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भैरवदेव के चरणों में रहें, अच्छे दिन जरुर आएंगे : डॉ. वसंतविजयजी

March 09, 2022

कृष्णगिरी। श्री पार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ धाम के पीठाधिपति (Peethadhipati of Shri Parshva Padmavati Shaktipeeth Dham), राष्ट्रसंत, आध्यात्म योगी, यतिवर्य, सर्वधर्म दिवाकर परम पूज्य गुरुदेव श्रीजी डॉ. वसंतविजयजी (Pujya Gurudev Shreeji Dr. Vasantvijayji) म.सा. ने कहा कि यज्ञ कुण्ड में देवों के आह्वान होने के बाद दी जाने वाली आहूतियां देव ग्रहण करते हैं। इस दौरान वायुमण्डल में फैलने वाला धुंआ उनकी श्वांस बनकर निकलता है। उन्होंने कहा कि यह शास्त्रोक्त कथन है कि यज्ञ के पवित्र धुंए मात्र को ग्रहण से व्यक्ति के 168 जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। वे यहां विश्वविख्यात शक्तिपीठ तीर्थ धाम मेें त्रिदिवसीय “भक्त कल्याण महोत्सव” के तहत महाचमत्कारिक श्री भैरव सिद्धि महाविधान हवन के दौरान अपना प्रवचन दे रहे थे। राष्ट्रसंतश्रीजी डॉ. वसंतविजयजी म.सा. के 53वें अवतरण दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में बुधवार को दूसरे दिन निज मंदिर स्थित श्री पार्श्व पद्मावती का विशेष पूजन, अभिषेक, आरती व श्री पार्श्वपद्मावती गौशाला में गौपूजन का सामूहिक रुप से अलौकिक कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।



यजमान शब्द को विस्तार से परिभाषित करते हुए पूज्य गुरुदेवश्रीजी ने कहा कि गौदान, भूदान, ब्राह्मण को दान, संत को आहारदान व मंदिरों के लिए पाषाण दान आदि धन की देवी महालक्ष्मीजी की कृपा से ही संभव है। इसके लिए मां की कृपा आवश्यक है, ऐसे में महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सर्वथा गौपूजन जरुरी है। भवरुपी समुद्र को कठिन बताते हुए उन्होंने यह भी कहा कि संत निष्पृही, त्यागी होते हैं। संतों के प्रति व्यक्ति का समर्पण उसे तार सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति की पहचान है विनय, विवेक और संस्कार। वे बोले कि कलियुग में महाचमत्कारिक एवं जल्द प्रसन्न होकर भक्तों की दु:ख पीड़ा मिटाने वाले भैरव देव की शरण में रहने पर व्यक्ति के अच्छे दिन निश्चित आएंगे। इस दौरान संतश्रीजी ने अनेक संगीतमयी भक्ति प्रस्तुतियों में ‘चांद उगियो है रातां में…’, तू सोने के छतरों वाली है…’ संदेशा आया है भैरुजी आएंगे…’, तेरे हाथों की लकीर बदलेगी… इत्यादि अनेक भजनों पर तथा भैरव भक्ति की संकटहर स्तुति से श्रद्धालूओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इससे पूर्व श्री सिद्ध भैरव महाविधान के तहत 53 कुण्डीय हवन यज्ञ में घी, चंदन की लकडिय़ां, विभिन्न प्रकार के मेवे व अनेक दुर्लभ औषधियों से सामूहिक रुप से आहूतियां दी गयीं। चिदम्बरम के नटराज मंदिर के 121 विप्र पंडितों द्वारा यह विधान कराया जा रहा है। आयोजन में देश और दुनिया से हजारों श्रद्धालू गुरुभक्त भाग लेकर लाभान्वित हो रहे हैं।

मां पद्मावती व गौपूजन हुआ, अष्टलक्ष्मी महापूजन आज

तीर्थधाम में विराजित श्री राज राजेश्वरी जगत जननी शक्ति मां पद्मावती, सहस्रफणा पार्श्वनाथ भगवान एवं अन्य देवी-देवताओं का अभिषेक पूजन विधान रत्नेश गुरु के माध्यम से श्रद्धालूओं ने लाभ लेकर भक्ति भाव से किया। वहीं नटराज मंदिर के पंडित शैल्वरत्न दीक्षित की निश्रा में विधिपूर्वक गौपूजन किया गया। इस दौरान गौमाता का चंदन-कुमकुम से तिलक, वस्त्र समर्पण, पूजन व आरती की गयी तथा चावल, गुड़ के साथ केला फल का भोग अर्पण भेंट कर वंदन किया गया। बड़ी संख्या में तीर्थधाम में शामिल हुए पंजीकृत श्रद्धालूओं ने भी इसमें सामूहिक रुप से भागीदारी निभायी। पंडित दीक्षित ने बताया कि पितृदोष, माता श्राप के निवारण एवं अखण्ड सौभाग्य लक्ष्मी की प्राप्ति विधानपूर्वक गौपूजन से होती है। तीर्थधाम के डा. संकेश जैन ने बताया कि गुरुवार को महालक्ष्मी पूजन का विधान होगा। उपस्थित सभी पंजीकृत श्रद्धालूओं को निशुल्क पूजा वस्त्र दिए गए तथा सुख-सम्पन्नता एवं आरोग्यताप्रदायक अभिमंत्रित सिद्ध लक्ष्मी यंत्र भी गुरुवार को प्रदान किया जाएगा।

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