नई दिल्ली: दिल्ली की आबो-हवा बीते कई दिनों से बेहद खतरनाक स्थिति में है. प्रदूषण को लेकर राज्य सरकारें एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप मढ़ती हैं, जिसपर पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी. प्रदूषण के मुद्दे पर आज भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. मामले की सुनवाई जस्टिन संजय किशन कौल सहित तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है. बेंच ने कहा कि पराली जलाने से रोकना होगा. जस्टिस कौल ने कहा कि एमएसपी एक सीमित स्थिति तक के लिए है. यह अलग मुद्दा है. अगर पैसा है और महीने हैं तो उनका समुचित प्रयोग क्यों नहीं हो रहा है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 6 साल से लगातारा प्रदूषण हो रहा है. तमाम कोशिशों के बाद भी प्रदूषण होते हैं. अब हमें नतीजे चाहिए. जस्टिस कौल ने कहा कि हर साल प्रदूषण कि परेशानी होती है. पिछले 6 साल से लगातार ऐसा हो रहा है. एमाइकस क्यूरे ने कहा कि डेटा लगभग समान ही है. जस्टिस कौल ने कहा कि 32% कृषि अपशिष्ट के जरिए हो रहा है. 17% वाहनों की वजह से है. एमाइकस ने कहा कि 32% कई सोर्स से है. जैसे बायोमास व अन्य भी शामिल है. दिल्ली कि आपत्ति ये है कि अन्य राज्यों का योगदान है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि नियम और व्यवस्थाएं हैं. जस्टिस कौल ने कहा कि इसके बावजूद हालात हर साल खराब होते हैं.
पंजाब के कई इलाकों में लगातार जलाई जा रही पराली पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि पराली जलाने को तत्काल कैसे रोका जाए, इस पर सरकारें मिलकर व्यवस्था तैयार करें. साथ ही फसल बदलने का कदम भी व्यापक कदमों में रखकर उठाया जाए. कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई दीपावली के बाद की जाएगी. सुनवाई के लिए अगली तिथि 21 नवंबर तय की गई है.
जस्टिस कौल ने कहा कि टैक्सियां बाहर से आ रही हैं. क्या तंत्र है? जस्टिस कौल ने कहा कि वहां धान उपयुक्त नहीं है. जल स्तर खराब हो रहा है. अब चाहे हमारे आदेश की आवश्यकता हो या राज्य की, उन्हें दूर जाने के लिए प्रोत्साहन दे. कहा गया कि मशीनों का उपयोग नहीं किया जा रहा है. हमें सख्ती बरतनी होगी और पंजाब सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी. दिल्ली प्रभावित है लेकिन किसानों को विकल्प भी देना होगा.
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कुछ मुद्दे पूरे देश से जुड़े हैं और इन्हें अलग करके या पंजाब तक सीमित करके नहीं देखा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुबह यह (AQI) 436 दिखा रहा था. एजी ने कहा कि हम निगरानी कर रहे हैं. वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि टैक्सियों के लिए भी ऑड-ईवन है. यह एक हद तक मदद करता है, हर छोटा-छोटा हिस्सा मायने रखता है और फर्क लाता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने कहा था कि ऐसा नहीं दिखाया गया है. अरोड़ा ने कहा कि ऑड-ईवन से सड़कों पर भीड़ कम होती है.
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