इन्दौर। वर्तमान में भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी व्यक्ति का बीपी बढऩा एक सामान्य प्रक्रिया बन गई है, मगर बीपी का लगातार बढऩा कई बार मानव शरीर के लिए खतरनाक हो जाता है। उच्च रक्तचाप से ग्रसित मरीजों को दी जाने वाली दवाइयां कई बार बेअसर हो जाती हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए विदेशी थैरेपी आरडीएन (रीनल डिनरवेशन थैरेपी) का सहारा लिया जा रहा है, जो शहर में सफल भी हो चुकी है।
अनियंत्रित हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) मानव जीवन के लिए काफी चुनौतीभरा हो सकता है। अनियंत्रित बीपी से जूझ रहे एक 56 वर्षीय मरीज का जीवन भी बेहद कठिन हो चुका था, क्योंकि हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने के लिए उन्हें एक-एक दिन नौ-नौ गोलियां खाकर गुजारना पड़ रहा था। इसके बावजूद ब्लड प्रेशर कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। उच्च रक्तचाप से ग्रसित सिंह ने इस बीमारी से निजात पाने के लिए अपोलो हॉस्पिटल में डॉ. रोशन और डॉ. सरिता राव से मुलाकात की और उन्हें अपनी परेशानी बताई। डॉक्टरों ने समीक्षा के बाद कहा कि वर्तमान परिस्थिति में चल रहे इलाज में और दवाइयां शामिल करना नामुमकिन है। डॉक्टरों ने इस समस्या को हल करने के लिए विदेशों में अपनाई जाने वाली थैरेपी आरडीएन पर सहमति जताई, जो अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर अथवा हाइपरटेंशन के प्रबंधन में और नियंत्रित करने में नवाचार साबित हुई है। अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने विदेश से आरडीएन की डिवाइस मंगवाई और उक्त मरीज का उपचार किया, जिसमें डॉक्टरों की टीम डॉ. के. रोशन राव, डॉ. सरिता राव, डॉ. क्षितिज दुबे, डॉ. विकास गुप्ता और डॉ. शिरीष अग्रवाल को सफलता हाथ लगी। अस्पताल के प्रमुख सीनियर कंसल्टेंट चेस्ट मेडिसिन डॉ. अशोक वाजपेयी के अनुसार हमारी कार्डियोलॉजिस्ट टीम द्वारा शुरू की गई रीनल डिनरवेशन थैरेपी से अब शहर में किसी को उच्च रक्तचाप जैसे मर्ज से जूझना नहीं पड़ेगा।
मध्यभारत में पहला और देश में दूसरा मामला
उच्च रक्तचाप ( हाई ब्लड प्रेशर) जैसी घातक बीमारी का विदेशी थैरेपी से इलाज का यह देश में दूसरा व मध्यभारत में पहला मामला है। डॉक्टरों के अनुसार लगातार गोलियों के सेवन के बाद भी यदि बीपी नियंत्रित नहीं हो पाता है तो मरीज को ब्रेन हेमरेज, हार्ट अटैक आने का खतरा बन जाता है।
बीपी नियंत्रण की करीब 76 दवाइयां
ब्लड प्रेशर नियंत्रण को लेकर बनाई जाने वाली दवाइयों के लिए देशभर में करीब 9 बड़े दवाई निर्माता ग्रुप काम कर रहे हैं। इस 9 ग्रुपों द्वारा ब्लड प्रेशर नियंत्रण के लिए करीब 76 प्रकार की गोलियां बनाई जाती हैं। इन दवाइयों का सेवन करने के बाद भी मरीज की बीमारी अनियंत्रित हो जाती है, जो मानव जीवन के लिए कई बार खतरा बन जाती है।
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