नई दिल्ली: बीती 11 मई को गुजरात बोर्ड का 10वीं कक्षा का रिजल्ट (Gujarat Board 10th class result) आया था. इसमें कई विद्यार्थियों ने टॉप किया, कई टॉपर अपनी आगे की पढ़ाई को लेकर काफी उत्सुक है. इनमें से कोई डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई इंजीनियर तो कोई IAS या IPS अफसर बनने का सपना देख रहा है. अपने सपनो को आंखों में संजाेकर आगे की कक्षा का एडमिशन लेकर आगे बढ़ चुके है, लेकिन गुजरात बोर्ड की एक टॉपर (topper of gujarat board) ऐसी है जो टॉप करने के बाद 4 दिन ही जिंदा रह पाई.
परिवार रिजल्ट की खुशियां भी ढंग से नहीं मना पाया था कि बेटी दुनिया से चली गई. रिजल्ट के 4 दिन बाद ही 15 मई को हीर घेटिया नाम की 15 साल की छात्रा की मृत्यु हो गई, जो डॉक्टर बनना चाहती थी. इस दुखद घटना से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है और जो भी इस घटना के बारे में जान रहा है, वो भी अपने आपको भावुक होने से नही रोक पा रहे है. हीर 10वी बोर्ड की परीक्षा में 99.70% मार्क्स के साथ पास होकर टॉपर्स में शामिल हुई थी.और मैथ्स विषय में तो हीर ने 100 में से 100 मार्क्स हासिल किए थे.
एक महीने पहले मोरबी की रहने वाली हीर को ब्रेन हेमरेज हुआ था,और राजकोट में प्राइवेट अस्पताल में हीर का ऑपरेशन किया गया, ऑपरेशन के बाद हीर को डिस्चार्ज कराके घर ले जाया गया. लेकिन, फिर से हीर को सांस लेने में और हार्ट में तकलीफ शुरू होने से राजकोट की ट्रस्ट संचालित बी टी सावनी अस्पताल में ICU में दाखिल किया गया,जिसमें ब्रेन के MRI रिपोर्ट से मालूम पड़ा कि हीर का ब्रेन 80 से 90 प्रतिशत काम करना बंद हो गया है.
डॉक्टरों की 8 से 10 दिन की मेहनत के बाद भी हीर की हालत में सुधार नहीं हुआ और 15 मई को हीर का हार्ट भी काम करना बंद हो गया और हीर को नही बचाया जा सका. तब उनके परिवार ने निर्णय लिया कि हीर की बॉडी और ऑर्गन को डोनेट करना है. परिवार ने हीर की दोनो आंखें तो डोनेट की ही, साथ में हीर की बॉडी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी का अभ्यास करने वाले भविष्य के डॉक्टर्स को पढ़ाई में मदद मिले उस हेतु से डोनेट किया गया.
हीर के परिजनों का कहना है कि बेटी तो डॉक्टर नही बन पाएगी लेकिन जो विद्यार्थी डॉक्टर बनने जा रहें है, उनको मरने के बाद भी बेटी मददगार होगी. हीर के परिवार में काफी दुख का माहोल है. वो इतने अच्छे मार्क्स से पास हुई थी और सबने सोचा था कि हीर डॉक्टर बनकर परिवार का नाम रोशन करेंगी. लेकिन हीर अपना रिजल्ट भी नही देख पाई. पूरे साल उसने पढ़ाई में जो मेहनत की थी, उसका परिणाम भी वो नही देख पाई. हीर के परिवार ने ऑर्गन डोनेट करके समाज के प्रति अपना जो रुख दिखाया वो एक मिसाल है और इससे और लोगो को भी ऑर्गन डोनेट करने की प्रेरणा मिलेगी और आनेवाले भविष्य में कई जाने बचाने में मदद मिलेगी.
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