इंदौर न्यूज़ (Indore News)

इंदौर में ऐसी है कोरोना से लापरवाही

  • लोगों की जान बचाने के लिए इंदौरी दानदाता कैसे विश्वास कर पाएंगे स्वास्थ्य विभाग पर?
  • कचरे में पड़ी 20 करोड़ के दान से खरीदी दवाइयां, सेनेटाइजर और मास्क

इन्दौर। कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता और मौत के बढ़ते आंकड़ों के बाद इंदौरी दानदाताओं ने स्वास्थ्य विभाग की मदद करते हुए लगभग 20 करोड़ का दान इकट्ठा किया था। 150 से अधिक ऑक्सीजन कन्सनट्रेटर, सेनेटाइजर, लाखों मास्क, जीवनरक्षक दवाइयां, नेब्यूलाइजर जैसे जरूरी उपकरण राधास्वामी सत्संग परिसर में बने 1200 बेड के स्वास्थ्य केंद्र को रातोंरात मुहैया करा दी थी। स्वास्थ्य विभाग उन्हें संभालकर ही नहीं रख सका। कचरे में मास्क तो दवाइयां खुले में पड़ी हैं।

चीन में बढ़ते संक्रमण के चलते भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार ने एडवाइजरी तो जारी कर दी, लेकिन उनके ही सिपहसालार बनकर बैठे अधिकारी निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। पूर्व में मिले सामान को ही नहीं सहेज पाए। यदि अब एक बार फिर इन्फेक्शन पसरा तो कौन भरोसा करेगा। कोरोना की दूसरी लहर के बाद राधास्वामी सत्संग परिसर को प्रशासन की मदद से स्वास्थ्य विभाग ने कोविड सेन्टर के रूप में विकसित किया था। 20 करोड़ की दान राशि से व्यवस्थाएं चौक-चौबंद कर ली, लेकिन अब वही उपकरण और दवाइयां धूूल खा रही हैं। दान में मिले सामान को स्वास्थ्य विभाग के कर्ताधर्ताओं ने भंगार में तब्दील कर दिया है, वहीं दवाइयों की हालत ऐसी है कि जिसे देखकर क्या इंदौरी दानदाता एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग पर भरोसा कर पाएंगे।

लिवोफ्लॉक्सासीन जैसे आईपी और इन्जेक्शन कचरे में
स्वास्थ्य विभाग द्वारा राधास्वामी सत्संग परिसर और अन्य कोविड सेन्टरों के सामान को जिला अस्पताल परिसर स्थित रैनबसेरे में कचरे के जैसे भर रखा है। जहां-तहां दवाइयां बिखरी पड़ी हैं। चूहे दवाइयों को कुतर रहे हैं। सेनेटाइजर की बॉटले इन्फेक्शन में पड़ी हैं। इन्फेक्शन से बचाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मास्क, धूल और कचरे के ढेर के समान रखे गए हैं। सामान इतना ज्यादा है कि कर्मचारी इन्हीं पर पैर रखकर आ-जा रहे हैं। लिवोफ्लॉक्सासीन 500 आईपी जैसी इन्फेक्शन से बचाने वाली दवाइयां सपोटिंग दवाइयां, बाटलें, सर्दी, खांसी और इन्फेक्शन से बचाने वाली मोन्टीलेन्ट-एफएक्स जैसी महत्वपूर्ण दवाइयां जो कोरोना प्रतिरोधक है, उन्हें विभाग ने कचरे में पटक रखा है।


पीपीटी किट और मास्क चूहों ने कुतर डाले
रैनबसेरे परिसर में आधे से ज्यादा दवाइयां और जरूरी उपकरण खुले परिसर में पड़े हुए हैं। देखरेख नहीं होने के कारण पीपीटी किट और मास्क चूहों ने कुतर डाले हैं, वहीं समय पडऩे पर ब्लड सैम्पल लेने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कन्टेनर, मरीजों को भर्ती करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बेड, डिस्पोजेबल इन्जेक्शन भंगार हो रहे हैं। परिसर की स्थिति ऐसी है कि वहां के कर्मचारी ही सांप और बिच्छू के डर से घुसने से मना कर रहे हैं।

आक्सीजन कन्सनट्रेटर सहित करोड़ों का सामान लापता
इंदौर में कोरोना की दूसरी लहर के बाद हजारों दानदाताओं ने आगे बढक़र मदद की, जिसके चलते करोड़ों का सामान आनन-फानन में खरीदकर लाया गया। आक्सीजन कन्सनट्रेटर, आक्सीजन सिलेण्डर सहित नेब्यूलाइजर जैसे जरूरी उपकरण रातोंरात इकट्ठा कर लिए गए, लेकिन अब इस करोड़ों के सामान का कोई अता-पता नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के कर्ताधर्ता से जब यह सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा कि जरूरतमंदों को बांट दिए। अस्पतालों में वितरित कर दिए, लेकिन इसकी उलट स्थिति यह है कि किसी को नहीं पता कि यह सामान कहां गया। जीवनरक्षक दवाइयां हैं। यदि इनकी स्थिति ऐसी है तो मैं जांच करवा रहा हूं। सिविल सर्जन को निर्देश दे दिए हैं, जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।

-इलैयाराजा टी, कलेक्टर
मेरे संज्ञान में अभी तक यह मामला नहीं आया है। जिला अस्पताल के रैनबसेरे में दवाइयां रखी हैं, लेकिन यदि उनकी यह स्थिति है तो मैं उनकी जांच करवाता हूं।

-अभय बेड़ेकर, अपर कलेक्टर
राधास्वामी सत्संग सेंटर से दवाइयों को लाकर जिला अस्पताल के रैनबसेरे में रखा गया है। दवाइयां ज्यादा हैं, जगह कम। शासन के निर्देश जैसे-जैसे होंगे, वैसे-वैसे काम किया जाएगा। हमें याद है, यहां दवाइयां रखी हैं।

-वी.एस. सेत्या, सीएमएचओ
दानदाताओं से दवाइयां जुटाना बहुत मशक्कत का काम है। जरूरतमंदों को दवाइयां मुहैया कराने के लिए हम दिन-रात कोशिश करते हैं। इस तरह से दवाइयां खराब नहीं की जाना चाहिए।

-राधेश्याम साबू, समाजसेवी
इन्दौर सेवा ट्रस्ट के माध्यम से इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ आयुर्वेदिक दवाओं का नि:शुल्क वितरण बस्तियों में किया गया था। पुलिस एवं स्वास्थ्यकर्ताओं को भी ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने जाकर दवाइयों का वितरण किया गया था।

-पं. योगेंद्र महंत, समाजसेवी
लोगों में जनसहयोग के साथ ही दानदाताओं के माध्यम से मास्क, सेनेटाइजर और दवाइयों का वितरण किया गया था। एकत्रीकरण के लिए भी युवाओं की बड़ी टीम लगाई गई थी। इनका दुरुपयोग मन को दुखाने वाला है।

-सूरज रजक, समाजसेवी
कोरोना में लोगों ने बड़ी मेहनत और मशक्कत करके जीवनरक्षक दवाओं और मास्क का इंतजाम किया था। इनकी बर्बादी बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। – प्रमोद डफरिया, उद्योगपति

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