भोपाल। जल्द ही इंदौर में प्रदेश का पहला ड्रायविंग रिसर्च सेंटर बनने वाला हैं। यहां ड्रायविंग प्रशिक्षण के साथ दुर्घटनाओं को कम करने के लिए उनसे जुड़ी तमाम रिसर्च भी होंगी। वहीं ड्रायविंग लाइसेंस सहित अन्य प्रक्रियाओं में कई महत्वपूर्ण बदलाव होने वाले हैं। यहां तक की आरटीओ के लाइसेंस जारी करने के अधिकार न के बराबर रह जाएंगे। परिवहन विभाग ने केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय को इसका प्रस्ताव भी भेज दिया है। डीटीआई के प्रभारी अधिकारी अनिल शर्मा ने बताया, परिवहन विभाग ने कौशल विकास विभाग के नंदानगर स्थित ड्रायविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (डीटीआइ) को चुना है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक सेंटर के लिए 10 से 15 एकड़ भूमि होना आवश्यक है। निर्माण के लिए अधिकतम 17.25 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। यह प्रदेश का एकमात्र इंस्टीटयूट है जहां पहले से सरकारी योजनाओं में ड्रायविंग सिखाई जाती है। हमारे पास जमीन भी पर्याप्त है। बहुत कुछ व्यवस्थाएं पहले से ही यहां है, इसलिए रिसर्च सेंटर आसानी से और ल्द बन जाएगा। शुरुआत में लगभग 3.5 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है।
सभी स्कूलों का मदर इंस्टीट्यूट
प्रदेश में ट्रेनिंग स्कूलों को निजी हाथों में न देते हुए परिवहन विभाग ने सरकारी विभाग को जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया है। इसमें कौशल विकास विभाग और पॉलिटेक्नीक कॉलेजों से स्कूलों का संचालन कराया जाएगा। प्रदेश में जितने भी स्कूल खुलेंगे उनका मदर इंस्टीट्यूट शहर में बनने वाला रिसर्च सेंटर होगा। स्कूलों में तैनात किए जाने वाले ट्रेनरों की ट्रेनिंग इस सेंटर पर होगी। सेंटर पर विशेषज्ञ भी तैनात होंगे जो ट्रेनरों, ड्रायवरों के अनुभव और दुर्घटनाओं के बिंदुओं पर रिसर्च करेंगे जिससे कि दुर्घटनाओं को कम करने की योजनाएं बनाने में मददगार होगी।
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