जबलपुर। शहर में एक मर्तबा फिर शराब माफियाओं ने प्रशासन को आंखे दिखानी शुरु कर दी है। प्रशासन द्धारा बरती गई सख्ती के बाद निर्धारित दामों में शुरु हुई शराब की बिक्री फिर से मनमर्जी से की जाने लगी है। बताया जा रहा है कि पिछले चार-पांच दिनों से माफियाओं ने शासन की रेट लिस्ट व बिल बुक को कचरे में डालकर अपनी मर्जी से बढ़े हुए दामों में बिक्री शुरु कर दी है, वहीं जिन पर कार्रवाई का जिम्मा है, वह कुंभकर्णीय नींद सोये हुए है, जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। उल्लेखनीय है कि शहर में कोरोना काल में शराब माफियाओं ने जमकर चांदी काटी थी। मनमर्जी के दामों से शराब की बिक्री कर मयकशों की जेब में सीधे डाका डाला जा रहा था। ये हाल शहर का ही नहीं बल्कि ग्रामीण अंचलों की दुकानों का भी था।
जिस पर प्रशासन ने कई मर्तबा लगाम लगाने की कोशिश की, लेकिन माफियाओं ने एक न सुनी और अपनी मर्जी पर आमादा रहे। जिसकी वजह आबकारी विभाग के अधिकारियों से सांठगाठ थी। जिस कारण ही तत्कालीनी सहायक आबकारी आयुक्त एसएन दुबे को निलंबित कर विभागीय जांच शुरु की गई थी। जिसके बाद शराफ माफियाओं पर लगाम लगाई गई और बिल देकर ही शराब की बिक्री सुनिश्चित की गई, इतना ही नहीं दुकानों पर रेट लिस्ट लगाने के निर्देश भी दिये गये।
चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात
शासन की सख्ती के बाद शराब माफियाओं ने कुछ रोज तो नियमों का पालन किया। इसके बाद पुन: अपने पुराने ढर्रे में लौटते हुए लूट खसोट शुरु कर दी। ऐसा नहीं है कि मामले की शिकायत आबकारी अधिकारियों से न की गई हो, लेकिन वह अनभिज्ञता जाहिर कर कार्रवाई कर अलाप रागने लगते है।
तोहफो से किया खुश
शहर में एकाएक सारे नियमों को ताक पर रखकर खुलेआम लोगों की जेब में डालकर महंगे दामों में बेची जा रहीं शराब को लेकर अब तरह तरह के आरेाप आबकारी अधिकारियों पर लगने लगे है। मयकशों की माने तो दीवाली पर शराब माफियाओं ने महंगे तोहफे व गिरफ्त देकर अमले शांति की चादर ओढ़ा दी है, जिससे कार्रवाई ठंडे बस्ते में है और शराब माफियाओं की लूट बदस्तूर जारी है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved