नई दिल्ली (New Dehli)। कांग्रेस और टीएमसी के बीच बढ़ रही तल्खी (increasing bitterness)के चलते विपक्ष के खेमे की चिंता लगातार बढ़ रही है। नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar)के बाद ममता बनर्जी भी अगर गठबंधन (alliance)से हटीं तो यह विपक्षी एकता के लिए बड़ा धक्का होगा। लिहाजा शरद पवार सहित कुछ अन्य नेता पर्दे के पीछे से इस कवायद में जुटे हैं कि गठबंधन में पड़ी दरार गहरी खाई का रूप न लेने पाए।
एक नेता ने कहा कि पहले ही यह तय हुआ था कि हम उन मुद्दों को चिह्नित करें जिन्हें लेकर साझा तरीके से बीजेपी को घेरा जाए। सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बनने पर कुछ सीटों पर दोस्ताना संघर्ष की सलाह भी बैठकों में दी गई थी। लेकिन नेताओं के निजी अहम और बिखरी हुई रणनीति से दरार बढ़ रही है।
लगातार वार-पलटवार जारी
शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री टीएमसी नेता ममता बनर्जी की तरफ से कांग्रेस को सीधी चेतावनी दी गई थी। शनिवार को कांग्रेस की तरफ से जयराम रमेश ने जवाब दिया। टीएमसी प्रमुख ने कहा था कि मुझे शंका है कि अगर कांग्रेस 40 सीटें भी जीत पाएगी। उनकी इस टिप्पणी पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पटलवार करते हुए कहा कि ममता बनर्जी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
राष्ट्रीय स्तर के लिए है गठबंधन
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि 11 दिन भारत जोड़ो न्याय यात्रा उत्तर प्रदेश में रहेगी। जयराम ने ममता के बयान पर कहा कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी के बारे में बहुत सारी बातें कही हैं। मैं यही कहूंगा कि वे बार-बार कह रही हैं कि वे इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं तो हमारा एक ही निशाना होना चाहिए। हम लोग भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। इंडिया गठबंधन राष्ट्रीय स्तर के लिए है, विधानसभा स्तर के चुनाव के लिए नहीं है।
ममता की शर्तें
फिलहाल दोनों दलों की तल्खी कम होगी या इनके रास्ते अलग होंगे अगले कुछ दिनों में स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन ममता ने सहयोगी दलों को साफ संकेत दिया है कि वे पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को ज्यादा जगह देने को तैयार नहीं है। लिहाजा अगर कांग्रेस ममता की शर्तों पर तैयार होती है तो उसी सूरत में बात आगे बढ़ सकती है। हालांकि कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व ममता की शर्तों के पूरी तरह खिलाफ है। जबकि कांग्रेस आलाकमान भी चाहता है कि कोई भी समझौता सम्माजनक शर्तों पर ही होना चाहिए।
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