डॉक्टर भी अनजान, कलेक्टर की पूछताछ में हुआ खुलासा, अब मिलेगा मुआवजा
इंदौर।
फरवरी 2020 में दूसरी डिलीवरी (Delivery) के बाद ही नसबंदी (Sterilization) का ऑपरेशन (Operation) कराने के बावजूद 6 दिसंबर को महिला ने तीसरे बच्चे को जन्म दिया। कलेक्टर (Collector) ने दौरे के दौरान ऑपरेशन की समझाइश दी तो महिला भी विफऱ पड़ी और डॉक्टरों की लापरवाही का खुलासा हुआ।
स्वास्थ विभाग (Health Department) द्वारा चलाए जा रहे नसबंदी पखवाड़े के साथ-साथ मुहिम छेडक़र किए जा रहे ऑपरेशन और उनके लगाए जा रहे बिलो की पोल उस समय खुल गई, जब कलेक्टर पीसी सेठी अस्पताल (PC Sethi Hospital) में प्रसूता वार्ड (Maternity Ward) का दौरा कर रहे थे। कलेक्टर ने तीसरे बच्चे को जन्म देने की बात पर महिला को नसबंदी ऑपरेशन की समझाइश दी तो दीपिका सुभाष निवासी शिवनगर विफऱ पड़ी। उसने जानकारी दी कि 28 फरवरी 2020 में दूसरे बच्चे को जन्म देने के बाद ही उसने ऑपरेशन करा लिया था, लेकिन आज उसे एक लडक़ी पैदा हुई है। इसमें डॉक्टरों की गलती पर कलेक्टर ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए जांच के निर्देश दिए, जिसमें सामने आया है कि लेप्रोस्कोपी के जरिए डॉक्टर पंत ने महिला का ऑपरेशन पीसी सेठी अस्पताल में ही किया था। अब पूरे मामले की विस्तार से जांच की जा रही है। पीसी सेठी अस्पताल के दौरे के दौरान कलेक्टर को जानकारी लगी कि महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना के 16 हजार रुपए की राशि भी मुहैया नहीं कराई जा रही है, जिसको लेकर जांच के निर्देश जारी किए गए।
प्रसूति सहायता छोड़ो साहब मेरे साथ धोखा हुआ
पीसी सेठी अस्पताल के दौरे के दौरान कलेक्टर ने नार्मल डिलीवरी वार्ड की प्रसूताओं से चर्चा की तो लगभग 6 से अधिक महिलाओं के 3 से अधिक बच्चों की जानकारी मिली, जिस पर कलेक्टर ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि भर्ती करने के दौरान ही महिलाओं की काउंसलिंग की जाना चाहिए। प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद जिस तरह से स्वास्थ्य का रिकॉर्ड रखते हो, उसी तरह किसको सरकारी योजना में लाभ दिलाया जा सकता है या नसबंदी कराई है या नहीं, उसकी जानकारी दी जाना चाहिए। महिला को टीटी फैलियर सहायता के 30000 और जननी सुरक्षा की सहायता राशि भी दिलवाई जाएगी।
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