नई दिल्ली । छठे केन्द्रीय वेतन आयोग के तहत वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) की नर्स यूनियन के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ गई है। मंगलवार को एम्स में भर्ती मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं, नर्सिंग यूनियन ने हड़ताल के दूसरे दिन एम्स प्रांगण में सुबह धरना प्रदर्शन किया। अनिश्चितकालीन हड़ताल के दूसरे दिन नर्सिंग कर्मचारियों ने कामकाज ठप रखा और एम्स के प्रांगण में धरना दिया। यूनियन का कहना है कि एम्स प्रशासन ने उनकी लंबित मांगों पर ध्यान नहीं दिया, जबकि हड़ताल को लेकर एक महीने पहले ही नोटिस दिया गया था। एम्स प्रशासन ने न उनसे बातचीत की और न उनकी समस्याओं का हल निकाला।
एम्स नर्स यूनियन के अध्यक्ष हरीश कुमार काजला ने कहा कि हमारा संघ प्रशासन के साथ बातचीत के लिए तैयार है। कोरोना के बीच हम मरीजों के लिए बुरा महसूस कर रहे हैं, लेकिन हम मजबूर हैं। हमारी कई महीनों से लंबित मांगें पूरी नहीं हुई है। कोरोना काल में सभी नर्स स्टाफ ने अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों की देखभाल की। इसके बावजूद हमारी मांगों पर किसी का ध्यान नहीं है।
बता दें कि सोमवार को एम्स के करीब 5000 नर्स कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल पहले 16 दिसंबर से शुरू होने वाली थी।
सभी मांगे मान ली गई : डॉ. गुलेरिया
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि नर्स संघ ने 23 मांगें रखी थीं और एम्स प्रशासन तथा सरकार ने उनमें से लगभग सभी मांगें मान ली हैं। एक मांग मूल रूप से छठे वेतन आयोग के मुताबिक शुरुआती वेतन तय करने से जुड़ी हुई है। कोरोना काल में सभी से अपील किया गया है कि वे काम पर लौटें।
वहीं, एम्स प्रबंधन ने देर शाम आदेश जारी किया जिसमें हड़ताल के चलते मरीजों की सेवा में किसी भी प्रकार की रुकावट न आने के लिए अतिरिक्त स्टाफ तैनात करने की बात कही है। सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने विभाग में कार्यरत रेजीडेंट डॉक्टर, एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्र और बीएससी नर्सिंग के छात्रों की ड्यूटी लगाएं।
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