नई दिल्ली। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISC) और बायोटेक कंपनी मिनवैक्स (Biotech Company Minwax) द्वारा भारत (India) में बनाई गई वॉर्म वैक्सीन कोरोना (Warm Corona Vaccine) कोरोना (Corona) के सभी वेरिएंट (Variants) के खिलाफ काम करती है. CSIRO की ओर से इस वैक्सीन (Vaccine) के स्वतंत्र रूप से किए गए विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि इस वैक्सीन (Vaccine) को वॉर्म यानी गर्म इसलिए कहा जा रहा है कि यह 90 मिनट तक सौ डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी सुरक्षित रह सकती है. साथ ही 37 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर रहती है.
सीएसआईआरओ (ISIRO) द्वारा किए गए विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि वॉर्म वैक्सीन (Warm Vaccine) बाकि से अलग है क्योंकि इसे रखने के लिए बहुत कम तापमान की जरूरत होती है. इसके मुताबिक, चूहों और हैमस्टर में इस वैक्सीन से वायरस (Virus) के खिलाफ जबर्दस्त इम्यून रेस्पॉन्स पैदा हुआ. यह वैक्सीन कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन के एक हिस्से में किए गए बदलाव से बनी है.
सभी खतरनाक वेरिएंट पर प्रभावी है वॉर्म वैक्सीन
जानवरों पर हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु की ओर से विकसित वॉर्म कोरोना वैक्सीन कोरोना के सभी खतरनाक कहे जाने वाले वेरिएंट जैसे ही अल्फा, बीटा, डेल्टा, कप्पा के खिलाफ प्रभावी है. एसीएस इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च से पता चला है कि इस वॉर्म कोरोना वैक्सीन फॉर्मूले ने चूहों में एक मजबूत इम्यून सिस्टम को विकसित किया है.
जानिए वॉर्म वैक्सीन से जुड़ी खास बातें…
– रिसर्च के मुताबिक वॉर्म वैक्सीन का फॉर्मूलेशन 37 डिग्री सेंटीग्रेड पर एक महीने तक स्थायी रह सकता है और 100 डिग्री सेंटीग्रेड पर 90 मिनट तक.
– बहुत कम तापमान पर रहने के कारण वैक्सीन के इस फॉर्मूलेशन को वार्म वैक्सीन का नाम दिया गया है.
– अब तक कोरोना वायरस के खिलाफ जो भी वैक्सीन आई है उसे कहीं भी पहुंचाने के लिए कोल्ड चेन का निर्माण करना पड़ता है इसीलिए वैक्सीन के वहां तक पहुंचने में काफी वक्त लगता है.
– वॉर्म वैक्सीन को एक से दूसरे स्थान तक बहुत ही आसानी तक पहुंचाया जा सकता है.
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