काहिरा। पुरातत्वविदों को मिस्र में खोज करते वक्त एक से एक रहस्य खुलते दिखते हैं लेकिन किसी विलुप्त जीव का सबूत मिलना बेहद दुर्लभ है। एक फिरौन के मकबरे में उन्हें इस जीव के बारे में पता चला है। करीब 150 साल पहले खोजी गईं 6 बत्तखों में से 2 अलग प्रजाति के हैं। ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड में इवलूशनरी बायॉलजिस्ट ऐंथनी रोमीलियो इन्हें स्टडी कर रहे हैं। इन्हें 4,600 साल पहले पेंट किया गया था और इस पेंटिंग को मिस्र की मोना लीसा कहा जाता है।
इनमें से चार बत्तख यूरोप और उत्तरी गोलार्ध में पाए जाते हैं लेकिन ऐंथनी का कहना है कि बाकी दोनों टोबियास तरीके से बनाए गए हैं। इन दोनों के गले के नीचे सीने पर लाल पैटर्न है जबकि आज लाल सीने की बत्तखें पाए जाती हैं। ऐंथनी के मुताबिक अनैलेसिस में पता चला कि ये दोनों बाकी बत्तखों से अलग पाए गए हैं। उनके पंखों में अलग पैटर्न भी है जिसे पहले नहीं समझा गया।
उन्होंने बताया कि दूसरे पशु-पक्षियों की तस्वीरें यहां सटीकता से बनाई गई हैं। इसलिए यह मानना है कि सिर्फ कला की नजर ये दोनों अलग दिख रहे हैं, हो सकता है यह पूरा सच न हो। डॉ. रोमिलो ने कहा कि 4,600 साल पहले कई ऐसी पक्षियां थीं जिनके बारे में जानकारी नहीं है। तब जलवायु अलग थी और रेगिस्तन की जगह पानी बड़ी मात्रा में था।
ऐंथनी का कहना है कि प्राचीन संस्कृति तब बढ़ी जब सहारा में हरियाली थी और यहां घास के मैदान, झीलें, वुडलैंड, जानवरों की विविधता थी जिन्हें मकबरों और मंदिरों पर देखा जाता है।
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