नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russo-Ukraine War) के चलते यूक्रेन (Ukraine) से बड़े पैमाने पर स्वदेश लौटे (returned home) मेडिकल छात्रों (Medical students) के बारे में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) (National Medical Commission (NMC)) जल्द फैसला ले सकता है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस बारे में एनएमसी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जवाब दाखिल करेगा। इसमें सभी को तो नहीं लेकिन जिन छात्रों की पढ़ाई पूरी होने के करीब है, उन्हें राहत मिल सकती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एनएमसी को संभावनाएं तलाशने के लिए कहा गया था तथा इस मामले पर एनएमसी को ही अंतिम निर्णय करना है। निर्णय लेने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करेगा। हालांकि इसमें विलंब हुआ है। लेकिन संभावना है कि अगले कुछ दिनों में इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा।
दरअसल, यूक्रेन से लौटे करीब 14 हजार मेडिकल छात्र ऐसे हैं जो विभिन्न वर्षों की पढ़ाई कर थे। वहां वापसी के हालात नहीं हैं। ये छात्र भारतीय मेडिकल कालेजों में समायोजित करने की मांग कर रहे हैं। इसी मुद्दे पर उन्होंने मार्च में ही सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की थी जिस पर एनएमसी से पूछा गया था।
पांच महीनों से अधर में लटके हुए हैं छात्र
हालांकि संसद में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि यूक्रेन के पड़ोसी रूसी देशों से भी बात की जा रही है जहां इन छात्रों को समायोजित किया जा सके। लेकिन इस मामले में विदेश मंत्रालय को भी कोई सफलता नहीं मिल पाई है। नतीजा यह है कि पांच महीनों से छात्र अधर में लटके हुए हैं। कई छात्र अभी भी आनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन आनलाइन मेडिकल पढ़ाई को देश में मान्यता नहीं है।
इसी प्रकार में चीन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हजारों छात्र भी अभी देश में ही फंसे हुए हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद चीन ने ऐसे छात्रों का आंकड़ा मांगना तो शुरू किया था लेकिन अभी छात्रों की वापसी नहीं हो पा रही है। ये छात्र कोरोना फैसले से ठीक पहले वापस लौटे थे।
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