सतना। जिला खनिज निधि (DMF) के खर्चे को लेकर राज्य सरकार पर केंद्र ने शिकंजा कसा है। मप्र में (DMF) से मिलने वाली राशि का एक हिस्सा जो प्रदेश सरकार राज्य निधि के रूप में ले रही है उसे भारत सरकार ने गलत ठहराया है। इतना ही केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जिला खनिज निधि से होने वाले कार्यों की स्वीकृति और अनुमोदन का जिम्मा जिले का है न कि राज्य शासन का। केंद्र की इस आपत्ति के बाद हड़कंप की स्थिति बन गई है।
5 करोड़ से हुआ डीएमएफ तो जाता है राज्य निधि में
वर्तमान में राज्य सरकार 5 करोड़ रुपए से ज्यादा की डीएमएफ निधि होने पर इसका बड़ा हिस्सा राज्य निधि के रूप में ले लेती है। अब केंद्र्र के इस फरमान के बाद राज्य शासन स्तर पर विचार प्रारंभ हो गया है। माना जा रहा है कि राज्य सरकार इस मामले में केंद्र को पुन: विचार करने का अनुरोध कर सकती है और इसकी तैयारी खनिज संचालनालय में शुरू हो गई है।
यह दिए निर्देश
भारत सरकार के खनिज मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेट्री ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि माइंस एंड मिनिरल्स एक्ट का कड़ाई से पालन किया जाए और जिला खनिज प्रतिष्ठान से किसी भी प्रकार से निधि का हस्तांतरण राज्य निधि या राज्य स्तरीय कोष (जिसे किसी भी नाम से पुकारा जाए) में नहीं किया जाए। न ही इस निधि का उपयोग किसी अन्य स्कीम में किया जाए।
राज्य शासन कोई दखल नहीं दे
भारत सरकार खनिज मंत्रालय ने इस पर भी सख्त निर्देश दिए हैं कि जिला खनिज प्रतिष्ठान मद की राशि से किसी भी काम की स्वीकृति या अनुमोदन राज्य स्तर पर या राज्य सरकार या राज्य स्तर की एजेंसी द्वारा नहीं की जाए। अर्थात डीएमएफ के कामों की स्वीकृति और अनुमोदन का पूरा अधिकार जिला स्तर पर ही रहेगा।
खनिज संचालनालय में हड़कंप
भारत सरकार की इस आपत्ति के बाद खनिज संचालनालय में हड़कम्प की स्थिति बन गई है। केंद्र की इस आपत्ति के बाद अब डीएमएफ से राशि राज्य निधि में नहीं ली जा सकती है। लिहाजा अब इस मामले में गंभीर मंथन शुरू हो गया है। जानकारी मिली है कि अब राज्य शासन इस मामले में केंद्र को पुनर्विचार के लिए पत्र लिखने की तैयारी में है। इसको लेकर खनिज संचालनालय से फाइल मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी भेजी गई है।
इस तरह छीना जाता है जिले का विकास
मप्र सरकार ने जिला खनिज निधि को लेकर जो नियम तय किए हैं उसके अनुसार अगर किसी जिले में डीएमएफ की राशि 5 करोड़ रुपए आती है तो वह पूरी राशि जिले में ही खर्च होगी। अगर यह राशि 5 करोड़ से 25 करोड़ रुपए के बीच की है तो इस राशि का 50 फीसदी राज्य शासन की राज्य निधि में जाएगा। अगर जिले का डीएमएफ 25 करोड़ रुपए से ऊपर का है तो उसका 75 फीसदी राज्य निधि में जाएगा। इसके अनुसार लगातार जिलों से राशि राज्य निधि में दी जा
रही थी।
केंद्र ने लगाई रोक
अभी हाल में केंद्र सरकार के संज्ञान में जैसे ही यह मामला आया तो मध्यप्रदेश सरकार से सख्त आपत्ति जताई है। केंद्र सरकार के ज्वाइंट सेक्रेट्री ने राज्य शासन को पत्र लिख कर तत्काल प्रभाव से जिले से राज्य निधि में लिए जाने वाले पैसे पर रोक लगाने कहा है।
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