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    MP में RSS पदाधिकारियों की लिखी किताबें पढ़ेंगे स्टूडेंट्स, कांग्रेस ने कोर्ट जानें की दी चेतावनी

  • August 13, 2024

    भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के स्कूलों (School) और कॉलेजों (College) में अब स्टूडेंट्स (Students) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पदाधिकारियों द्वारा लिखी पुस्तक पढ़ेंगे. उच्च शिक्षा विभाग (Department of Higher Education) ने प्रदेश के सरकारी और निजी कॉलेजों को 88 किताबों की सूची भेजी है. कांग्रेस (Congress) ने इस मामले में कहा कि हम कोर्ट जाएंगे. राष्ट्रीय स्वयं सेवकों की किताबों में तीन पुस्तकें सरकार्यवाह रहे सुरेश सोनी द्वारा लिखी गई हैं.

    यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग के ओएसडी धीरेन्द्र शुक्ल ने सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के संचालकों को पुस्तकों की खरीद के लिए एक सूची सौंपी. शिक्षा विभाग ने आदेश दिए कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परंपरा से परिचित कराना जरूरी है.


    इसके लिए सभी कॉलेज को वो भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की सूची में शामिल एक-एक किताब क्रय करे. विभागीय आदेश में कहा गया है कि किताबों की सूची पत्र के साथ संलग्न की जा रही है. किताबों की खरीदी के खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए सरकारी कॉलेजों की जनभागीदारी मद और निजी कॉलेजों में संस्था की निधि से सक्षम अनुमति से की जाएगी.

    पुस्तकों की सूची में जिन लेखकों की किताबों शामिल की गईं हैं उनमें दीनानाथ बन्ना की 14 किताबें, डॉ. अतुल कोठारी की 10, स्वामी विवेकानंद की चार, सुरेश सोनी की तीन, डॉ. कैलाश विश्वकर्मा की तीन, देवेन्द्र राव देशमुख की तीन, एनके जैन की दो, प्राणनाथ पंकज की दो और राकेश भाटिया की दो पुस्तकें शामिल हैं. उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों को जिन लेखकों की किताबें खरीदने के निर्देश दिए हैं, उनमें डॉ. अतुल कोठारी, दीनानाथ बन्ना, देवेन्द्र राव देशमुख सहित कई संघ नेताओं द्वारा लिखी किताब शामिल हैं.

    इस मामले का खुलासा होने के एमपी में कांग्रेस इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने में जुट गई है. कांग्रेस ने कोर्ट जाने का निर्णय लिया है. कांग्रेस के पूर्व विधायक कुणाल चौधरी ने कहा, ‘भारतीय ज्ञान प्रकोष्ठ को क्या बीजेपी अब अज्ञात प्रकोष्ठ बनानी चाहती है? क्या अब एमपी के कॉलेजों में नफरत का पाठ पढ़ाया जाएगा? पढ़ाना ही है तो वैज्ञानिकों द्वारा लिखी किताबें पढ़ाते. ये पूरी तरह से गलत है. हम इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे.

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