लखनऊ (Lucknow) । करोड़ों रुपये हड़पने वाले हाईप्रोफाइल जालसाज संजय प्रकाश राय (Sanjay Prakash Rai) उर्फ संजय शेरपुरिया (Sanjay Sherpuria) से कई और राज उगलवाने के लिये एसटीएफ ने एक विशेष टीम बनाई है। यह टीम कॉल डिटेल, करोड़ों के लेन-देन के साक्ष्यों व कई बैंक खातों के ब्योरे के आधार पर संजय शेरपुरिया से सवाल जवाब करेगी। रिमाण्ड अवधि में उससे एसटीएफ की लखनऊ, नोएडा व वाराणसी (Lucknow, Noida and Varanasi) टीम के साथ विभूतिखंड पुलिस भी पूछताछ करेगी। दावा है कि इससे कई और लोगों का सच सामने आयेगा। उसे रिमाण्ड पर अर्जी देने के लिये सोमवार को विभूतिखंड पुलिस अर्जी देगी। पुलिस अपनी अर्जी में सात दिन की रिमाण्ड मांगेगी।
संजय शेरपुरिया की गिरफ्तारी (arrest) के बाद से ही हड़कम्प मचा हुआ है। राजनैतिक गलियारों में दिल्ली के सफरदरगंज निवासी संजय के काफी सम्पर्क थे। इन सम्पर्कों का फायदा उठाकर ही उसने कई बड़े उद्योगपतियों व अफसरों से वसूली की। किसी की जांच खत्म कराने तो किसी को बड़ा ठेका दिलाने के साथ ही उसने अपने यूथ रूरल फाउण्डेशन के नाम पर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा किया। उसने कई जिलों में अपने सेन्टर बना रखे थे। इसमें कई लोगों को रोजगार दे रखा था। उसकी गिरफ्तारी के बाद से इनकी नौकरी पर भी सकंट आ गया है। संजय की 25 अप्रैल को गिरफ्तारी होने के बाद उसकी कई करतूतों का खुलासा हो रहा है।
लेन-देन और कॉल डिटेल से सुबूत मिले
शनिवार को संजय शेरपुरिया से जेल में विभूतिखंड पुलिस (Vibhuti Khand Police) ने पूछताछ की। बयान लेने पहुंची टीम को उसने संतोषजनक जवाब नहीं दिया। यही वजह है कि पुलिस अब उसे रिमाण्ड पर लेने जा रही है। जेल में उसे कुछ करीबियों की कॉल डिटेल और चैट दिखायी गई तो वह हैरान रह गया था। यही वजह है कि पुलिस उससे साक्ष्यों के आधार पर ही पूछताछ करेगी। इसमें सबसे अहम कई बैंकों में उसके व पत्नी कंचन प्रकाश राय के नाम के खाते का ब्योरा है।
छह करोड़ की डील पर सबसे ज्यादा पूछताछ होगी
दिल्ली के उद्योगपति गौरव डालमिया से उसने बड़ी डील करते हुये उनके ट्रस्ट खाते से अपने फाउण्डेशन में दो बार में छह करोड़ रुपये जमा कराये थे। पहली बार पांच करोड़, फिर एक करोड़ रुपये अपने खाते में लिये थे। यह डील ही उसे भारी पड़ गई थी। उसके खिलाफ शिकायत पर जब एलआईयू ने जांच शुरू की थी तो इसी लेन-देन पर वह चौंकी थी। संजय ने गिरफ्तार होने पर खुलासा किया था कि गौरव ने अपने खिलाफ चल रही केन्द्रीय एजेंसी की एक जांच को खत्म कराने के नाम पर इतनी रकम दी थी। इस लेन-देन के बारे में कई दस्तावेज जुटाए गए हैं।
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