कानपुर। कोरोना वायरस (corona virus) का असर भले ही काफी कम हो गया हो पर इसका दंश अभी भी पोस्ट कोविड मरीजों (post covid patients) को बेहाल कर रहा है। 15 महीने के बाद भी ऐसे लोगों में थायराइड का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा। हालात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि डॉक्टरों के तमाम प्रयास के बाद भी पोस्ट कोविड मरीजों को थायराइड की समस्या (thyroid problem) से निजात न मिल सकी। अब उन्हें स्थाई तौर पर दवाओं के सहारे जिंदगी गुजारनी पड़ेगी। पहली बार मरीजों को थायराइड हुई तो डॉक्टर मानकर चल रहे थे कि समय के साथ इस बीमारी से राहत मिल जाएगी पर ऐसा नहीं हुआ।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज (GSVM Medical College) के मेडिसिन विभाग की क्रॉस सेक्शनल स्टडी (cross sectional study) में इसका खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमण से मिला हाइपर थायराइड और हाइपोथायराइड पोस्ट कोविड मरीजों में ठीक नहीं हो सका। मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में बीते साल कोविड ने 422 मरीजों को थायराइड की समस्या दी पर निगेटिव होकर भी 217 नहीं उबर सके। इनमें 129 युवा, 38 महिलाएं शामिल हैं, जिनका फॉलोअप में अभी मेडिसिन में इलाज चल रहा है। 217 में 159 को हाइपर थायराइड तो 58 में हाइपोथायराइड मिला था।
स्टडी में यह रिजल्ट भी आया
– जिन्हें कभी थायराइड की समस्या नहीं थी, उनका स्तर गड़बड़ा गया। थायराइड का स्तर गड़बड़ाने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने से सेप्टीसीमिया (गंभीर संक्रमण) का खतरा बढ़ने लगता है।
-मरीजों का पुराना डाटा निकलवाया और वर्तमान स्थिति से तुलनात्मक अध्ययन किया। इनका सीआरपी (सी रिएक्टिव प्रोटीन) का स्तर 66 से 110 मिग्रा प्रति डेसीलीटर के बीच पाया गया, जो काफी बढ़ा था।
सामान्य स्थिति में 5- 6 मिग्रा प्रति डेसीलीटर से नीचे होता है। इसी से थायराइड ग्रन्थि ने समस्या पैदा की।
यह भी रिजल्ट रहा
– 159 को हाइपर थायराइड तो 58 में हाइपोथायराइड मिला
– डॉक्टरों की उम्मीदें बेकार गईं, 14 महीने के बाद ठीक होने की आस रही पर नहीं मिली राहत
-217 का अक्तूबर में अंतिम बार टी-4 और टीएसएच टेस्ट कराया गया। टीएसएच का स्तर सभी में 2.0 से ज्यादा मिला। किसी में 4 तो किसी में 9 मिला जबकि 15 महीने से दवाएं चल रही थीं।
– इस बार का वायरल रहा खतरनाक, 77 को थायरोडिटिस
– इन्हें डेढ़ महीने से इलाज, 2 महीने के बाद ठीक होने की उम्मीद
इन मरीजों में हाइपो थायराइड
कोरोना वायरस का संक्रमण थायराइड ग्रंथि की छोटी-छोटी रक्त नलिकाओं में पहुंच गया। इस वजह से उनमें खून के थक्के बन गए, जिससे थायराइड हारमोंस बनने की प्रक्रिया प्रभावित होने लगी। इस वजह से इन मरीजों में हाइपो थायराइड (थायराइड की अधिकता) एवं हाइपर थायराइड (थायराइड की कमी) की समस्या हो रही है।
-प्रो. रिचा गिरि, मेडिसिन हेड एंड उप प्राचार्य जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज
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