नई दिल्ली। लखीमपुर कांड (Lakhimpur scandal) के विरोध में किसानों द्वारा हाल ही रेल रोको आंदोलन (rail stop movement) किया गया। यहां तक कि किसानों ने अलग-अलग जगहों पर रेल की पटरियों (railway tracks) पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया। इसी अंदोलन को लेकर सरकार ने किसान संगठनों पर जवाब देते हुए कहा कि इस अंदोलन से सरकार का नुकसान नहीं बल्कि किसान अपना खुद का नुकसान भी कर रहे हैं, क्योंकि जिस तरह किसानों ने ट्रेनों को रोका उससे कोयले की सप्लाई तो रूकी ही साथ ही बिजली आपूर्ति पर भी फर्क पड़ा है।
विदित हो कि हाल ही में कृषि कानून और लखीमपुर कांड के विरोध में किसान संगठन जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां तक ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक लगा रहे हैं। वहीं लखीमपुर कांड के विरोध में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि लखीमपुर खीरी हिंसा में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। पंजाब-हरियाणा और यूपी में कई जगहों से प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें पटरियों पर लोग बैठे हुए दिखाई दे रही है।
कई शहरों में प्रदर्शनकारी किसान रेलवे ट्रैक पर चक्का जाम कर बैठ गए और नारेबाजी की। आरोप है कि गत तीन अक्टूबर को आशीष मिश्र उस वाहन में सवार थे जिस गाड़ी ने किसानों को कुचला। किसान संगठन के आरोपों से अजय मिश्रा ने इंकार किया है। अजय की दलील है कि जिस समय यह घटना हुई उस समय वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। किसानों का आज का रेल रोको आंदोलन सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक चला। इससे रेलगाड़ियों का आवागमन प्रभावित हो सकता है।
कोयला मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि किसानों द्वारा ‘रेल रोको आंदोलन ने उत्तरप्रदेश, पंजाब और राजस्थान में मालगाड़ियों की आवाजाही को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। ये ऐसे वक्त हुआ है जब केंद्र सरकार की पूरी मशीनरी देश में बढ़ती कोयले की मांग को पूरा करने के लिए काम कर रही है। इस अंदोलन से कए तरफ जहां कई पांवर प्लांटों तक कोयला नहीं पहुंच सका तो कई कई बिजली भी प्रभावित हुई है।
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