
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