भोपाल। स्टेट जीएसटी के एंटी इवेजन ब्यूरो ने मैदानी स्तर पर जांच शुरू कर दी है। नई वस्तुओं को ई-वे बिल के दायरे में लाने के लिए गाइडलाइन के आधार पर भी कार्य किया जा रहा है। ज्ञात रहे कि 50 हजार रुपये से ज्यादा कीमत का माल या पचास किमी से ज्यादा दूरी पर ई-वे बिल लगता है। मध्य प्रदेश में इंदौर में दो, ग्वालियर में एक, जबलपुर में एक,सतना में एक और भोपाल में एक एंटी इवेजन इकाई हैं। यह एंटी इवेजन इकाइयां बिना पावर के मैदानी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती हैं। करीब दो माह होने को आ गए हैं और जो तीस नई वस्तुएं ई-वे बिल के दायरे में लाईं गईं हैं, उनकी इस अवधि में जांच ही नहीं हो सकी है।
अभी तक इन वस्तुओं के लिए ही जरूरी था ई-वे बिल
पान मसाला, कंफेक्शनरी, प्लायवुड लेमिनेटेड शीट, लोहा एवं इस्पात, खाद्य तेल, आटो पाट्र्स, सिगरेट तंबाकू व तंबाकू के उत्पाद, इलेक्ट्रिकल गुड्स, इलेक्ट्रानिक गुड्स, फर्नीचर, लुब्रिकेंट, टाइल्स, सिरेमिक गुड्स, सिरेमिक ब्लाक और सिरेमिक पाइप।
दो दिसंबर से 30 और वस्तुओं पर ई-वे बिल है लागू
किराना, कपड़े, रेडीमेड गारमेंट, आयल सीड्स, पेंट व पुट्टी, शकर की रिफाइनरी से प्राप्त मोलासिस, सुपारी व इससे बनी वस्तुएं, माउथ फ्रेशनर्स एवं इसी प्रकार की अन्य वस्तुएं, मिनरल वाटर, चाकलेट व कोको युक्त सभी फूड प्रिपरेशन, क्लाथिंग एसेसरीज, सभी प्रकार के वाहन, उनके पाट्र्स व एसेसरीज, रबर व इससे बनी वस्तुएं, सभी धातुओं का स्क्रैप, बर्तन, सीमेंट। मार्बल व ग्रेनाइट, कापर ब्रास एवं उनके प्रोडक्ट्स, एल्युमीनियम एवं उनके प्रोडक्ट, निकल व उसके प्रोडक्ट, नान एल्कोहलिक ब्रेवरीज जैसे कोल्ड ड्रिंक्स, पटाखे एवं विस्फोटक, क्राकरी, कास्मेटिक एवं टायलेट आर्टिकल, हार्डवेयर गुड्स, प्लास्टिक व इसके आर्टिकल, पैकिंग मटेरियल व रस्सियां, सैनेटरी गुड्स, पेस्टिसाइड्स, कोयला, पेट्रोलियम प्रोडक्ट, डामर, इमल्शन, बॉयोडीजल, ड्राय फ्रूट्स पर 2 दिसंबर से ई-वे बिल लागू हो चुका है, लेकिन अमल अब तक नहीं हो पा रहा है।
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