विदिशा। मध्यप्रदेश डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सीएलएफ, व्हीओ पदाधिकारियों एवं सीआरपी का उन्मुखीकरण हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम रविवार को आयोजित किया गया था। कलेक्टर श्री उमाशंकर भार्गव ने आजीविका मिशन के तहत गठित महिला स्व-सहायता समूहो के सदस्यों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चो को समय पर डेऊस मिले इस कार्य में महिला स्वसहायता समूहो की महती भूमिका है ड्रेस की सिलाई अच्छी गुणवत्ता से हो ताकि कभी बीच में सिलाई के कारण समूह की बदनामी ना हो। कलेक्टर श्री भार्गव ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा के अनुसार महिलाएं आर्थिक रूप से सबल हो इसके लिए स्वसहायता समूहो के माध्यम से इस कार्य को सुगमता से किया जा सकता है। उन्होंने समूहो के सदस्यो से आव्हान किया है कि वे जिले में नवीन व्यवसायो की ख्याति से जाने जाए। इस कार्य में उनकी हर संभव मदद की जाएगी चाहे वह निर्माण हेतु कच्ची सामग्री प्राप्ति के लिए हो अथवा निर्मित सामग्री को बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित कराना हो। इन कार्यो में जिला प्रशासन का पूर्ण सहयोग मिलेगा।
जिला पंचायत सीईओ डॉ योगेश भरसट ने कहा कि महिला स्वसहायता समूहो के सदस्य ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी अलग-अलग पहचान बनाती जा रही है। उन्होंने बताया कि जिले के उत्पादको से सभी को अवगत कराने हेतु विशेष पहल की जा रही है जिसके तहत अब विदिशा एवं बासौदा रेल्वे स्टेशन पर एक स्टॉल स्थापित किए गए हैै। उन्होंने कहा कि शासन की अनेक महत्वपूर्णकारी योजना के प्रचार-प्रसार व हितग्राहियों को लाभांवित करने तथा राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में भी स्व-सहायता समूह की महिला सदस्यों की भूमिका स्थापित हो रही है। उन्होंने खाने की विभिन्न नवीन प्रकार की सामग्री के निर्माण पर बल देते हुए कहा कि इस ओर विशेष प्रशिक्षण समूहो की आवश्यकता के अनुसार उपलब्ध कराया जाएगा।
प्रशिक्षण के दौरान मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना पर भी गहन प्रकाश डाला गया साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में लाड़ली सेना के माध्यम से गांव के विकास का उत्तरदायित्व सौंपने की ओर महिला स्वसहायता समूह कदम बढाएं की अपेक्षाएं अभिव्यक्त की गई।
रविन्द्रनाथ टैगोर, सांस्कृतिक भवन (ऑडिटोरियम) में सम्पन्न हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम में पांच सौ से अधिक समूह के सदस्यों के अलावा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के पदाधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहें।