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    Lebanon: अटैक की थी तगड़ी प्लानिंग! हिजबुल्ला तक कैसे पहुंचे फटने वाले पेजर और वॉकी-टॉकी?

  • September 20, 2024

    बैरुत। लेबनान (Lebanon) में पहले पेजर और फिर वॉकी-टॉकी (Pager and then walkie-talkie) फट गए। इन दोनों ही घटनाओं में मिलाकर 30 से ज्यादा मौतें दर्ज की गईं। वहीं, अब तक साफ नहीं हो सका है कि आखिर हिजबुल्ला (Hezbollah) को ऐसे पेजर कैसे मिले। वहीं, हमले को लेकर इजरायल (Israel) पर आरोप लगाए जा रहे हैं। खबरें हैं कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद (Israeli intelligence agency Mossad) ने शेल कंपनी की सहायता से हिजबुल्ला को छेड़छाड़ किए गए पेजर भेजे हैं। बहरहाल, इजरायल ने फिर एक बार लेबनान में कई स्थानों पर हमला किया है। इधर, हिजबुल्ला ने भी जवाबी कार्रवाई की बात कही है।


    पेजर धमाका आखिर कैसे हुआ
    फिलहाल, धमाकों को लेक इजरायल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि तीन इजरायली खुफिया अधिकारियों ने जानकारी दी है कि पेजर को बनाने वाले हंगरी की BAC कंसल्टिंग एक शेल कंपनी थी, जिसे मोसाद ने लेबनान भेजने से पहले डिवाइस में छेड़छाड़ के लिए तैयार किया था।

    एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि BAC कंसल्टिंग ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो की तरफ से डिवाइस तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। कहा जा रहा है कि पेजर बनाने वालों की असली पहचान को छिपाने के लिए कम से कम 2 अन्य शेल कंपनियां भी तैयार की गई थीं।

    पेजर में क्या था
    खास बात है कि BAC आम क्लांट्स के लिए प्रोडक्ट तैयार नहीं करता है और हिजबुल्ला उनके लिए जरूरी था। खबर है कि बैटरी में ताकतवर पैंटेरिथ्रिटोल टेट्रानाइट्रेट (PETN) मिलाया गया था। यह बहुत ही ताकतवर विस्फोटक है। इससे पहले कहा जा रहा था कि नए पेजर में 3 ग्राम विस्फोटक शामिल था, जिसका पता हिजबुल्ला को महीनों तक नहीं चला था।

    Unit 8200 का भी हाथ
    समाचार एजेंसी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इसमें इजरायल की यूनिट 8200 ने अहम भूमिका निभाई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूनिट ही इस जांच के लिए जिम्मेदार थी कि निर्माण प्रक्रिया के दौरान ही विस्फोटक सामग्री को डाला जाए। खास बात है कि यूनिट 8200 को साइबर जासूस भी कहा जाता है। यह खुफिया जानकारी जुटाने के लिए उपकरण तैयार करता है।

    कहा जाता है कि यूनिट 8200 ने ही साल 2005 से लेकर 2010 के बीच स्टक्सनेट वायरस हमले में अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें ईरान के न्यूक्लियर सेंट्रीफ्यूज को नुकसान पहुंचा था। साल 2017 में भी यह कथित तौर पर लेबनान की टेलीकॉम कंपनी ओगेरो पर हुए साइबर अटैक में शामिल थी।

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