कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी की छात्रा उषाशी चक्रवर्ती ने आरोप लगाया है कि उसे कोरोना संक्रमण होने के बावजूद कॉलेज कैंपस आने के लिए मजबूर किया गया। उषाशी ने कहा कि कॉलेज के कर्मचारियों ने उनसे कहा कि अगर वह सत्यापन प्रक्रिया पूरी करने के लिए शुक्रवार को कॉलेज के साल्ट लेक परिसर में शारीरिक रूप से नहीं पहुंचती हैं तो उसकी 10,000 रुपये की प्रवेश फीस जब्त कर ली जाएगी इतना ही नहीं वह अपनी सीट भी खो सकती हैं। हालांकि यूनिवर्सिटी ने इस आरोप से साफ इनकार किया है।
मेरी वजह से यदि कोई संक्रमित होता है तो यूनिवर्सिटी जिम्मेदार: छात्रा
सत्यापन प्रक्रिया के लिए जाने से पहले, दम दम में रहने वाली उषाशी ने फेसबुक पर अपनी आपबीती सुनाई। उषाशी ने लिखा कि यदि कोई मेरी वजह से संक्रमित हो जाता है, तो रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
मैंने कॉलेज में सूचित किया फिर भी नहीं सुनी गई मेरी बात
एक मीडिया समूह से बात करते हुए उषाशी ने कहा कि मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मैंने कॉलेज के उस नंबर पर फोन किया, जहां से मुझे शुक्रवार सुबह सत्यापन प्रक्रिया के बारे में कॉल आया था। मैंने अपने स्वास्थ्य का हवाला दिया लेकिन अधिकारी ने मुझे बताया कि आप स्पेशल नहीं हो और आपको परिसर में शारीरिक रूप से उपस्थित रहना होगा। नहीं तो आपके ऊपर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने मेरी सीट खत्म करने की भी धमकी दी।
रिपोर्ट दिखाने कॉलेज जाना पड़ा, उसके बाद कर्मचारियों ने मुझे छोड़ा
उषाशी ने कहा कि कॉलेज अधिकारी ने जब मुझे धमकी दी को मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था, मैंने एप-आधारित बाइक बुक की और कैंपस पहुंच गई। कुछ देर कतार में इंतजार करने के बाद मैं आखिरकार काउंटर पर पहुंच गया। उन्हें यह सूचित करने की मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है तो मुझे तुरंत परिसर छोड़ने के लिए कहा गया। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि पूरी प्रक्रिया व्हाट्सएप पर की जाएगी।
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