नई दिल्ली । मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार (Chief Election Commissioner Rajiv Kumar) ने कहा कि किसी भी उम्मीदवार या पार्टी (If any Candidate or Party) द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर (Violates the Rules) सख्त कार्रवाई की जाएगी (Strict Action will be taken) ।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने दिल्ली के चुनावों की घोषणा से पहले चुनाव प्रचार में भाषा की मर्यादा पर सवाल उठाया। उन्होंने चेतावनी दी कि चुनावी माहौल में नेता शिष्टाचार और सभ्यता का पालन बहुत आवश्यक है। नेताओं को अपने शब्दों और भाषा की मर्यादा बनाए रखनी चाहिए, खासकर महिलाओं और बच्चों के बारे में कोई भी असंवेदनशील या अपमानजनक टिप्पणी करना पूरी तरह से अनुचित है। चुनाव में भाग लेने वाले सभी उम्मीदवारों, चाहे वे किसी भी पार्टी से हों, को समानता और निष्पक्षता के साथ अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
चुनावों में पब्लिक ऑफिसर्स की जिम्मेदारी है कि वे किसी भी प्रकार की धांधली या अनियमितता को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखें, और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी पक्ष किसी अन्य पक्ष के खिलाफ भेदभाव या दबाव नहीं डाल रहा है। इसके साथ ही, प्रत्येक उम्मीदवार को अपने अभियान में शालीनता और सौम्यता बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि लोकतंत्र की गरिमा बनी रहे और चुनाव निष्पक्ष तरीके से सम्पन्न हो। इस उद्देश्य के लिए चुनाव आयोग और प्रशासन ने कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं और सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध किया है कि वे अवांछनीय दबाव और उकसावे से बचें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि चुनाव निष्पक्ष, पारदर्शी और शालीनता से संपन्न हो, किसी भी उम्मीदवार या पार्टी द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार द्वारा दिल्ली चुनावों से पहले ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी है। इस बयान में कई अहम बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो चुनाव प्रक्रिया की सत्यता और विश्वसनीयता को स्पष्ट करते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने लोकतंत्र के विकास और मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर दिया। उन्होंने यह संकेत दिया कि भारत में चुनावी प्रक्रिया में सुधार और जागरूकता बढ़ी है। देश में 2024 में कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनाव होंगे, जो यह दिखाते हैं कि भारतीय लोकतंत्र तेजी से सुदृढ़ हो रहा है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने ईवीएम पर उठे सवालों को संबोधित किया, विशेष रूप से मैन्युप्लेशन (हेरफेर) और वोटर टर्नआउट में बढ़ोतरी जैसे आरोपों पर उन्होंने साफ किया कि ईवीएम की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है और इसमें कोई भी गड़बड़ी या हेरफेर नहीं हो सकता। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि ईवीएम के प्रत्येक इस्तेमाल से पहले पोलिंग एजेंट्स के सामने प्रक्रिया को किया जाता है। मशीन के नंबर को अंकित किया जाता है, जो प्रक्रिया की पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता पूरी चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने, काटने और सुधारने का काम सभी राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर किया जाता है। इस प्रकार, किसी भी विवाद के होने की स्थिति में सुधार की प्रक्रिया पहले से तय है, और यह सभी दलों के सहयोग से होती है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा कि हर सवाल का जवाब देना उनकी जिम्मेदारी है, और चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के शंकाओं या विवादों का समाधान पारदर्शिता के साथ किया जाएगा। उनका यह कथन भारतीय चुनाव आयोग की निष्पक्षता और गंभीरता को दर्शाता है।
उन्होंने चुनावी प्रक्रिया पर उठे आरोपों, जैसे धीमी मतगणना और नामों में गड़बड़ी के मुद्दे पर भी उत्तर दिया। उनका यह कहना था कि चुनावी प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता होती है, लेकिन परिणामों के आधार पर पूरी प्रक्रिया का आंकलन करना गलत होगा। चुनावी सुधार और शंकाओं का समाधान समय-समय पर किया जाएगा, ताकि लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत हो सकें।
इस बयान से स्पष्ट होता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग लोकतंत्र की सही दिशा में काम कर रहे हैं और चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी, निष्पक्ष और जवाबदेह बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। ईवीएम प्रक्रिया पर उठने वाले सवालों का निपटारा करने के लिए आयोग की पूरी तैयारी और पारदर्शिता से किए गए उपाय लोकतंत्र की मजबूती को सुनिश्चित करते हैं।
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