इन्दौर। गर्मियों (Summer) के दिनों में मौसम (Weather) बारिश (Rain) और बूंदाबांदी (Drizzle) के साथ हवा-आंधी (Thunderstorm) का नजारा दिखा रहा है। कल रात हलकी बारिश, बूंदाबांदी और तेज हवाओं के चलते बिजली (Lightning) व्यवस्था प्रभावित रही। दर्जनों स्थानों पर इंसुलेटर बर्स्ट (Insulator Burst) हुए तो कहीं पेड़ की डालियां बिजली के तारों में उलझने से फाल्ट (Fault) के चलते अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों को आधे घंटे से डेढ़ घंटे तक अंधेरे का सामना करना पड़ा।
प्रदेश के सबसे बड़े इंदौर महानगर में बिजली की 5-10 मिनट के ट्रिपिंग तो रोजाना आम बात हो गई है। वहीं कल रात 9 बजे से हवा-आंधी और बूंदाबांदी का दौर शुरू हुआ, जिसके चलते शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में कुछ समय के लिए ट्रिपिंग आई, सप्लाई बंद हुई और घरों-बाजारों में अंधेरा हो गया। रात 12 बजे एक बार फिर हलकी बारिश, बूंदाबांदी का दौर शुरू हुआ, जिसके कारण अलग-अलग क्षेत्रों में इंसुलेटर बस्र्ट हो गए। कुछ स्थानों पर पेड़ की डालियां गिरने से बिजली सप्लाई में अवरोध हुआ। सबसे ज्यादा दिक्कत बायपास के फीडर सप्लाई पर रही। पालदा और राजमोहल्ला क्षेत्र के साथ ही एयरपोर्ट- बांगड़दा एरिया में भी पेड़ की डालियां बिजली लाइन पर जा गिरीं, जिसके कारण यहां के लोगों को करीब 1 घंटा अंधेरे का सामना करना पड़ा। साथ ही गणेश नगर, कृषि नगर, ऋषि नगर, पत्रकार कॉलोनी, साकेत, श्रद्धाश्री, बाणगंगा क्षेत्र आदि के साथ शहर दर्जनों स्थानों पर इंसुलेटर बस्र्ट होने के चलते आधे से डेढ़ घंटे तक बिजली सप्लाई में अवरोध होता रहा। ग्रामीण क्षेत्रों में भी कुछ समय के लिए बिजली सप्लाई बाधित रहा।
बड़े अधिकारी नहीं उठाते फोन
बिजली संबंधी समस्या के लिए टोल फ्री नंबर 1912 पर शिकायतें दर्ज कराई जाती हैं। कल रात बत्ती गुल होने के बाद करीब एक हजार से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुईं। झोन के इंजीनियर और 2-3 कार्यपालन यंत्री तो मैदान में डटे रहे, लेकिन पोलोग्राउंड के अधिकारियों ेने अपने मोबाइल नंबर या तो दूसरे नंबर पर फॉरवर्ड कर दिए अतवा परेशान लोगों के फोन ही नहीं उठाए। आम उपभोक्ता की शिकायत है कि लंबे समय से पोलोग्राउंड के अधिकारी विपरीत परिस्थिति में फोन नहीं उठाते हैं।
मेंटेनेंस पर सवाल…!
हलकी बूंदाबांदी में ही बत्ती गुल हो जाती है तो फिर सालभर चलने वाले मेंटेनेंस में बिजली कर्मचारी-अधिकारी क्या करते हैं? इस पर लोगों की नाराजगी भी देखी जा रही है कि रोजाना 2 से 3 घंटे लोगों को मेंटेनेंस के नाम पर अंधेरे में रखा जाता है और जरा सी तेज हवा-आंधी में बत्ती गुल हो जाती है।
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