नई दिल्ली (New Delhi) । चुनावी नतीजों (Election Result) वाले दिन शेयर बाजार (Stock Market) में ऐसी सुनामी आई कि उसमें बीएसई का सेंसेक्स (BSE Sensex) 6000 अंकों का गोता लगा गया, तो वहीं एनएसई का निफ्टी (NSE Nifty) 1900 अंक से ज्यादा फिसल गया. कोरोना काल (Corona Pandemic) के बाद ये अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है. एक दिन पहले बहार और अगले ही दिन हाहाकार आखिर क्यों मचा? इसके पीछे के कई कारण हैं और इनमें से चार प्रमुख हैं, आइए इसके बारे में विस्तार से बताते हैं…
बाजार में शुरुआती गिरावट सुनामी में बदली
सबसे पहले बात करते हैं शेयर बाजार (Share Market) के ताजा हालात के बारे में, तो मंगलवार को मार्केट ओपन होने के साथ शुरू हुआ गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीएसई का सेंसेक्स 1700 अंक टूटकर ओपन हुआ था और दोपहर 12.20 बजे तक ये 6094 अंक की गिरावट लेते हुए 70,374 के लेवल पर आ गया. वहीं दूसरी ओर निफ्टी इंडेक्स करीब 1947 अंक की भारी गिरावट के साथ फिसलकर 21,316 के लेवल पर ट्रेड कर रहा था. इससे पिछले कारोबारी दिन सोमवार को सेंसेक्स 2500 अंक और निफ्टी 733 अंक की बढ़त के साथ बंद हुआ था.
हालांकि, इसके बाद शेयर बाजार में तेज रिकवरी भी दिखाई दी. दोपहर 1.43 बजे पर बाजार में आई गिरावट कम होकर 4000 अंक से नीचे पहुंच गई और निफ्टी में भी गिरावट कम होकर 1200 अंकों की रह गई थी.
Corona के बाद सबसे बड़ी गिरावट
मंगलवार को गिरावट के चलते निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ है और BSE MCap के मुताबिक, उनकी करीब 30 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति स्वाहा हो गई है. खास बात ये है कि Stock Market में आई इस बड़ी गिरावट देश में कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान आई गिरावट से भी बड़ी है. उस समय सेंसेक्स करीब 6 फीसदी के आस-पास टूटा था और मंगलवार को Sensex 7.97 में फीसदी तक, जबकि NIFTY 50 में 8.37 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
पहला कारण- एग्जिट पोल के अनुमान नहीं बना हकीकत
अब बात करते हैं शेयर बाजार में मंगलवार को आई बड़ी गिरावट के पीछे के कारणों की, तो चार प्रमुख वजह देखने को मिल रही है, जिनका असर मार्केट पर दिखाई दिया है. इनमें एग्जिट पोल के अनुमानों का हकीकत में तब्दील ना होना सबसे पहला है. दरअसल, Exit Poll में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार (NDA Govt) को 361-401 सीटें मिलने का अनुमान जताया था, लेकिन रिजल्ट डे पर खबर लिखे जाने तक एनडीए 295 सीटों पर जीतती दिखाई दे रही है. ऐसे में एग्जिट पोल के अनुमान जारी होने के बाद बाजार में आई तूफानी तेजी नतीजे वाले दिन सुनामी में तब्दील हो गई.
दूसरा कारण- BJP को पूर्ण बहुमत नहीं!
शेयर बाजार में गिरावट का दूसरा कारण भी चुनावी नतीजों से ही जुड़ा हुआ है. दरअसल, एग्जिट पोल में जो अनुमान जाहिर किए जा रहे थे, उनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) को स्पष्ट बहुमत मिलने की बात की जा रही थी. लेकिन मंगलवार को जब वोट खुलने शुरू हुए, तो दोपहर 12 बजे तक लगभग साफ हो गया कि देश में बीजेपी पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं बनाती नजर आ रही. इसका असर भी शेयर बाजार पर गिरावट के रूप में देखने को मिला और काउंटिंग आगे बढ़ते-बढ़ते शेयर बाजार में गिरावट भी लगातार तेज होती नजर आई.
तीसरा कारण- विदेशी निवेशकों की बेरुखी
भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बेरुखी लगातार देखने को मिल रही है और ये लगातार बढ़ती जा रही है. इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने मई में भारतीय शेयर बाजार से 25,586 करोड़ रुपये की निकासी की है. ये आंकड़ा इससे पिछले महीने यानी अप्रैल 2024 में 8700 करोड़ रुपये था. यहां खास बात ये है कि करीब दो दशक बाद एफपीआई द्वारा इतनी बड़ी निकासी की गई है. NSDL के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2004 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से 3248 रुपये की निकासी की थी.
चौथा कारण- निवेशकों का सेंटीमेंट बिगड़ा
एग्जिट पोल के अनुमानों का हकीकत न बनना, बीजेपी को स्पष्ट बहुमत न मिलता और विदेशी निवेशकों की बेरुखी के चलते शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने वाले निवेशकों के सेंटीमेंट पर विपरीत असर पड़ा है. मंगलवार को शेयर मार्केट में जोरदार बिकवाली देखने को मिली और Reliance से लेकर Tata तक, Adani से लेकर SBI तक के शेयर भरभराकर टूटे हैं. इनमें 18 से 23 फीसदी तक की बड़ी गिरावट देखने को मिली है. निवेशकों का सेंटिमेंट गड़बड़ाने को भी भारतीय बाजार में गिरावट का एक कारण माना जा सकता है.
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