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JNU छात्रों की अजीब कहानी, एक ही मांग को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ लगाए नारे

August 25, 2022


नई दिल्ली: देश के प्रतिष्ठित जेएनयू के छात्रों की अजीब कहानी है. जेएनयू कैंपस में छात्रों का दो गुट सक्रिय है. एक है कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित गुट तो दूसरा है बीजेपी से प्रभाविट गुट. दोनों गुटों में अक्सर टकराव होता रहता है. बुधवार को उस समय विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई जब दोनों गुटों के छात्रों ने स्कॉलरशिप में देरी के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया लेकिन एक ही मांग होने के बावजूद दोनों गुटों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारे भी लगाए.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक बुधवार देर शाम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से संबंधित छात्र स्कॉलरशिप की मांग को लेकर सोमवार को हुई हिंसा के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे थे. सोमवार को हुई इस हिंसा में कुछ छात्रों और सिक्योरिटी गार्डों के बीच झड़प हुई थी जिसमें दोनों तरफ से लोग घायल हुए थे. छात्रों की प्रारंभिक मांग थी विश्वविद्यालय प्रशासन इस घटना के लिए माफी मांगे.


इसी बीच जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन यानी वामपंथी विचारधारा से प्रभावित छात्रों का गुट भी बुधवार रात वहां पहुंच गया और स्कॉलशिप सेक्शन में एबीवीपी गुट द्वारा की गई मारपीट के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे. उनका कहना था कि कैंपस में कई बार हिंसा किए जाने के बावजूद जेएनयू प्रशासन एबीवीपी के गुंडों के खिलाफ कुछ नहीं करता. दिलचस्प बात यह है कि दोनों गुटों के प्रदर्शन में कुछ मांगें एक जैसी थी. दोनों गुटों ने मतभेद होने के बावजूद लंबे समय से स्कॉलरशिप और फेलोशिप में देरी के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए.

छात्रों के अनुसार, जेएनयू में स्कॉलरशिप के वितरण में देरी का मुद्दा लंबे समय से बना हुआ है. एबीवीपी से जुड़े एक छात्र विकास पालीवाल ने बताया कि उन्हें पिछले 5 सेमेस्टर से स्कॉलरशिप नहीं मिला है. इसी जेएनएसयू के काउंसिलर अनघ्या प्रदीप ने कहा, “मैं 2018 से यूनिवर्सिटी में हूं और तब से स्कॉलरशिप को लेकर यही मुद्दा है.”

जेएनयू के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि स्कॉलर में देरी का मामला पहले के प्रशासन से ही लंबित है. वर्तमान प्रशासन का कार्यकाल 7 फरवरी 2022 से शुरू हुआ है लेकिन पहले के प्रशासन में वित्तीय गबन के कारण स्कॉलरशिप में देरी हो रही है. इसके अलावा आउटसोर्स किए गए स्टाफ की जगह स्थायी स्टाफ की नियुक्ति हुई है. वरिष्ठ स्तर के अधिकारी की निगरानी में इन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है.

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