ग्वालियर । ग्वालियर (Gwalior) जिला न्यायालय के एसटीएफ विशेष कोर्ट (STF Special Court) ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए एक कांस्टेबल (Constable) को 14 साल की सजा सुनाई। कांस्टेबल के खिलाफ आरोप था कि वह पुलिस भर्ती परीक्षा (Police Recruitment Exam) में सॉल्वर को बिठाकर पास हुआ था। यह शिकायत उसके ही एक रिश्तेदार द्वारा 10 साल बाद की गई और और अब उसे सजा सुनाई गई। वह 11 साल की नौकरी कर चुका है। वर्तमान में वह इंदौर के विजय नगर थाने में पदस्थ था।
दरअसल, मध्य प्रदेश में हुई पुलिस भर्ती परीक्षा 2013 में बैठकर धर्मेंद्र शर्मा नामक युवक कांस्टेबल बना था। तब उसकी उम्र 19 साल की थी। 2022 में एसटीएफ मुख्यालय भोपाल में धर्मेंद्र के ही एक रिश्तेदार ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी धर्मेंद्र ने दो बार यानी अप्रैल 2013 और सितंबर 2013 में सॉल्वर बिठाकर परीक्षा दी थी। अप्रैल के एग्जाम में वह सफल नहीं हुआ, लेकिन सितंबर की परीक्षा में पास हो गया। वह बगैर परीक्षा दिए ही कांस्टेबल बन गया।
शिकायत पर केस दर्ज करने के बाद तत्कालीन एडीजी पंकज श्रीवास्तव ने राजेश भदौरिया के नेतृत्व में इसके लिए एक जांच टीम बनाई। 9 साल बाद व्यापम की कॉपियां और अन्य साक्ष्य जुटाना बड़ी चुनौती थी। जब इसके लिए एसटीएफ ने व्यापम से संपर्क किया तो पता चला कि पहले रिकॉर्ड तीन साल बाद नष्ट कर दिया जाता था। लेकिन 2013 में व्यापम फर्जीवाड़ा खुलने के बाद रिकॉर्ड दस साल तक रखा जाने लगा है। एसटीएफ ने आरोपी की कॉपियां व्यापम से लेकर जांच के लिए भेजीं। पांच माह बाद इसकी रिपोर्ट मिली। इसमे कॉपियों में धर्मेंद्र शर्मा की हैंडराइटिंग नहीं पाई गई।
इसके बाद इसका कोर्ट में चालान पेश किया गया। इसकी सुनवाई पर निगरानी के लिए एक नोडल अधिकारी की भी नियुक्ति की गई। महज चार माह में ही कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली। ग्वालियर के एसटीएफ कोर्ट के जज नीतिराज सिंह सिसोदिया ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी कांस्टेबल धर्मेंद्र शर्मा को दो मामलों में 7-7 साल के कारावास की सजा सुनाई और 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
सॉल्वर कौन था, इसका पता लगाने में एसटीएफ असफल रही। न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अयोग्य और बेईमान अभ्यर्थी के शासकीय सेवक के रूप में चयन होने से दुष्परिणामों की कल्पना की जा सकती। ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति रोकने और व्यवस्था पर लोगों का विश्वास रखने के लिए अभियुक्त को पर्याप्त दंड देना जरूरी है। ऐसे अपराध से पूरा समाज और युवा वर्ग प्रभावित होता है।
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