भोपाल। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को बाघों के घर के नाम से भी जाना जाता है। एसटीआर प्रबंधन के मुताबिक 52 बाघ जंगल क्षेत्र में मौजूद रहे। नर्मदापुरम, छिंदव़ाडा व बैतूल तक फैले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघ विचरण कर रहे हैं। बाघों के बढ़ रह कुनबे के कारण अब वर्चस्व की लड़ाई भी सामने आ रही है। पांच दिन पहले बाघों के बीच हुए संघर्ष को लेकर प्रबंधन ने जो जांच की है उसमें सामने आया है कि बाघों के बीच संघर्ष हुआ था और इसी के चलते बाघों ने एक-दूसरे पर हमला किया। गंभीर रूप से घायल हुए मादा शावक की मौत हो गई थी, वहीं एक नर बाघ की मौत घायल होने के बाद हो गई थी।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि बाघों की संख्या 45 से बढ़कर 52 पर पहुंच गई है। वन विभाग के आला अधिकारियों का दावा है कि एसटीआर में सबसे ज्यादा बाघ पाए जाते हैं। बाघों की बढ़ती संख्या ने प्रदेश को टाइगर स्टेट का भी दर्जा दिलाया हुआ है।
तीसरे घायल बाघ की तलाश जारी
एसटीआर सूत्रों के मुताबिक बाघों के बीच हुए संघर्ष के दौरान एक और बाघ के घायल होने के प्रमाण मिले हैं। पचमढ़ी परिक्षेत्र में जिस जगह पर मादा शावक व बाघ मिला था वहां पर एक अन्य बाघ के होने के प्रमाण भी सामने आए हैं। संभावना जताई जा रही है कि बाघ ने इलाका बनाने की कोशिश की थी, इसी दौरान उस पर भी हमला हुआ है। बाघ की खोजबीन की जा रही है फिलहाल कोई जानकारी सामने नहीं आ सकी है।
बोरी व चूरना का इलाका सबसे लंबा
इटारसी से 90 किमी दूर बोरी व चूरना रेंज में बाघों की संख्या ज्यादा है। यहां पर पर्यटक को आसानी से बाघ नजर आ जाते हैं। इस इलाके को नर्मदापुरम जिले का सबसे बड़ा क्षेत्र कहा जाता है जो कि बाघ के रहवास व विचरण के लिए सबसे उपयुक्त है। बोरी व चूरना के साथ ही मढ़ई व पचमढ़ी में भी बाघ की टेरिटरी बनी हुई है।
बाघ कर देते हैं हमला
प्राप्त जानकारी के अनुसार एक बाघ करीब 50 से 60 किमी तक अपने इलाके का विस्तार कर सकता है। बाघ विचरण करता हुआ अपने इलाके को बनाता जाता है। किसी अन्य बाघ का दखल इलाके में कोई भी बाघ पसंद नहीं करता। इलाके में अपना दबदबा कायम रखने के लिए बाघ हमला कर देता है।
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