भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) ने नए फायर सेफ्टी के लिए दिशा निर्देश जारी (guidelines issued) किए हैं. नए निर्देशों के तहत फायर प्लान अप्रूवल (fire plan approval) लेने के बाद ही 15 मीटर ऊंचे भवनों का कंपलीशन सर्टिफिकेट (Completion Certificate) मिलेगा. साथ ही एक तल पर 500 स्कवायर मीटर से ज्यादा क्षेत्रफल (Area) में बने सभी भवनों हालांकि धार्मिक भवनों, सामुदायिक भवनों और आवासीय भवनों पर यह नियम लागू नहीं होगा.
नए नियमों के तहत किसी भी होटल, अस्पताल को, जिसमें 50 से ज्यादा बेड हों, उन्हें भी फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होगा. जो भवन पहले से तैयार हैं, उनके लिए तय समयाविधि में फायर ऑफिसर के सामने फायर प्लान पेश करना होगा. ऐसा ना करने पर जुर्माना लगाया जाएगा. नियम के तहत पहले बने भवनों के लिए अग्निशमन अधिकारी के सामने एक माह में फायर प्लान दिया जाएगा. फायर प्लान मिलने के दो महीने तक भवन स्वामी को फायर प्लान तैयार कर अग्निशमन अधिकारी के सामने पेश करना होगा. अगर इसमें देरी की जाती है तो 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से लेट फीस देनी होगी. एक साल के बाद यह लेट फीस एक हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से वसूली जाएगी.
अभी तक प्रोविजन एनओसी के आधार पर सर्टिफिकेट मिल जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. नगर निगमों के लिए आयुक्त, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कलेक्टर और छावनी परिसर क्षेत्र जबलपुर, महू, मुरार, पचमढ़ी और सागर के लिए अधिशासीय अधिकारी को अग्निशमन प्राधिकारी बनाया गया है. नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी.
ऊर्जा विभाग के नियमों के तहत जारी फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट की मान्यता 3 साल के लिए रहेगी. फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के लिए आवासीय और शैक्षणिक भवन के लिए 2 हजार रुपए पहले 500 वर्ग मीटर में निर्मित क्षेत्र के लिए और 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल के लिए 2 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क वसूला जाएगा. अन्य भवनों के लिए यह फीस 5 हजार रुपए 500 वर्ग मीटर के लिए और बाकी क्षेत्र के लिए 5 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से भुगतान करना होगा.
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