नई दिल्ली। दिल्ली (Delhi) की एक अदालत (Court) ने शुक्रवार को पुल बंगश गुरुद्वारे के बाहर ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह की हत्या से संबंधित मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर (Congress leader Jagdish Tytler) के खिलाफ हत्या और दंगा भड़काने के इरादे से आरोप तय करने का निर्देश दिया। 1984 के सिख विरोधी दंगों (Anti-Sikh riots of 1984) के दौरान सीबीआई द्वारा यह मामला दर्ज किया गया था।
टाइटलर पर गैरकानूनी सभा करने, दंगा भड़काने, आदेश की अवज्ञा, पूजा स्थल को अपवित्र करना, चोरी, हत्या और दंगा भड़काने के आरोप 13 सितंबर को तय किए जाएंगे। उस दिन टाइटलर अपनी दलील दर्ज कराने के लिए उपस्थित रहेंगे।
पिछले साल मई में दायर एक आरोप पत्र में सीबीआई ने पूर्व केंद्रीय मंत्री टाइटलर पर नवंबर 1984 में गुरुद्वारे के पास इकट्ठी हुई भीड़ को उकसाने और भड़काने का आरोप लगाया था। जनवरी में अंतिम बहस में सीबीआई ने घटना के प्रत्यक्षदर्शियों को पेश किया था। उनके बयानों पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि कांग्रेस नेता के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि टाइटलर ने भीड़ को सिखों को मारने के लिए उकसाया जिसके परिणामस्वरूप भीड़ ने गुरुद्वारा पुल बंगश को आग लगा दी और सिख समुदाय के तीन लोगों की हत्या कर दी।
एक गवाह ने दावा किया कि उसने गुरुद्वारे के सामने एक भीड़ को पेट्रोल कनस्तर, लाठियां, तलवारें और रॉड लिए देखा था, जिसमें टाइटलर भी मौजूद थे। एक अन्य गवाह ने दावा किया कि उसने टाइटलर को एक सफेद एम्बेसडर कार से निकलते देखा था। उन्होंने वहां एकत्रित भीड़ को हिंसा के लिए प्रोत्साहित किया।
वहीं, जगदीश टाइटलर ने जोर देकर कहा है कि उनके खिलाफ एक भी सबूत नहीं है। पिछले अगस्त में आवाज के नमूने जमा करने के बाद सीबीआई की फोरेंसिक प्रयोगशाला से बाहर निकलते हुए टाइटलर ने कहा था, “मैंने क्या किया है? अगर मेरे खिलाफ सबूत हैं तो मैं फांसी लगाने को तैयार हूं। इसका 1984 के दंगों के मामले से कोई लेना-देना नहीं है, जिसके लिए वे मेरी आवाज का नमूना चाहते थे।”
बता दें कि 1984 में विवादास्पद ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के कारण सिख समुदाय पर हिंसक हमले हुए। आधिकारिक तौर पर कम से कम 3000 लोग मारे गए लेकिन स्वतंत्र सूत्रों का दावा है कि यह संख्या 8000 है। इसमें दिल्ली में मारे गए कम से कम 3000 लोग शामिल हैं। टाइटलर को पिछले तीन मौकों पर सीबीआई द्वारा क्लीन चिट दी गई थी, लेकिन बाद में अदालतों ने एजेंसी से मामले की आगे की जांच करने को कहा।
कभी दिल्ली में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे 80 वर्षीय टाइटलर का नाम सिख विरोधी दंगों की जांच करने वाले नानावती आयोग की रिपोर्ट में भी था। टाइटलर के खिलाफ मामला उन तीन मामलों में से एक था जिसे पैनल ने 2005 में सीबीआई द्वारा फिर से खोलने की सिफारिश की थी।
फिलहाल जगदीश टाइटलर एक सत्र अदालत द्वारा दी गई जमानत पर बाहर हैं। अदालत ने उन पर कुछ शर्तें भी लगाई थीं, जिनमें यह गारंटी भी शामिल थी कि वह मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे या बिना अनुमति के देश नहीं छोड़ेंगे।
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