नई दिल्ली । टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के हाई रिस्क वाले मरीजों (patients) को विटामिन डी (vitamin D) की डेली डोज से बहुत मदद नहीं मिलती है. एक स्टडी में साइंटिस्टों ने पाया है कि दुनियाभर में करीब 48 करोड़ लोग टाइप 2 डायबिटीज के शिकार हैं. एक अनुमान है कि साल 2045 तक ये संख्या बढ़कर 70 करोड़ तक पहुंच जाएगी. इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो डायबिटीज के खतरे के स्तर तक पहुंच चुके हैं. ब्लड में ग्लूकोज की मात्र ज्यादा होने के कारण ऐसे लोगों को समय पर सतर्क नहीं किया गया, तो टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि हो सकती है.
कुछ स्टडीज में बताया गया है कि विटामिन डी की कमी से भविष्य में डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन इस दिशा में गहन अध्ययन किए जाने पर ये निष्कर्ष निकाला गया है कि परिणाम वास्तव में अलग होते हैं. ये स्टडी बीएमजे जर्नल में प्रकाशित हुई है.
कैसे हुई स्टडी
इस स्टडी में बताया गया है कि डायबिटीज के हाई लेवल के खतरों से जूझ रहे वयस्कों के लिए विटामिन डी सप्लीमेंट्स का कोई खास असर नहीं पड़ता है. लेकिन जिन लोगों में इंसुलिन का स्राव कम होता है, उनके लिए विटामिन डी लाभकारी हो सकता है. जापान में साइंटिस्टों ने नई स्टडी में आंकलन किया कि विटामिन डी का एक्टिव सोर्स आस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) के इलाज में कारगर है या नहीं. करीब 1256 जापानी वयस्कों पर ये स्टडी की गई.
स्टडी में शामिल प्रतिभागियों को दो ग्रुप्स में बांट कर लगातार 3 महीने तक टेस्ट और इवैल्यूएशन किया गया. एक ग्रुप को विटामिन डी की अतिरिक्त खुराक दी गई और दूसरे समूह के लोगों को अतिरिक्त खुराक नहीं दी गई. उसके बाद करीब तीन वर्ष तक उनका फॉलोअप किया गया.
स्टडी में क्या निकला
इस स्टडी के बाद साइंटिस्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि दोनों ग्रुप्स के नतीजों में कोई खास अंतर नहीं था. हां, सिर्फ फर्क जरूर पाया गया कि एक ग्रुप की हड्डियों में मिनरल्स की सघनता (Density) बढ़ गई.
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