इन्दौर (Indore)। थोड़ी सी बारिश में शहर के कई इलाकों और चौराहों पर जलजमाव की स्थिति बन जाती है, मगर उसके बावजूद निगम का अमला तैयारियों के बजाए सडक़ें खोदने में ही जुटा है। प्रमुख मार्गों पर कई जगह सडक़ें खुदी पड़ी हैं और खतरनाक मकानों को तोडऩे की मुहिम भी शुरू नहीं हुई है। इसका खामियाजा बारिश के दौरान भुगतना पड़ सकता है। हर बार निगम की टीमें पहले ही तैयारियों में जुट जाती थीं, लेकिन अब तक इसका कोई भी अभियान शुरू नहीं हुआ है।
जून माह के शुरुआती सप्ताह में निगम की रिमूवल टीमें खतरनाक मकानों को ढहाने की कार्रवाई शुरू करती थी और नए सिरे से सभी जोनलों द्वारा खतरनाक मकानों की रिपोर्ट निगमायुक्त को भेजी जाती थी, लेकिन इस बार इस प्रकार का कोई अभियान नजर नहीं आ रहा है। पिछले वर्ष दो सौ से ज्यादा खतरनाक मकान निगम द्वारा चिन्हित किए गए, लेकिन इनमें से 45 मकान ही ढहाए जा सके और कई जगह विवादों की स्थिति के चलते निगम ने कार्रवाई बंद कर दी थी। कई जगह शहर में स्टार्म वॉटर लाइन बिछाने के मामले भी लंबित ही रह गए।
कई बड़े चौराहों पर स्टार्म वॉटर लाइन बिछाने के प्रस्ताव थे, इनमें कलेक्टोरेट, गंगवाल बस स्टैंड, रीगल, पलासिया, एलआईजी और मनोरमागंज के साथ-साथ कई अन्य स्थान थेे। मरीमाता से इमली बाजार के बीच पूरी सडक़ खुदी पड़ी है। वहीं मच्छी बाजार के आधा दर्जन इलाकों में ड्रेनेज लाइनों के कारण पूरी सडक़ें बदहाल हैं और रहवासी लगातार शिकायत कर रहे हैं। इसके अलावा कई अन्य कॉलोनियों में नर्मदा और ड्रेनेज लाइनें बिछाने के लिए भी काम शुरू किए गए थे, जो आधे-अधूरे छोड़ दिए गए हैं। खंडवा रोड का काम भी धीमी गति से चल रहा है। अधिकारी दावा कर रहे थे कि 15 से 20 दिनों में काम पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन वहां भी स्थिति खराब है।
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