बैतूल। रूस द्वारा यूक्रेन (Ukraine by Russia) पर किए गए हमले के बाद यूक्रेन (Ukraine) में फंसे देश के लगभग 20 हजार और प्रदेश के आधा सैकड़ा से अधिक भारतीयों में बैतूल जिले के ग्राम पाढर निवासी एक छात्र भी यूके्रन के विनित्स्या शहर में फंस गया है। छात्र चार साल पहले एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन गया था। यूक्रेन में युद्ध की अटकलों के बीच उसने इंडिया वापसी आने की टिकिट भी करवा ली थी। एयर इंडिया की फ्लाइट (India flight) से उसे 27 फरवरी को यूक्रेन की राजधानी कीव से दिल्ली आना था लेकिन उसके 3 दिन पूर्व ही 24 फरवरी को रूस ने हमला कर दिया जिससे सभी फ्लाइट्स कैंसिल हो गई और छात्र यूके्रन में ही फंस गया। पाढर में उनके माता-पिता और भाई उसकी सकुशल वापसी की दुआ कर रहे है वहीं छात्र यूक्रेन में बंकर में रात गुजारने को मजबूर है।
इस संवाददाता ने गुरूवार को यूक्रेन में फंसे छात्र से चर्चा की जिसमें उनके वहां होने वाली परेशानी और ताजा हालातों से अवगत कराया। अब उसकी वापसी की सारी उम्मीदे भारत सरकार से है।
प्राथमिक शाला के शिक्षक का पुत्र है दीपांशु ग्राम पाढर के कुप्पा टेक निवासी और प्राथमिक शाला पीसाझोड़ी में पदस्थ शिक्षक उमेश विश्वकर्मा ने चार साल पहले अपने छोटे पुत्र दीपांशु विश्वकर्मा (23) को एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन भिजवाया था। दीपांशु यूक्रेन की राजधानी कीव से 400 किलोमीटर दूर विनित्स्या के पीरोगाव नेशनल मेडिकल युनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। दीपांशु के दो बड़े भाई है। बड़ा भाई कुशल विश्वकर्मा बैंगलौर में टीसीएस कंपनी में डाटा इंजीनियर है वहीं मंझला भाई मिथिलेश विश्वकर्मा इंदौर में फ्लिपकार्ट कंपनी में डाटा एनालिसिस के पद पर कार्यरत है।
रात तीन बजे बजा वार सायरन, बंकर में किया शिफ्ट यूक्रेन में फंसे दीपांशु विश्वकर्मा ने चर्चा में बताया कि 27 फरवरी को उसकी इंडिया आने की टिकिट थी। लेकिन 24 फरवरी की गत तीन बजे वार सायरन बजा। उन्हें उसी समय युनिवर्सिटी केंपस में बने बंकर में भेज दिया गया। उनके साथ भारत सहित अन्य देशों से सैकड़ों छात्र है। उनके गु्रप में दस छात्र है जिसमें दो इंदौर के है बाकी देश के दूसरे राज्यों से है। रात तीन बजे से उन्हें बंकर में ही रखा गया वहीं सुबह लगभग 10 बजे वापस फ्लेट में लाया। शुक्रवार को दिनभर फ्लेट में रहने के बाद शाम होते ही दोबारा बंकर में भेज दिया गया।
मिलेट्री बेस मे सुबह 7 बजे हुआ धमाका दीपांशु विश्वकर्मा ने बताया कि वे राजधानी कीव से 400 किलोमीटर दूर विनात्स्या शहर में है। 24 फरवरी सुबह 7 बजे उनके शहर मिलेट्री एयरफोर्स कैंप में ब्लास्ट हुआ। वहां सभी लोग सहमे है। 24 फरवरी को दिनभर बंकर में रहे। बंकर में ही रात गुजारने के बाद 25 फरवरी को फ्लेट में आने की अनुमति दी लेकिन शाम होने के पूर्व ही वापस बंकर में भेज दिया गया।
पूरी तरह ठप्प हो गई यातायात सेवा छात्र दीपांशु साहू ने बताया कि एयरपोर्ट पर ब्लास्ट होने के साथ ही हवाई सेवाए बंद हो गई। वहीं रेल सेवा के साथ ही सड़क यातायात भी बंद हो गया। स्थानीय नागरिक पैदल, साइकिल या कार से ग्रामीण क्षेत्रों में जा रहे है। उनके शहर में सिर्फ एक धमाका होने के बाद स्थिति कंट्रोल में है। अब उनकी वापसी भारतीय दूतावास के निर्देश पर ही होगी। 24 फरवरी को दूतावास से वाट्सएप पर एक लेटर आया जिसमें कहा गया है आप लोग अपने स्थान पर ही सुरक्षित रहे। शीघ्र ही यूक्रेन से हंगरी, मालदीप या पोलेंड तक सड़क मार्ग से ले जाकर वहां से एयरलिफ्ट कर इंडिया पहुंचाया जाएगा। भारतीय दूतावास द्वारा हंगरी, पौलेंड, रोमानिया और स्लोवक रिपब्लिक के भारतीय अधिकारियों के नंबर दिए है।
एटीएम के सामने लगी लंबी कतार दीपांशु ने बताया कि युद्ध की आशंका के चलते उन्होंने 23 फरवरी को ही 5-6 दिन का भोजन बनाने हेतू सामान ले लिया था। वहीं रेडीमेड फुट के साथ ही 5-6 दिन तक के लिए पानी भी लेकर रख लिया है। यहां हालात बहुत खराब है एटीएम के सामने 2 किलोमीटर तक लाइन लगी है। कई एटीएम खाली हो चुके है। अब उनकी वापसी की उम्मीद भारत सरकार से ही है। अभी तक वे पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन दहशत में है। यहां फंसे सभी भारतीय भारत सरकार और दूतावास के निर्देशों का पालन कर रहे है।