नई दिल्ली। सरकार ने देश में चीनी की उपलब्धता और कीमत में स्थिरता बनाए रखने के लिए इस साल एक करोड़ मीट्रिक टन तक चीनी का निर्यात को सीमित कर दिया है। यह फैसला दुनिया में चीनी संकट के बीच देश में खुदरा कीमतों पर काबू पाने के लिए किया गया है। सरकार ने विशेष परिस्थिति में जून से अक्तूबर तक सशर्त निर्यात की अनुमति दी है।
सरकार की मंगलवार देर रात जारी अधिसूचना के तहत एक जून से 31 अक्तूबर 2022 तक या अगले आदेश तक निर्यात पर अंकुश प्रभावी रहेगा। इस दौरान निर्यात के लिए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग निदेशालय की विशेष अनुमति लेनी होगी।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि देश में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने उचित समय पर और एहतियाती फैसला किया है। उन्होंने कहा कि हालांकि अन्य वस्तुओं के मुकाबले चीनी की कीमत ज्यादा स्थिर है, फिर भी अफवाहों और अनुचित मूल्यवृद्धि पर लगाम लगाने के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि इस साल ब्राजील को पछाड़ कर भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश और दूसरा सबसे बड़ा निर्यात बन गया है।
निर्यात में हुई बेतहाशा वृद्धि
इस साल निर्यात में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली है। वर्ष 2016-17 के करीब 50,000 मीट्रिक टन के मुकाबले इस साल एक करोड़ मीट्रिक टन चीनी का निर्यात हुआ है। पांडे ने कहा, चीनी के निर्यात पर पाबंदी नहीं लगाई गई है, बल्कि इसको सीमित किया गया है। इस साल अब तक का सबसे ज्यादा 90 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात का करार हुआ है, जिसमें से 82 लाख मीट्रिक टन का निर्यात हो चुका है।
खुदरा कीमत 33 से 44 रुपये प्रति किलो
मिल से चीनी की कीमत अभी 32 से 33 रुपये प्रति किलो है, वहीं देश के अलग-अलग क्षेत्रों के हिसाब से चीनी की खुदरा कीमत 36 से 44 रुपये प्रति किलो है। इस साल देश में चीनी की थोक कीमत 3150 रुपये से 3500 रुपये प्रति क्विंटल पर कायम है।
एक साल में 1.36 रुपये बढ़ी कीमत
चीनी की खुदरा कीमतों में पिछले एक साल में 1.36 रुपये की तेजी आई है। उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, एक साल पहले चीनी की खुदरा कीमत 40.39 रुपये प्रति किलो थी। यह 25 मई, 2022 को बढ़कर 41.75 रुपये प्रति किलो हो गई। इस बीच चीनी के दाम लगातार बढ़े हैं। एक महीने पहले इसकी कीमत 41.28 रुपये और एक सप्ताह पहले 41.64 रुपये प्रति किलोग्राम थी।
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