नई दिल्ली (New Delhi)। किसी मोबाइल फोन (mobile phone) को चलाने के लिए बुनियादी जरूरत उसके ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) (Operating System (OS)) के भारतीय संस्करण ‘भार-ओएस’ (Indian version ‘Bhar-OS’) का मंगलवार को सफल परीक्षण किया गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) और इलेक्ट्रॉनिक व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने इसे परखा। उन्होंने आईआईटी मद्रास की ओर से बनाए गए भार-ओएस को मेक इन इंडिया के तहत आत्मनिर्भर डिजिटल ढांचा विकसित करने में अहम कदम बताया।
आईआईटी तिरुपति के निदेशक डॉ. केएन सत्य नारायण को ऑडियो और वीडियो कॉल कर भार-ओएस को परखा, जो सफल रहा। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अब हमें इस ओएस के लिए एप ईको-सिस्टम और चिप सेट के विकास पर ध्यान देना होगा। इन दोनों में आत्मनिर्भरता हासिल करनी होगी। साथ ही वैष्णव ने सुझाया कि भार-ओएस नाम के आखिर में एक ‘ए’ और जोड़ लें तो इसे ‘भरोसा’ कहा जा सकेगा। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भार-ओएस भारतीयों की निजता और सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने में भी मददगार बनेगा, विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम से कहीं ज्यादा भरोसेमंद भार-ओएस रहेगा। प्रधान ने कहा, जल्द ही सभी के लिए भार-ओएस लॉन्च किया जाएगा। यह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते भारत का एक और कदम है।
दुनिया में कई लोग नहीं चाहते भार-ओएस सफल हो : वैष्णव
किसी का नाम लिए बगैर केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने सभी को चेताते हुए कहा कि ‘भार-ओएस की चुनौतियां भी यहां से शुरू हुई हैं। दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो नहीं चाहते कि भार-ओएस जैसी पहल सफल हों। अभी कई नई चुनौतियां और मुश्किलें आएंगी। हमें बेहद सजग रहते हुए इसे सफल बनाने के लिए लगातार प्रयास करने होंगे। जानकारों के अनुसार वैष्णव का इशारा गूगल, एपल आदि टेक कंपनियों की ओर था। इन पर अपने एकाधिकार के बल पर टेक जगत में नए इनोवेशन, ऑपरेटिंग सिस्टम और विभिन्न एप आदि को पनपने से रोकने और एकाधिकार विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कई मामले भारत, यूरोप और अमेरिका में सामने आ चुके हैं।
क्या है भार-ओएस
किसने बनाया?
– इसे आईआईटी मद्रास में इक्यूबेशन के तहत काम कर रही नॉन-प्रॉफिट कंपनी जे एंड के ऑपरेटिंग प्राइवेट लिमिटेड ने विकसित किया।
उपयोग कौन करेगा?
– इसे फ्री और ओपन-सोर्स रखा गया है। आने वाले समय में आम नागरिक और सरकारी एजेंसियां भी बिना किसी रोक-टोक इसका उपयोग कर सकेंगे।
फायदा क्या होगा?
– इस ओएस से एपल के आईओएस और गूगल के एंड्रॉयड ओएस पर निर्भरता घटाने में भारत को मदद मिलेगी। यानी नागरिकों का फोन केवल फोन रहेगा, उसमें अमेरिकी टेक कंपनियों के ओएस के जरिये गैरजरूरी एप जबरन नहीं डाले जाएंगे।
सुरक्षा कैसे बढ़ेगी :
आईओएस या एंड्रॉइड ओएस में सैकड़ों एप पहले से इंस्टॉल होते हैं। इन्हें मोबाइल फोन की सुरक्षा और यूजर्स की निजता के लिए खतरा माना जाता है। यूजर्स का डाटा उसकी मर्जी के बिना स्टोर किया जाता है। भार-ओएस के इस्तेमाल पर यूजर्स का डाटा सुरक्षित रहेगा। इससे उनकी निजता सुरक्षित रहेगी।
भार-ओएस कैसे अलग? :
इसमें एनडीए यानी नो डिफॉल्ट एप की नीति लागू की गई है। एप इंस्टॉल करने की प्रक्रिया को ओएस से अलग रखा गया है। यूजर्स चाहेंगे, तभी कोई एप इंस्टॉल होगा और काम करेगा।
इनोवेशन-आर्थिक लाभ कैसे होंगे?
भारत के इस ओएस से एप डेवलपर्स को भी मदद मिलेगी, उन्हें बड़ी टेक कंपनियों पर अपने एप को जारी करने की निर्भरता नहीं रहेगी। सरकार को भी इससे राजस्व हासिल करना आसान होगा।
दूसरे फायदे
भार-ओएस पर चलने वाले एप पर यूजर्स बेहतर नियंत्रण रख सकेंगे। यह किसी घातक एप को फोन में पहुंचने से भी रोकेगा।
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