नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया (Australia) में पढ़ाई का सपना रखने वाले हजारों छात्रों को झटका लगा है. ऑस्ट्रेलिया ने यूपी, बिहार समेत देश के पांच राज्यों के छात्रों के लिए स्टूडेंट वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन पर आरोप वीजा डॉक्यूमेंट्स में धोखाधड़ी का आरोप है, इसके अलावा ये भी आरोप लगाया गया है कि ये छात्र स्टडी वीजा लेकर ऑस्टेलिया में फुल टाइम वर्क कर रहे हैं.यूपी बिहार के अलावा जिन राज्यों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें पंजाब, हरियाणा और गुजरात के छात्र शामिल हैं. दो साल पहले भी ऑस्ट्रेलिया ने इन पांच राज्यों पर प्रतिबंध लगाया था, हालांकि बाद में ढील दे दी गई थी.
अमेरिका और कनाडा में वीजा प्रतिबंधों की वजह से भारत के ज्यादातर छात्र ऑस्ट्रेलिया की तरफ स्विच कर रहे थे.दरअसल अमेरिका में भारतीय छात्रों का वीजा रिजेक्शन बढ़कर 24 प्रतिशत तक पहुंच गया है जो पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है.कुछ ऐसा ही हाल कनाडा का है.ऐसे में भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन अब वहां से भी करारा झटका लगा है. भारत के मित्र देशों में शामिल ऑस्ट्रेलिया के इस कदम को एसोसिएशन ऑफ ऑस्ट्रेलियन एजुकेशन रिप्रेजेंटेटिव्स इन इंडिया (AAERI) ने गलत बताया है और कहा है कि अगर ऑस्ट्रेलिया को ऐसा करना है तो केस के हिसाब से असेस्मेंट करना चाहिए.
मामले में पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा ने Tv9 के सहयोगी प्लेटफॉर्म News9 से बातचीत में कहा है कि ऑस्ट्रेलिया की ये बहुत ही गलत अप्रोच है, ये इन पांचों राज्यों के उन लोगों के लिए भी बड़ा झटका है जिन्होंने कई सालों में वहां पढ़कर या नौकरी करके अपनी रेपुटेशन बनाई है. उन्होंने कहा है कि अगर यूएस की बात करें तो उसकी आबादी 40 मिलियन है, जबकि भारत में 40 मिलियन से ज्यादा तो छात्र ही हैं. यहां 60 हजार से ज्यादा कॉलेज भी हैं. ऐसा नहीं कि भारतीय छात्र यहां नहीं पढ़ सकते,मगर ये छात्र बेहतरी की उम्मीद में बाहर पढ़ने जाते हैं, किसी को बेहतर लाइफस्टाइल चाहिए तो किसी को जॉब चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया हो या अमेरिका ये भारत के साथ ही ऐसा नहीं कर रहे, बल्कि चीन और एशिया के अन्य देशों के छात्रों के साथ भी यही कर रहे हैं, लेकिन ये तरीका गलत नहीं है और उन लोगों के लिए भी ठीक नहीं है.
बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और गुजरात के छात्रों पर के वीजा पर प्रतिबंध लगाने के पीछे ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालयों का तर्क है कि इन राज्यों के छात्र देश में आते तो फुल टाइम स्टडी के लिए हैं, लेकिन यहां वे वोकेशनल कोर्स में प्रवेश लेते हैं, कुछ छात्र को पढ़ाई भी नहीं करते और यहां काम करने के लिए ही वीजा लेते हैं. इससे यूनिवर्सिटीज की वीजा अप्रूव करने पर नेगेटिव अफेक्ट पढ़ रहा है. उनकी प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंच रही है और संस्थानों की फाइनेंसियल स्थिति भी खराब हो रही है.
ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी, एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ वोलोंगोंग, टॉरेन्स यूनिवर्सिटी समेत कई संस्थानों ने इन पांचों राज्यों के छात्रों की आवेदन प्रक्रिया को या तो रोक दिया है या उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इससे पहले भी एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी ने फरवरी 2023 में पंजाब और हरियाणा के छात्रों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था.विक्टोरिया यूनिवर्सिटी ने यूपी, राजस्थान और गुजरात समेत भारत के आठ राज्यों के छात्रों पर प्रतिबंध लगाया था.
इस फैसले के पीछे ऑस्ट्रेलिया सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी देश के छात्रों पर प्रतिबंध नहीं लगाती. ये फैसला विश्वविद्यालों का है, उन्हें अपने रिस्क मैनेजमेंट पर ऐसे फैसले लेने की आजादी है. ऑस्ट्रेलिया उच्चायुक्त बैरी ओ फैरेल ने भी इससे पहले छात्रों को आगाह किया था कि वे माइग्रेशन एजेंट्स की बातों में आकर आवेदन में गलत जानकारी न भरें.
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